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विश्व का पहला CO2 कैप्चर संयंत्र और CO2-से-मेथनॉल संयंत्र

(प्रारंभिक परीक्षा, सामान्य अध्ययन 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि। | संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।)

संदर्भ 

  • हाल ही में भारत की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादक कंपनी NTPC ने अपने 50वें स्थापना दिवस के अवसर पर विंध्याचल संयंत्र (सिंगरौली, मध्य प्रदेश) में दुनिया के पहले CO2 कैप्चर संयंत्र और CO2-से-मेथनॉल रूपांतरण संयंत्र का उद्घाटन किया।
  • इनका उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन और स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों की आवश्यकता जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करना है। 

राष्ट्रीय थर्मल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NTPC)

  • परिचय : यह भारत की सबसे बड़ी विद्युत कंपनी है जो  विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत एक महारत्न श्रेणी का केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम है।
  • स्थापना : वर्ष 1975
  • मुख्यालय : नई दिल्ली
  • मुख्य कार्य : भारतीय राज्य विद्युत बोर्डों के लिए बिजली उत्पन्न करना और वितरित करना।

CO2 कैप्चर संयंत्र के बारे में 

  • CO2 कैप्चर संयंत्र को बिजली संयंत्रों द्वारा उत्सर्जित फ्लू गैसों से सीधे कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को कैप्चर के लिए डिज़ाइन किया गया है। 
    • CO2 ग्रीनहाउस गैस का एक प्रमुख स्रोत हैं। 
  • कैप्चर की गई CO2 को संग्रहीत कर इसका विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं में उपयोग किया जा सकता है> 
    • इसमें मेथनॉल जैसे टिकाऊ ईंधन में रूपांतरण भी शामिल है।

CO2-से-मेथनॉल संयंत्र के बारे में 

  • CO2-से-मेथनॉल संयंत्र को कैप्चर किए गए CO2 को मेथनॉल में परिवर्तित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।  
  • यह संयंत्र अपशिष्ट CO2  को एक उपयोगी उत्पाद में बदलकर कार्बन न्यूनीकरण में मदद करता है।

प्रौद्योगिकी (Technology) : 

  • कैप्चर की गई CO2 को मेथनॉल में बदलने के लिए एक रासायनिक प्रक्रिया की आवश्यकता होती है जिसके लिए हाइड्रोजन के स्रोत महत्वपूर्ण हैं। 
  • NTPC एक PEM (प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन) इलेक्ट्रोलाइज़र द्वारा उत्पादित हाइड्रोजन का उपयोग करता है, जो पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करने के लिए विद्युत (विशेषतः पवन या सौर जैसे नवीकरणीय स्रोतों से) का उपयोग करता है। 
  • फिर हाइड्रोजन को मेथनॉल संश्लेषण प्रक्रिया में कैप्चर की गई CO2 के साथ जोड़ा जाता है, जहाँ यह मेथनॉल बनाने के लिए प्रतिक्रिया करता है ।

मुख्य विशेषताएँ  और लाभ

  • सततता (Sustainability) : CO2  को कैप्चर करना और मेथनॉल में परिवर्तित करना औद्योगिक संचालन, विशेष रूप से विद्युत क्षेत्र में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद करता है। 
    • यह उद्योगों को कार्बन मुक्त करने के वैश्विक प्रयासों, (जैसे कि पेरिस समझौते के तहत लक्ष्यों में निर्धारित है) के साथ संरेखित है और NTPC के सतत ऊर्जा के प्रति प्रतिबद्धता का समर्थन करता है।
    • इस तकनीक को शुद्ध-शून्य उत्सर्जन को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, विशेष रूप से उन उद्योगों के लिए  जहाँ डीकार्बोनाइजेशन कठिन है (जैसे, ऊर्जा, सीमेंट, स्टील उद्योग आदि)।
  • नवाचार (Innovation) : ये संयंत्र अत्याधुनिक नवाचार हैं जो ऊर्जा प्रौद्योगिकी और पर्यावरणीय स्थिरता में NTPC के नेतृत्व को प्रदर्शित करते हैं। मेथनॉल उत्पादन के साथCO2 कैप्चर का एकीकरण कार्बन प्रबंधन के क्षेत्र में एक नया दृष्टिकोण है।
  • चक्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान (Contribution to Circular Economy) : अपशिष्ट CO2 को व्यावसायिक रूप से मूल्यवान उत्पाद (मेथनॉल) में परिवर्तित करने से चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। 
    • इस प्रकार जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो जाती है और औद्योगिक प्रक्रियाओं को हरित बनाने में योगदान मिलता है ।
  • स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण का समर्थन (Supporting Clean Energy Transition) : यह स्वच्छ ईंधन की ओर संक्रमण और भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। 
    • यह हरित मेथनॉल के निर्माण का समर्थन करता है, जिसका उपयोग परिवहन और विमानन सहित विभिन्न क्षेत्रों में एक सतत ईंधन के रूप में किया जा सकता है।

निष्कर्ष

  • NTPC का CO2  कैप्चर संयंत्र और CO2 -से-मेथनॉल संयंत्र कंपनी की टिकाऊ और कम कार्बन ऊर्जा भविष्य की यात्रा में महत्वपूर्ण मील के पत्थर हैं। ये अग्रणी संयंत्र न केवल CO2 उत्सर्जन को कम करने में मदद करते हैं बल्कि कैप्चर किए गए कार्बन को एक मूल्यवान संसाधन में परिवर्तित करते हैं, जो स्वच्छ ईंधन उत्पादन और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में योगदान देता है। 
  • इन अभिनव कदमों के साथ, NTPC कार्बन प्रबंधन में एक वैश्विक उदाहरण स्थापित कर रहा है और ऐसी तकनीकों को आगे बढ़ा रहा है जो ऊर्जा व सतत भविष्य को नया आकार दे सकती हैं।

मेथनॉल के बारे में

  • मेथनॉल (CH₃OH) एक सरल अल्कोहल है जिसे मिथाइल अल्कोहल या वुड अल्कोहल के नाम से भी जाना जाता है  जिसका उपयोग कई तरह की औद्योगिक और रासायनिक प्रक्रियाओं में किया जाता है। 
  • यह एक रंगहीन, ज्वलनशील तरल है जिसमें हल्की गंध होती है और यह अपनी रासायनिक संरचना के संदर्भ में सबसे सरल अल्कोहल है। 
  • इसमें एकल कार्बन परमाणु होता है, जो तीन हाइड्रोजन परमाणुओं और एक हाइड्रॉक्सिल समूह (-OH) से बंधा होता है।

मेथनॉल के स्रोत

  • प्राकृतिक स्रोत : मेथनॉल प्राकृतिक स्रोतों में कम मात्रा में पाया जाता है, जिसमें लकड़ी, कुछ फल और सब्ज़ियाँ शामिल हैं। ये पौधे के चयापचय के उपोत्पाद के रूप में होती हैं।
  • औद्योगिक उत्पादन : मेथनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से प्राकृतिक गैस (मीथेन) के स्टीम रिफॉर्मिंग नामक सिंथेटिक प्रक्रिया के माध्यम से या कोयले, बायोमास अथवा बायोगैस से किया जाता है। 

मेथनॉल के उपयोग

  • रासायनिक फीडस्टॉक : मेथनॉल विभिन्न रसायनों के उत्पादन में एक बुनियादी फीडस्टॉक है, जिसमें फॉर्मेल्डिहाइड, एसिटिक एसिड, मिथाइल एस्टर, प्लास्टिक और फार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं । 
  • ईंधन और ऊर्जा : मेथनॉल का उपयोग अकेले या गैसोलीन के साथ मिश्रित (M85 या M100 के रूप में) करके आंतरिक दहन इंजनों में वैकल्पिक ईंधन के रूप में किया जा सकता है। 
  • जैव ईंधन : नवीकरणीय संसाधनों (जैसे, बायोमास या अपशिष्ट पदार्थ) से प्राप्त मेथनॉल का उपयोग परिवहन एवं ऊर्जा क्षेत्रों में जैव ईंधन या हरित ईंधन के रूप में तेजी से किया जा रहा है।
  • विलायक : मेथनॉल का व्यापक रूप से विभिन्न औद्योगिक अनुप्रयोगों में विलायक के रूप में उपयोग किया जाता है, जिसमें पेंट, रोगन, वार्निश, स्याही और प्राकृतिक पदार्थों के निष्कर्षण शामिल हैं।
  • एंटीफ्रीज़ और डी-आइसिंग एजेंट : इसके निम्न हिमांक (-97.6°C) के कारण, इसका उपयोग ऑटोमोबाइल रेडिएटर्स के लिए एंटीफ्रीज मिश्रण में तथा विमान के पंखों और रनवे के लिए डी-आइसिंग एजेंट के रूप में किया जाता है।
  • फॉर्मेल्डिहाइड का उत्पादन : मेथनॉल का उपयोग फॉर्मेल्डिहाइड के बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन में किया जाता है। 
    • यह प्लास्टिक, रेजिन और चिपकने वाले पदार्थों के उत्पादन में एक प्रमुख घटक है ।
  • संधारणीय मेथनॉल (ग्रीन मेथनॉल) : उद्योगों और परिवहन में उभरते स्वच्छ ईंधन के रूप में, ग्रीन मेथनॉल का उत्पादन अक्षय ऊर्जा स्रोतों (जैसे, हवा या औद्योगिक उत्सर्जन से प्राप्त CO2  और अक्षय बिजली से प्राप्त हाइड्रोजन) का उपयोग करके किया जाता है। 
    • इसे संभावित कार्बन-तटस्थ ईंधन विकल्प के रूप में देखा जाता है ।

पर्यावरण एवं सुरक्षा संबंधी चिंताएं

  • विषाक्तता : मेथनॉल विषाक्तता गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है, जिससे अंधापन, अंग विफलता और मृत्यु तक हो सकती है। 
  • ज्वलनशीलता : मेथनॉल अत्यधिक ज्वलनशील होता है। वस्तुतः गर्मी, चिंगारी या खुली लपटों के संपर्क में आने पर आसानी से जल सकता है। 
  • कार्बन फुटप्रिंट : जब ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है, तो मेथनॉल दहन के समय स्वयं CO2 उत्सर्जन करता है, लेकिन इसका हरित उत्पादन (कैप्चर किए गएCO2 और नवीकरणीय हाइड्रोजन का उपयोग करके) कार्बन-तटस्थ चक्र का परिणाम हो सकता है। 
    • इस प्रकार यह टिकाऊ ऊर्जा संक्रमण में एक आकर्षक विकल्प बन जाता है।
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