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विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश, भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव)

पृष्ठभूमि

‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organization- डब्ल्यू.एच.ओ.) अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सदस्य देशों के मध्य समन्वय, बीमारियों के बारे में जागरूकता फ़ैलाने और सलाह देने का कार्य करता है। यह वैश्विक स्तर पर स्वास्थ एजेंडे को तय करने और उसको लागू करने की दिशा में प्रयत्नशील रहता है। पिछले कुछ वर्षों में तथा विशेषकर कोविड-19 के संदर्भ में इसकी भूमिका पर सवाल उठने शुरू हो गये हैं। इस उथल-पुथल भरे समय में भारत को डब्ल्यू.एच.ओ. के कार्यकारी बोर्ड के संचालन का दायित्व सौंपा गया है। दुनिया इस समय स्वास्थ्य संकट से जूझ रही है और डब्ल्यू.एच.ओ. कोविड-19 के कारण विश्वसनीयता के संकट का सामना कर रहा है। ऐसी स्थिति में संचालक के रूप में कुछ ऐसे तत्त्व है जिसे भारत द्वारा नीतिगत दृष्टिकोण का हिस्सा बनाया जाना चाहिये।

भारत के सामने डब्ल्यू.एच.ओ. के कार्यकारी बोर्ड के प्रमुख के रूप में चुनौतियाँ

  • मई के चौथे सप्ताह में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन को विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड (Executive Board) का अध्यक्ष चुना गया है।
  • इस 34 सदस्यीय निकाय को हाल ही में संपन्न विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) के निर्णयों को लागू करने का काम सौंपा गया है।
  • यह कोविड-19 जैसी आपदा के प्रति वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया पर मार्गदर्शन प्रदान करने के लिये भारत को एक महत्त्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। यह समय इसलिये भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि आपदा के साथ-साथ डब्ल्यू.एच.ओ. राजनीतिक रूप से इतने अधिक उथल-पुथल का शिकार पहले कभी नहीं हुआ।

डब्ल्यू.एच.ओ. तथा डब्ल्यू.एच.ए. (WHO & WHA)

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)- यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये कार्य करती है।
  • विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA)- यह डब्ल्यू.एच.ओ. की निर्णय लेने वाली संस्था है। इसमें डब्ल्यू.एच.ओ. के सभी सदस्य राज्यों/देशों के प्रतिनिधिमंडल भाग लेते हैं। कार्यकारी बोर्ड द्वारा तैयार किये गए किसी विशिष्ट स्वास्थ एजेंडे पर इस संस्था द्वारा ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  • डब्ल्यू.एच.ए. का मुख्य कार्य संगठन की नीतियों का निर्धारण करना, डब्ल्यू.एच.ओ. के महानिदेशक (D-G) की नियुक्ति करना, वित्तीय नीतियों का पर्यवेक्षण करने के साथ-साथ प्रस्तावित कार्यक्रमों के बज़ट की समीक्षा व अनुमोदन करना है।
  • वर्तमान में डब्ल्यू.एच.ओ. में 194 सदस्य हैं। यू.एन. के सभी सदस्य देश डब्ल्यू.एच.ओ. के संविधान को स्वीकार करके उसके सदस्य बन सकते हैं। इस एजेंसी में अन्य देशों को सदस्यता तभी दी जा सकती है, जब उसके आवेदन को डब्ल्यू.एच.ए. द्वारा साधारण बहुमत से अनुमोदित किया गया हो।
  • डब्ल्यू.एच.ओ. का मुख्यालय ज़िनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में है और यहीं पर डब्ल्यू.एच.ए. की वार्षिक बैठक का आयोजन किया जाता है। 07 अप्रैल, 1948 को डब्ल्यू.एच.ओ. का संविधान लागू हुआ था अतः प्रत्येक वर्ष 07 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। डब्ल्यू.एच.ओ. के वर्तमान महानिदेशक इथोपिया के पूर्व स्वास्थ्य और विदेश मंत्री टेड्रोस एडहानॉम (Tedros Adhanom) हैं।

कार्यकारी बोर्ड (Executive Board)

  • डब्ल्यू.एच.ओ. के कार्यकारी बोर्ड का गठन 34 तकनीकी रूप से योग्यता प्राप्त सदस्यों द्वारा होता है। इसका गठन 3 वर्ष के लिये किया जाता है।
  • इसकी बैठकों में सदस्य डब्ल्यू.एच.ए. के एजेंडे व स्वास्थ्य सभा द्वारा विचार किये जाने वाले प्रस्तावों पर सहमत होते हैं।
  • बोर्ड का मुख्य कार्य डब्ल्यू.एच.ए. के निर्णयों व नीतियों को लागू करना, सलाह जारी करना और अपने कार्यो को और सुविधाजनक बनाना है।

डब्ल्यू.एच.ओ. तथा अमेरिका व चीन के मध्य संघर्ष

  • हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा डब्ल्यू.एच.ओ. के महानिदेशक को एक पत्र लिखा गया है। इस पत्र में श्री ट्रम्प ने कहा है कि यदि 30 दिनों के भीतर डब्ल्यू.एच.ओ. में अपेक्षित प्रमुख ठोस सुधार नहीं किये जाते है तो अमेरिका द्वारा दी जा रही फंडिंग पर लगी अस्थाई रोक को स्थाई कर दिया जाएगा। साथ ही यह भी कहा कि अमेरिका इस संगठन में अपनी सदस्यता पर पुनर्विचार करेगा।
  • इसके विपरीत, विश्व स्वास्थ्य सभा के अधिवेशन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वायरस से लड़ने के लिये $ 2 बिलियन की सहायता का वचन दिया है।
  • इसके अलावा, चीन ने 30 अफ्रीकी अस्पतालों को भी सहायता प्रदान करने और अफ्रीकी रोग नियंत्रण केंद्र के मुख्यालय के निर्माण कार्य में तेजी लाने का वादा किया है। साथ ही चीन द्वारा वैक्सीन के विकास की स्थिति में वैश्विक हित में इसे सार्वजानिक रूप से उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया है।
  • चीन के बढ़ते प्रभुत्त्व और भारत द्वारा डब्ल्यू.एच.ओ. के कार्यकारी बोर्ड की अध्यक्षता जैसी परिस्थितियों के बीच भारत को इस शक्ति परिदृश्य में स्पष्टवादिता और चातुर्य के साथ आगे बढ़ना चाहिये।

महामारी के रोकथाम व नियंत्रण को प्राथमिक बनाना

  • सर्वप्रथम, भारत को इस बात पर ज़ोर देना चाहिये कि महामारी की रोकथाम व नियंत्रण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रमुख प्राथमिकता हो।
  • जैसे ही वायरस के संक्रमण की श्रृंखला टूटती है, SARS-CoV-2 के पशु-से-मानव में संक्रमण की उत्पत्ति की पहचान व जाँच के लिये ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
  • कोविड-19 के ज़ूनोटिक उत्पत्ति (पशु-से-मानव संक्रमण) की जाँच करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय पहुँच को सुविधाजनक बनाने में चीन की रुचि है क्योंकि इसमें चीन के साझा हित जुड़े हुए हैं।
  • चीन की रूचि का एक कारण वुहान और पहले से संक्रमित अन्य क्षेत्रों में अभी भी वायरस के पुनः संक्रमण के जोखिम हेतु अतिसम्वेदनशील स्थिति हैं।

महामारी के प्रति चीन और डब्ल्यू.एच.ओ. की प्रतिक्रिया की समीक्षा

  • महामारी के संक्रमण के प्रति डब्ल्यू.एच.ओ. व चीन द्वारा शुरुआती प्रतिक्रिया की स्वतंत्र और व्यापक समीक्षा करने के लिये भारत को डब्ल्यू.एच.ओ. सचिवालय का सहारा लेना चाहिये।
  • डब्ल्यू.एच.ओ. के नेतृत्व और क्षमता के साथ-साथ सदस्य राज्यों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमों के कार्यान्वयन के लिये समीक्षा के निष्कर्षो में सर्वोत्तम तरीकों को स्पष्ट करने और सुधार वाले क्षेत्रों को प्रमुखता से अंकित किया जाना चाहिये।
  • विश्व स्तर के प्रसिद्ध महामारी विज्ञानियों ने डब्ल्यू.एच.ओ. व चीन के संयुक्त प्रयासों के तहत कोविड-19 के प्रति चीन की शुरुआती प्रतिक्रिया को बीमारियों की रोकथाम के इतिहास में सबसे महत्त्वाकांक्षी, फुर्तीला व आक्रामक प्रयास कहा है।
  • ऐसी स्थिति में समीक्षा रिपोर्ट के निष्कर्ष भारत सहित अन्य कई देशों को निराश कर सकते हैं जो चीन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे। हालाँकि भारत ने अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की है, फिर भी रिपोर्ट के निष्कर्षों और विभिन्न देशों के मध्य सामंजस्य बनाना भारत की प्राथमिकता होनी चाहिये।

अधिकतम लोगों तक कोविड-19 की वैक्सीन तक न्यायसंगत पहुँच सुनिश्चित करना

  • कोविड-19 के उपचारों व टीकों तक सभी देशों के लिये समान पहुँच सुनिश्चित करने हेतु भारत को एक उपयुक्त बहुपक्षीय शासन तंत्र की स्थापना को बढ़ावा देना चाहिये ।
  • साथ ही, पेटेंट अधिकारों और विनियामक परीक्षण के आँकड़ों को एकत्र करने के लिये परिकल्पित स्वैच्छिक पूलिंग तंत्र को संकट की आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित किया जाना चाहिये।
  • इसके अलावा, विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के प्रावधानों को भी निलम्बित किया जाना चाहिये क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान सस्ते टीका की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु नियमों में छूट की अनुमति दी जाती है।

विश्व स्वास्थ्य सभा और ताइवान का मुद्दा

  • भारत को विश्व स्वास्थ्य सभा में पर्यवेक्षक के रूप में ताइवान को फिर से स्थान दिलाने के पश्चिम के अभियान से या तो अलग या तटस्थ रहना चाहिये।
  • वर्ष 2016 में ताइपे ने अंतिम बार इसमें भाग लिया था। उस समय संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रस्ताव संख्या 2758, जिसके तहत संयुक्त राष्ट्र ताइवान को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का अभिन्न अंग मानता है, के दौरान भारत ने स्पष्ट रूप से ऐसा ही किया था।
  • स्वतंत्र ताइवान के तरफ झुकाव वाली साई सरकार (Tsai) अपनी उपस्थिति के लिये उपरोक्त आधार को स्वीकार करने के लिये तैयार नहीं है। यह चीन या अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से समर्थन प्राप्त करने की अपेक्षा घरेलू स्तर पर राजनीतिक पैंतरेबाज़ी अधिक मालूम पड़ती है।

जंगली जानवरों के उपभोग पर वैश्विक प्रतिबंध

  • अंतत:, भारत को वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रजातियों के संरक्षण और पारम्परिक आजीविका के हितों जैसे सीमित अपवादों को छोड़कर जंगली जानवरों के उपभोग व व्यापार पर एक स्थायी तथा वैश्विक प्रतिबंध का नेतृत्व करना चाहिये।
  • नए संक्रमण व बीमारियों के लगभग दो-तिहाई मामलें वन्यजीवों के कारण उत्पन्न हो रहे हैं। साथ ही, प्राकृतिक आवासों के विनाश और जैव विविधता के नुकसान को और अधिक गम्भीरता से लिये जाने की ज़रुरत है।

निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है की भारत को कोविड-19 महामारी के कारण विभिन्न क्षेत्रों में उजागर हुई कमियों को दूर करने और डब्ल्यू.एच.ओ. की विश्वसनीयता को पुनः कायम करने के लिये तेज़ी और बुद्धिमत्ता से कार्य करते हुए वैश्विक नेतृत्त्व करना चाहिये।

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