इसका उद्देश्य पोलियो वायरस को लेकर जागरुकता फैलाना और समय पर बच्चों को इसका टीका लगाने के लिए प्रेरित करना है
विश्व पोलियो दिवस 2024 की थीम - "हर बच्चे तक पहुंचने के लिए एक वैश्विक मिशन"
विश्व पोलियो दिवस की शुरुआत वर्ष 2002 में हुई थी।
पोलियो
यह वायरस जनित एक अत्यधिक संक्रामक रोग है।
यह पोलियो वायरस के कारण होता है
यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और कुछ ही घंटों में पूर्ण पक्षाघात का कारण बन सकता है।
पोलियो वायरस गंदे पानी या खाने की वजह से फैलता है।
इसके अलावा, यह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी फैलता है।
मनुष्य पोलियो वायरस के लिए एकमात्र प्राकृतिक मेजबान हैं।
पोलियो मुख्यतः 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है।
किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति जिसका टीकाकरण नहीं हुआ है, उसे यह बीमारी हो सकती है।
पोलियो का कोई इलाज नहीं है।
इसे टीका के माध्यम से रोका जा सकता है।
पोलियो का पहला टीका जोनास साल्क द्वारा विकसित किया गया था।
पोलियो दो टीके उपलब्ध हैं-
निष्क्रिय पोलियो टीका (IPV) : इसे जोनास साल्क विकसित इस टीके को 12 अप्रैल 1955 को पहली बार मान्यता प्रदान की गई थी।
मौखिक पोलियो टीका (OPV) : इसे अल्बर्ट साबिन द्वारा विकसित किया गया था। इसमें जीवित एवं कमजोर रूप में वायरस का उपयोग किया जाता है और इसे बूंदों के रूप में या चीनी क्यूब पर मौखिक रूप से दिया जा सकता था।
पोलियो के प्रकार
परिसंचारी वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस
यह तब होता है जब OPV से कमज़ोर वायरस कम टीकाकरण कवरेज वाले समुदायों में फैलता है।
यह लंबे समय तक लोगों के बीच प्रसारित हो सकता है और संभावित रूप से पोलियो के प्रकोप का कारण बन सकता है।
निष्क्रिय वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस (iVDPV)
यह प्रकार अति दुर्लभ है और ऐसे व्यक्तियों में ही होता है जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली किसी किसी विशिष्ट स्थिति या रोग के कारण प्रभावित है।
वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियो वायरस
यह पोलियो वैक्सीन में शामिल कमज़ोर वायरस के उत्परिवर्तित के कारण फैलता है।
यह दुर्लभ मामलों में कमज़ोर प्रतिरक्षा वाली आबादी में उत्परिवर्तित होता है।
वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस से जुड़े जोखिमों के मद्देनज़र, कई देशों ने निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (IPV) का उपयोग करना शुरू कर दिया है, जिसमें वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियो का जोखिम नहीं होता है।