संदर्भ
हाल ही में, रिबन नामक दुनिया के सबसे बड़ा पौधे/खरपतवारको ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट पर खोजा गया है।यह एक समुद्री घास है जिसकी लंबाई 180 किमी. है।
रिबन वीड
- शोधकर्ताओं ने रिबन खरपतवारको शार्क की खाड़ी में खोजा है। इसका वैज्ञानिक नाम पॉसिडोनिया ऑस्ट्रेलिस (Posidoniaaustralis) है। यह पौधा 4,500 वर्ष पुराना है, जो 20,000 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तृत है।
- यह खरपतवार प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपना अस्तित्व बनाए रख सकता है, क्योंकि यह एक पॉलीप्लोइड (Polyploid) है अर्थात् यह माता-पिता दोनों से आधा-आधा जीनोम लेने के बजाय 100% जीनोम ग्रहण करते हैं। इसलिये इस खरपतवार में समान किस्म के अन्य पौधों की तुलना में गुणसूत्रों की संख्या दोगुनी होती है।
- विदित है कि विश्व का दूसरा सबसे बड़ा पौधासंयुक्त राज्य अमेरिका के यूटा (Utah) में एक क्वेकिंग एस्पेन ट्री का क्लोनल कॉलोनी है, जो 43.6 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तृत है। जबकि भारत का सबसे बड़ा पेड़हावड़ा के बॉटनिकल गार्डन में विशालकाय बरगद है जो 1.41 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है।
समुद्री घास के लाभ
- समुद्री घास पर्यावरण में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभातेहैं। समुद्री घास की प्रजाति कठोर जलवायु परिस्थितियों में भी अपना अस्तित्व बनाये रख सकती है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों में सहायक है।
- समुद्री घास विभिन्न प्रकार के छोटे जीवों का आश्रय स्थल होने के अतिरिक्त तलछट को छानकर जल को प्रदूषित होने से रोकते हैं।
- यह वातावरण से कार्बन को अवशोषित करने के साथ ही तटीय क्षरण को भी रोकते हैं।
- भारत के तटीय क्षेत्रोंमुख्यतया मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरूमध्य में भी समुद्री घास की प्रजातियाँ पाई जाती है।