प्रारंभिक परीक्षा – WPI मुद्रास्फीति मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र:3–महंगाई दर, मौद्रिक नीति |
चर्चा में क्यों?
- सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर मई में घटकर -3.48 प्रतिशत हो गई है।
- सरकार द्वारा मई 2023 के थोक महंगाई दर (WPI) के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं।
- अप्रैल में थोक महंगाई दर -0.92% रही थी।
- इससे पहले जून में जारी आंकड़ों के अनुसार खुदरा महंगाई दर मई में घटकर 4.25% पर आ गई।
- यह दो सालों में खुदरा महंगाई दर का सबसे निचला स्तर है।
थोक मूल्य सूचकांक
- थोक मूल्य सूचकांक (WPI) का कार्य थोक में बेची और व्यापार की जाने वाली वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन को मापना है।
- इसकी गणना और इसके आंकड़ों का प्रकाशन आर्थिक सलाहकार कार्यालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
- यह भारत में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मुद्रास्फीति सूचक है।
- इस सूचकांक की प्रमुख आलोचना यह की जाती है कि आम जनता उत्पादों को थोक मूल्य पर नहीं खरीदती है।
- अखिल भारतीय थोक मूल्य सूचकांक का आधार वर्ष 2011-12 है।
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) कैसे काम करता है?
- उत्पादक और थोक कीमतों में परिवर्तन की समग्र दर को पता करने के लिए थोक मूल्य सूचकांक मासिक रिपोर्ट तैयार किए जाते हैं।
- सूचकांक को इसकी आधार अवधि के लिए 100 पर सेट किया जाता है , और माल के कुल उत्पादन के लिए बाद के मूल्य परिवर्तनों के आधार पर इसकी गणना की जाती है।
- उदाहरण के लिए, मान लें कि जनवरी 2021 आधार अवधि है।
- यदि अगले वर्ष कुल मूल्य स्तर 9.7% बढ़ा, तो जनवरी 2022 के लिए WPI 7 पर होगा।
- WPI आम तौर पर कमोडिटी की कीमतों को ध्यान में रखता है, लेकिन इसमें शामिल उत्पाद अलग-अलग देशों में अलग-अलग होते हैं।
- वे वर्तमान अर्थव्यवस्था को बेहतर ढंग से दर्शाने के लिए आवश्यकतानुसार परिवर्तन के अधीन भी हैं।
- कुछ छोटे देश केवल 100 से 200 उत्पादों की कीमतों की तुलना करते हैं, जबकि बड़े देश अपने WPI में हजारों उत्पादों को शामिल करते हैं।
WPI मुद्रास्फीति को प्रभावित करने वाले कारक:
आधार वर्ष प्रभाव:
विशेषज्ञों के अनुसार आधार वर्ष प्रभाव के कारण WPI मुद्रास्फीति के विचलन की संभावना होती है।
वैश्विक वस्तुओं की कीमतें:
वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में बदलाव से विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति प्रभावित होती है।
खाद्य मुद्रास्फीति और मानसून की संभावनाएँ:
बाज़ार की स्थितियां भी WPI मुद्रास्फीति पर असर डालती है।