(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामायिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र– 1 : कला एवं संस्कृति)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, ‘सिंचाई एवं जल निकासी पर अंतर्राष्ट्रीय आयोग’ (WHIS) द्वारा भारत के चार स्थलों को विश्व धरोहर सिंचाई संरचना स्थल के रूप में मान्यता दी गयी है।
शामिल किये गए स्थल
- इसमें आंध्र प्रदेश का कुंबुम टैंक, कुर्नूल-कुडापाह नहर, पोरुमामिल्ला टैंक (अनंतराज सागरम) तथा महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग ज़िले में 490 वर्ष पुरानी झील धामपुर शामिल हैं।
- वर्ष 2018 में तेलंगाना के कामरेड्डी ज़िले में स्थित पेद्दा चेरू टैंक तथा निर्मल ज़िले में स्थित सदरमट एनीकट को डब्ल्यू.एच.आई.एस. स्थल के रूप में नामित किया गया था।
शामिल अन्य स्थल
- विश्व स्तर पर अन्य मान्यता प्राप्त स्थलों में इस वर्ष चीन की 4, ईरान की 2, तथा जापान की 3 संरचनाएँ शामिल की गई हैं। 42 स्थलों के साथ जापान में अब इन स्थलों संख्या सबसे अधिक है, जबकि चीन में 23 तथा भारत, ईरान और श्रीलंका के 6-6 स्थल शामिल हैं।
- प्रत्येक देश में इससे सम्बंधित एक राष्ट्रीय समिति होती है जो अपने स्थलों के बारे में आई.सी.आई.डी. के साथ जानकारी साझा करती है। जिसके पश्चात इसे अंतर्राष्ट्रीय जूरी को सौंपा जाता है।
क्या हैं मानदण्ड?
- डब्ल्यू.एच.आई.एस. का दर्जा प्राप्त करने के लिये प्रमुख मानदंड यह हैं कि कोई संरचना 100 वर्ष से अधिक पुरानी, कार्यात्मक, खाद्य सुरक्षा प्राप्त और अभिलेखीय मूल्य की होनी चाहिये।
- सर्वप्रथम राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक स्थल के गुणों के आधार पर उसका मूल्यांकन किया जाता है और प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाता है, फिर सी.डब्ल्यू.सी. (Central Water Commission) की एक टीम विवरणों को सत्यापित करने के लिए ज़मीनी सर्वेक्षण (ऑन-ग्राउंड) करती है।
सिंचाई एवं जल निकासी पर अंतर्राष्ट्रीय आयोग (International Commission on Irrigation and Drainage-ICID)
- आई.सी.आई.डी. वर्ष 1950 में स्थापित सिंचाई, जल निकासी और बाढ़ प्रबंधन विशेषज्ञों का एक वैश्विक गैर-लाभकारी, गैर-सरकारी संगठन है जो प्रतिवर्ष यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों की भांति अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सिंचाई संरचनाओं को मान्यता देता है।
- इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर की सभ्यताओं में सिंचाई के विकास सम्बंधी इतिहास की पहचान कर 'सतत् कृषि जल प्रबंधन' को बढ़ावा देना है। साथ ही, इन संरचनाओं के माध्यम से सतत् सिंचाई के दर्शन और ज्ञान को समझकर उन्हें भावी पीढ़ियों के लिये संरक्षित करना है।
धामपुर झील
- धामपुर झील द्वारा प्रत्येक वर्ष 237 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है। इस झील को जल की प्राप्ति कावड़ेवाड़ी और गुरुमवाड़ी बांध से निकलने वाली दो धाराओं से होती है। यह स्थल धामपुर और काल्से के ग्रामीणों द्वारा वर्ष 1530 में बनाया गया था।
- धामपुर झील भारत में शीर्ष 100 आर्द्रभूमि में से एक है, जिसकी पहचान केंद्र सरकार ने तेज़ी से बहाली और सुधार के लिये की है। इसे महाराष्ट्र सरकार द्वारा रामसर साइट (अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि) के रूप में प्रस्तावित किये जाने की उम्मीद है। इस वेटलैंड में 193 पुष्प और 247 पशुवर्गीय प्रजातियाँ पाई जाती हैं।