(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।) |
संदर्भ
संयुक्त राष्ट्र संघ के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (UN DESA) द्वारा 24 अप्रैल 2025 को ‘सामाजिक प्रगति को तेज़ करने के लिए एक नई नीतिगत सहमति’ थीम के साथ विश्व सामाजिक रिपोर्ट 2025 प्रकाशित की गई।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
वैश्विक सामाजिक संकट की चेतावनी
- रिपोर्ट के अनुसार, आर्थिक असुरक्षा, बढ़ती असमानता, सामाजिक विश्वास में गिरावट और सामाजिक विखंडन से समाजों में अस्थिरता बढ़ रही है।
- सामाजिक प्रगति की धीमी गति
- वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच, लैंगिक समानता जैसे लक्ष्यों में सुधार की गति कम हुई है।
- COVID-19, जलवायु संकट और आर्थिक अस्थिरता ने सामाजिक विकास को वर्षों पीछे धकेल दिया है।
- असमानता का विस्तार
- आय, शिक्षा और डिजिटल पहुँच के क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक असमानता बढ़ रही है।
- यह असमानता विश्वास की कमी, ध्रुवीकरण और सामाजिक विघटन को बढ़ावा देती है।
नई नीतिगत सहमति की आवश्यकता
रिपोर्ट में सामाजिक प्रगति को तेज़ करने के लिए नई नीतिगत सहमति की आवश्यकता पर बल दिया गया है। यह पाँच स्तंभों पर आधारित एक नई नीतिगत रूपरेखा का सुझाव देती है:
- सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा
- सभी के लिए न्यूनतम जीवन स्तर की गारंटी देने की ज़रूरत है।
- सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवाएँ, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा महत्त्वपूर्ण हैं।
- सम्मानजनक एवं समावेशी श्रम प्रणाली
- अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों को सुरक्षा दी जाए।
- गिग इकॉनॉमी में काम करने वालों के लिए भी सुरक्षा उपाय हों।
- बचपन और युवाओं में निवेश
- शिक्षा, पोषण और डिजिटल शिक्षा की समान पहुँच।
- बाल श्रम और बाल-विवाह की समाप्ति पर ज़ोर।
- डिजिटल परिवर्तन को समावेशी बनाना
- डिजिटल पहुँच को सभी वर्गों तक लाना।
- AI व डिजिटल सेवाओं को सामाजिक भलाई के लिए उपयोग करना।
- सतत विकास के साथ सामाजिक न्याय
- हरित विकास और "Green Jobs" को बढ़ावा देना।
- सामाजिक नीति को पर्यावरणीय नीतियों से जोड़ना।
- समावेशी विकास और सामाजिक न्याय पर बल: रिपोर्ट में समावेशी विकास और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए समन्वित सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय नीतियों की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
भारत के लिए प्रासंगिकता
- रिपोर्ट के अनुसार भारत में भी सामाजिक असमानता और आर्थिक असुरक्षा की चुनौतियाँ मौजूद हैं।
- रिपोर्ट की सिफारिशें भारत की योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम और आयुष्मान भारत के साथ मेल खाती हैं।
निष्कर्ष
विश्व सामाजिक रिपोर्ट 2025 के अनुसार सामाजिक प्रगति को तेज़ करने के लिए नई नीतिगत सहमति और समावेशी नीतियों की आवश्यकता है। यह रिपोर्ट नीति निर्माताओं के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य कर सकती है।
इसे भी जानिए
संयुक्त राष्ट्र संघ के आर्थिक और सामाजिक मामलों का विभाग
- स्थापना : वर्ष 1948
- मुख्यालय: न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका (United Nations Headquarters)
- आधिकारिक भाषा: अंग्रेजी (मुख्य), लेकिन संयुक्त राष्ट्र की सभी छह आधिकारिक भाषाओं का उपयोग
- महत्त्वपूर्ण पद: अंडर-सेक्रेटरी जनरल (Under-Secretary-General) इसके प्रमुख होते हैं। वर्तमान में Li Junhua (चीन) इसके प्रमुख हैं।
- मुख्य उद्देश्य : वैश्विक आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय नीतियों को मजबूत करना, ताकि सतत विकास और सभी के लिए एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।
प्रमुख कार्य और जिम्मेदारियाँ
- नीति अनुसंधान और विश्लेषण
- वैश्विक मुद्दों पर रिपोर्ट तैयार करना (जैसे: गरीबी, असमानता, पर्यावरणीय संकट, जनसंख्या वृद्धि)।
- सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्रगति का मूल्यांकन करना।
- सहायता और सलाह
- सदस्य देशों को सामाजिक-आर्थिक नीतियों के निर्माण में तकनीकी सहायता प्रदान करना।
- विकासशील देशों की विशेष सहायता करना।
- आंकड़ों का संकलन और प्रकाशन
- विश्व जनसंख्या रिपोर्ट, वर्ल्ड सोशल रिपोर्ट, वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन एंड प्रॉस्पेक्ट्स जैसी महत्वपूर्ण रिपोर्टें प्रकाशित करना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना
- वैश्विक मंचों पर सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर बहस और सहयोग को प्रोत्साहित करना (जैसे ECOSOC - आर्थिक और सामाजिक परिषद के माध्यम से)।
कार्य क्षेत्र
- सतत विकास
- सामाजिक नीति और समावेशन
- जनसंख्या और विकास
- सार्वजनिक प्रशासन और शासन
- जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय स्थिरता
- डिजिटल सहयोग और तकनीकी विकास
प्रकाशन
- विश्व सामाजिक रिपोर्ट
- विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएँ
- वैश्विक सतत विकास रिपोर्ट
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