- प्रत्येक वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है।
- इस दिवस को बाल श्रम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और इसे दुनिया भर से पूरी तरह समाप्त करने के लिए व्यक्तियों, सरकारी और गैर सरकारी संगठनों को प्रोत्साहित करने के रूप में मनाया जाता है। इसे “बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस” भी कहा जाता है।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का इतिहास:
- वर्ष 1973 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) का 138वां सम्मेलन मजदूरी की न्यूनतम आयु पर लोगों का ध्यान केंद्रित करना था, इसका उद्देश्य सदस्य देशों को रोजगार की न्यूनतम आयु बढ़ाने और बाल मजदूरी को समाप्त करना था।
- इसके 29 साल बाद वर्ष 2002 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) ने बाल श्रम रोकने का मुद्दा दुनिया के सामने रखा।
- वर्ष 2002 में सभी सदस्यों की सर्वसम्मति से एक कानून पारित हुआ, जिसके तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से मजदूरी करवाना अपराध घोषित किया गया।
- वर्तमान में इस श्रम संघ के 187 सदस्य देश शामिल हैं।
इस वर्ष विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की थीम "सभी के लिए सामाजिक न्याय, बाल श्रम की समाप्ति!" (Social Justice for All, End Child Labour !) है।
भारत के संविधान में बालश्रम निषेध और नियमन अधिनियम
- भारत में भी बालश्रम एक बड़ी समस्या है।
- सरकार द्वारा बालश्रम की समस्या को समाप्त करने के क़दम उठाए गए हैं।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 खतरनाक उद्योगों में बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाता है।
- केंद्र सरकार द्वारा 1986 में बालश्रम निषेध और नियमन अधिनियम पारित किया गया।
- इस अधिनियम के अनुसार बालश्रम तकनीकी सलाहकार समिति नियुक्त की गई थी।
- इस समिति की सिफारिश के अनुसार, खतरनाक उद्योगों में बच्चों की नियुक्ति निषिद्ध है।
- 1987 में, राष्ट्रीय बालश्रम नीति बनाई गई थी।