चर्चा में क्यों?
हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व मलेरिया रिपोर्ट, 2020 जारी की गई है।
प्रमुख बिंदु
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने मलेरिया के मामलों में कमी लाने की दिशा में प्रभावी प्रगति की है। इस रिपोर्ट में गणितीय अनुमानों के आधार पर विश्वभर में मलेरिया के अनुमानित मामलों के आँकड़े जारी किये जाते हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत इस बीमारी से प्रभावित अकेला ऐसा देश है, जहाँ वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 में इस बीमारी के मामलों में 6% की गिरावट दर्ज की गई है।
- भारत का एनुअल पेरासिटिक इंसीडेंस (API) वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2018 में 6% था, जो वर्ष 2019 में वर्ष 2018 के मुकाबले 18.4% पर आ गया। विदित है कि ए.पी.आई. प्रति 1000 जोखिमपूर्ण जनसंख्या पर सकारात्मक मामलों की कुल संख्या है।
- भारत में वर्ष 2000 से 2019 के बीच मलेरिया के मामलों में 8% की गिरावट तथा मृत्यु के मामलों में 73.9% की गिरावट आई है। साथ ही, भारत में मलेरिया के क्षेत्रवार मामलों में भी महत्त्वपूर्ण कमी देखी गई है।
अन्य तथ्य
- देश में मलेरिया उन्मूलन प्रयास वर्ष 2015 में शुरू हुए थे और वर्ष 2016 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा नेशनल फ्रेमवर्क फॉर मलेरिया एलिमिनेशन (NFME) की शुरुआत के बाद से इन प्रयासों में तेजी आई। स्वास्थ्य मंत्रालय ने वर्ष 2017 में मलेरिया उन्मूलन के लिये एक राष्ट्रीय रणनीतिक योजना के तहत पाँच वर्षों (2017 से 2022) के लिये एक रणनीति तैयार की।
उच्च जोखिम और उच्च प्रभाव पहल
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आर.बी.एम. (Roll Back Malaria) की भागीदारी से मलेरिया के अत्यधिक जोखिम वाले 11 देशों में उच्च जोखिम और उच्चा प्रभाव (HBHI) पहल शुरू की है, जिसमें भारत भी शामिल है। इस पहल को भारत के चार राज्यों पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में जुलाई, 2019 में शुरू किया गया। इसमें प्रगति का पैमाना ‘उच्च जोखिम से उच्च प्रभाव’ तक पहुँचना रखा गया। अब तक मलेरिया उन्मूलन पहल भारत में काफी हद तक प्रभावी रही है।