प्रतिवर्ष 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता दिवस मनाया जाता है।
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने में आयोडीन की आवश्यक भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना और आयोडीन की कमी के परिणामों पर बल देना है।
यह दैनिक पोषण में आयोडीन के महत्व और इसकी कमी संबंधी विकारों को रोकने में आयोडीन के महत्व को रेखांकित करता है।
आयोडीन
आयोडीन थायराइड हार्मोन, थायरोक्सिन (टी4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) का एक आवश्यक घटक है
यह चयापचय को नियंत्रित करता है और भ्रूण तथा शिशु के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
खाद्य पदार्थों और आयोडीन युक्त नमक में पाया जाने वाला आयोडीन सोडियम और पोटेशियम नमक, अकार्बनिक आयोडीन (I2), आयोडेट और आयोडाइड सहित कई रूपों में मौजूद होता है।
आयोडाइड, सबसे सामान्य रूप है जो पेट में तेजी से अवशोषित होता है और थायराइड द्वारा हार्मोन उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है।
अतिरिक्त आयोडाइड मूत्र के माध्यम से उत्सर्जित होता है।
आयोडीन की कमी
अपर्याप्त आयोडीन के कारण थायराइड हार्मोन का उत्पादन कम होता है जिसके परिणामस्वरूप आयोडीन अल्पता वाले विकार होते हैं।
आयोडीन की कमी की से गर्भवती महिलाओं में भ्रूण में न्यूरोडेवलपमेंटल समस्या और विकास मंदता तथा गर्भपात और प्रसव के दौरान शिशु की मृत्यु होने का खतरा रहता है।
दीर्घकालिक और अत्यधिक आयोडीन की कमी से गर्भाशय में क्रेटिनिज्म की स्थिति बन जाती है
इसमें बौद्धिक अक्षमता, बधिर मूकता, मोटर स्पास्टिसिटी, विलंबित विकास, विलंबित यौन परिपक्वता और अन्य शारीरिक तथा तंत्रिका संबंधी असामान्यताएं हो सकती हैं।
शिशुओं और बच्चों में आयोडीन की कमी से न्यूरोडेवलपमेंटल विकार जैसे- औसत से कम बुद्धि का विकास होता है।
वयस्कों में हल्की से मध्यम आयोडीन की कमी से घेंघा रोग हो सकता है साथ ही हाइपोथायरायडिज्म के कारण मानसिक विकार और कार्य उत्पादकता में कमी आती है।
दीर्घकालिक आयोडीन की कमी से थायरॉइड कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।
प्रश्न - विश्व आयोडीन अल्पता दिवस कब मनाया जाता है ?