विश्व में उपभोक्ताओं के महत्त्व एवं उनके अधिकारों और दायित्वों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है।
भारत की एक बड़ी आबादी अशिक्षित है, जो अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति अनभिज्ञ है, लेकिन उपभोक्ता अधिकारों के मामले में शिक्षित लोग भी अपने अधिकारों के प्रति उदासीन नज़र आते हैं।
भारत में उपभोक्ताओं के महत्त्व एवं उनके अधिकारों और दायित्वों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है ।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 राष्ट्रीय, राज्य व ज़िला स्तर पर उपभोक्ता निवारण तंत्र के गठन का प्रावधान करता है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का प्राथमिक उद्देश्य उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार के शोषण जैसे- दोषयुक्त सामान, असंतोषजनक सेवाओं और अनुचित व्यापार प्रथाओं के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करना है।
यह अधिनियम उपभोक्ता आयोग के प्रत्येक स्तर को आर्थिक क्षेत्राधिकार भी प्रदान करता है।
उपभोक्ता कल्याण व सुरक्षा को बढ़ाने, जागरूकता में वृद्धि करने तथा ग्रामीण इलाकों में उपभोक्ता आंदोलन को मज़बूत करने के उद्देश्य से ‘उपभोक्ता कल्याण कोष’ का गठन किया गया है।
उपभोक्ता कल्याण कोष का गठन केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 57 के तहत किया गया है।
इस कोष की स्थापना राजस्व विभाग द्वारा की गई है, जबकि इसका संचालन उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 10 के तहत जुलाई 2020 को की गयी।
यह उपभोक्ताओं के अधिकारों के उल्लंघन एवं झूठे या भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों को विनियमित करने तथा उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देने एवं संरक्षित करता है।