New
IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक-2021: संबंधित तथ्य

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2&3’ विषय- भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।)

संदर्भ 

हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपनी ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक’ रिपोर्ट, 2021 में, वित्त वर्ष 2021-22 के लिये भारत की विकास दर में कमी का अनुमान व्यक्त किया है।

वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक

  • वर्ल्ड इकॉनोमिक आउटलुकअंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट है। इसका प्रकाशन सामान्यतः वर्ष में दो बार होता है।
  • यह रिपोर्ट निकट एवं मध्यम अवधि के दौरान वैश्विक आर्थिक विकास का विश्लेषण प्रस्तुत करती है।       

ैश्विक पूर्वानुमान 

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी रिपोर्ट में वैश्विक अर्थव्यवस्था के वर्ष 2021 में 6 प्रतिशत एवं वर्ष 2022 में 4.9 प्रतिशत की दर से वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया है।
  • इससे पहले अप्रैल, 2021 के अनुमानों में भी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने यही अनुमान व्यक्त किये थे। इसे जुलाई, 2021 की रिपोर्ट में भी बरकरार रखा गया है।

ारत के संबंध में पूर्वानुमान

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने जुलाई, 2021 में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2021 -22 के लिये भारत की विकास दर के 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है। यह अनुमान मुद्रा कोष द्वारा अप्रैल माह में व्यक्त अनुमान से 3 अंक कम है। 
  • अप्रैल, 2021 में मुद्रा कोष ने भारत की विकास दर के 12.5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था। हालाँकि, मुद्राकोष ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिये अपने अनुमान को परिवर्तित किया है। 
  • अप्रैल माह में मुद्राकोष ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिये विकास दर के 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था, जिसे जुलाई 2021 में बढ़ाकर 8.5 प्रतिशत कर दिया गया है।

ारत की विकास दर में कमी का कारण

  • आई.एम.एफ. ने इस वर्ष मार्च-मई की अवधि में कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर देश के विकास दर अनुमान को कम किया है। इसने आर्थिक सुधार के लिये टीकाकरण को आवश्यक माना है।
  • आई.एम.एफ. द्वारा भारत की अनुमानित विकास दर में कमी का एक प्रमुख कारण टीकाकरण की रफ़्तार का धीमा होना है।
  • आई.एम.एफ. के आँकड़ों के अनुसार, उभरती अर्थव्यवस्थाओं जैसे- भारत, इंडोनेशिया आदि में अभी तक कुल आबादी के मात्र 11 प्रतिशत लोगों का ही पूर्ण टीकाकरण किया गया है, जबकि अन्य उन्नत अर्थव्यवस्थाओं जैसे- अमेरिका एवं ब्रिटेन में यह 40 प्रतिशत है।
  • विकास दर के अनुमानों में कमी का दूसरा प्रमुख कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को आवश्यक नीतिगत समर्थन का प्राप्त होना है, जबकि अधिकांश उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में सरकारों ने अपनी अर्थव्यवस्था को लंबे समय तक समर्थन देने के उपाय किये हैं।
  • सरकारों द्वारा अर्थव्यवस्था को नीतिगत समर्थन प्रदान करने के स्वरूप में भी अंतर है। प्रथम प्रकार के नीतिगत समर्थन में सरकारी व्यय (जैसे- मनरेगा या सब्सिडी वाले खाद्य कार्यक्रमों या स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार) या सरकारी राजस्व में कमी (जैसे- उपभोक्ताओं या व्यवसायों को टैक्स में कमी या राहत प्रदान करके) करके आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है।
  • द्वितीय प्रकार के नीतिगत समर्थन में सरकार (रिज़र्व बैंक सहित) अपने खजाने से सीधे खर्च करने की बजाय ऋण और क्रेडिट गारंटी प्रदान करती है। भारत सरकार ने द्वितीय प्रकार के उपायों का अधिक प्रयोग किया है। हालाँकि, सरकार का यह कदम उन अर्थशास्त्रियों के सुझाव के विपरीत है, जो सरकार द्वारा प्रत्यक्ष खर्च में वृद्धि को अर्थव्यवस्था में सुधार के लिये आवश्यक मानते हैं।

ुझाव 

  • अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने के लिये कुछ अर्थशास्त्री सरकार द्वारा प्रत्यक्ष खर्च में वृद्धि को आवश्यक मानते हैं। इनका मानना है कि कोविड-19 महामारी के कारण आई आर्थिक गिरावट से काफी संख्या में लोगों ने आय और नौकरियाँ तथा फर्मों ने व्यवसाय खोया है।
  • इसके अतिरिक्त, निवेश की संभावना में भी कमी आई है। ऐसी स्थिति में सरकार ही एकमात्र इकाई है, जो अर्थव्यवस्था को गति प्रदान कर सकती है। यदि सरकार द्वारा उपयुक्त कदम नहीं उठाए गए तो अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने में देर लग सकती है।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR