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भारत पर कृषि सब्सिडी को लेकर डब्ल्यूटीओ का दबाव

प्रारंभिक परीक्षा- WTO, शांति खंड, केर्न्स समूह, ग्रीन बॉक्स, ब्लू बॉक्स, अंबर बॉक्स, MSP
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-3, प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय

संदर्भ-

19 कृषि निर्यातक देशों के समूह ‘केर्न्स’ द्वारा ‘विश्व व्यापार संगठन’ (WTO) में कृषि सब्सिडी को लेकर भारत पर दबाव बनाया जा रहा है।

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मुख्य बिंदु-

  • भारत कृषि सहायता में अधिक लचीलापन प्राप्त करना चाहता है।
  • 26-29 फरवरी, 2024 के दौरान अबू धाबी में आयोजित होने वाले WTO के ‘अंतर-मंत्रालयी शिखर सम्मेलन’ में भारत स्थायी समाधान प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है।  
  • राजनीतिक मुद्दों के कारण विकसित और विकासशील देशों के बीच इस समस्या के समाधान की संभावना नहीं है।

भारत में कृषि सब्सिडी-

  • नवंबर, 2023 में WTO के सदस्यों ने व्यापार को विकृत करने वाले कृषि समर्थन को कम करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था।
  • इस प्रस्ताव के द्वारा कृषि सब्सिडी को कुल वैश्विक पात्रता का आधा कर दिया गया था। 
  • इसने भारत सहित विकासशील देशों को परेशान कर दिया था। 
  • यदि प्रति किसान सब्सिडी के नजरिए से देखा जाए, तो भारत द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी अमेरिका जैसे देशों की तुलना में बेहद कम है।
  • भारत में किसानों को प्रति किसान 300 डॉलर की सब्सिडी मिलती है, जबकि अमेरिका में प्रति किसान 40,000 डॉलर की सब्सिडी मिलती है।
  • WTO के नियम प्रति किसान के आधार पर सब्सिडी पर विचार नहीं करते हैं, जिससे विकासशील देशों पर अधिक बोझ पड़ता है।
  • वर्ष, 2013 में बाली में आयोजित WTO के मंत्रिस्तरीय बैठक में 'शांति खंड' (Peace Clause) का प्रस्ताव रखा गया ।
  • भारत के कृषि सब्सिडी पर अवरोध नहीं उत्पन्न किया जा सकता, क्योंकि यह 'शांति खंड' द्वारा संरक्षित है। 
  • इस खंड के कुछ प्रावधानों में अस्पष्टता है, जिसके कारण भारत को विवादों का सामना करना पड़ रहा है।
  • WTO के मानदंड भारत को उच्च MSP प्रदान करने से नहीं रोकते हैं। 
  • ‘शांति खंड’ के कारण MSP का स्तर या खरीद का स्तर क्या होना चाहिए, इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन 100% कानूनी निश्चितता नहीं है।
  •  नई योजनाएं लागू करने के लिए भारत को उन उत्पादों पर10% सब्सिडी सीमा का पालन करना होगा, जिन्हें 'शांति खंड' के तहत संरक्षित नहीं किया गया है।

किसानों की मॉंग-

  • किसान समूहों का कहना है कि कृषि को WTO से बाहर रखा जाना चाहिए। 
  • यह दृष्टिकोण समस्याएं पैदा कर सकता है। 
  • भारत और अन्य विकासशील देशों को विकसित देशों द्वारा दी जा रही सब्सिडी को रोका जा सकता है।
  • सरकार MSP कानून के लिए किसानों की मांगों पर सहमत होती है, तो इसे ‘शांति खंड’ के तहत कवर नहीं किया जाएगा। 
  • ‘शांति खंड’ भारत को WTO के कानूनी विवादों से सुरक्षा देता है।

केर्न्स समूह (केर्न्स ग्रुप ऑफ फेयर ट्रेडिंग नेशंस)-

  • केर्न्स समूह की स्थापना अगस्त,1986 में ऑस्ट्रेलिया के केर्न्स शहर में हुई थी।
  • यह 19 कृषि निर्यातक देशों का एक हित समूह है। 
  • इसमें अर्जेंटीना , ऑस्ट्रेलिया , ब्राजील , कनाडा , चिली , कोलंबिया , कोस्टा रिका , ग्वाटेमाला , इंडोनेशिया , मलेशिया , न्यूजीलैंड, पाकिस्तान , पैराग्वे , पेरू , फिलीपींस , दक्षिण अफ्रीका , थाईलैंड , उरुग्वे और वियतनाम शामिल हैं । 
  • केर्न्स समूह कृषि उपज में वैश्विक व्यापार को उदार बनाना चाहता है । 
  • इसके सदस्यों का लक्ष्य कृषि उत्पादों के लिए निर्यात सब्सिडी और व्यापार-विकृत (अंबर बॉक्स) घरेलू समर्थन को समाप्त करना है। 
  • कृषि निर्यात के लिए बाजार पहुंच में सुधार करना है। 
  • यह भारत में MSP कार्यक्रम को समाप्त करने या इसके दायरे को कम करने की कोशिश कर रहा है।
  • केर्न्स समूह के अनुसार, 
    • भारत का सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग (PSH) कार्यक्रम अत्यधिक सब्सिडी वाला है। 
    • भारत द्वारा दिया जाने वाला कृषि समर्थन वैश्विक खाद्य कीमतों को विकृत कर रहा है। 
    • यह अन्य देशों की खाद्य सुरक्षा को नुकसान पहुंचा रहा है। 
  • भारत MSP कार्यक्रम को वैधानिक सुरक्षा प्रदान करवाने के लिए प्रयास कर रहा है।

विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization- WTO)-

  • 1 जनवरी, 1995 को ‘प्रशुल्क एवं व्यापार संबंधी सामान्य समझौते’ (GATT) के स्थान पर WTO की स्थापना की गई।
  • वर्तमान में इस संगठन में 164 सदस्य देश हैं।
  • ईरान, इराक, भूटान, लीबिया आदि 23 देशों को पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है।
  • इसका मुख्यालय जेनेवा, स्विट्जरलैंड में है।

WTO के तहत दी जाने वाली कृषि सब्सिडियां-

  • WTO के अंतर्गत सरकार द्वारा प्रदान की जा रही सब्सिडियां इस प्रकार हैं,

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1. ग्रीन बॉक्स-

  • यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में विकृति उत्पन्न नहीं करता है।
  • WTO द्वारा इस सब्सिडी पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है। 
  • इसमें शामिल हैं;
    • पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम
    • अनुसंधान कार्यक्रम
    • आपदा राहत कार्यक्रम
    • किसानों को नकद सहायता
    • पशुधन सहायता, आदि के लिए प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता
  • इसे ‘तटस्थ सब्सिडी’ भी कहते हैं

2. ब्लू बॉक्स-

  • यह सब्सिडी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अपेक्षाकृत कम विकृति उत्पन्न करती है।
  • WTO द्वारा इस सब्सिडी पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है।
  • इसके अंतर्गत कृषकों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को शामिल किया जाता है;
    • विकसित देशों में इसे घरेलू समर्थन कहा जाता है।
    • यह कृषि उत्पादों के उत्पादन में मात्रात्मक कमी लाने के उद्देश्य से दी जाती है।

3. अंबर बॉक्स-

  • यह सब्सिडी कृषि उत्पादन तथा व्यापार में विकृति उत्पन्न करती है।
  • इसे चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाना है।
  • WTO ने इस सब्सिडी को घटाकर वर्ष, 1986-88 के दौरान कृषि मूल्य के कुल मूल्य का 5% विकसित देशों के लिए तथा 10% विकासशील देशों के लिए निर्धारित किया है।
  • इस सब्सिडी में शामिल हैं;
    • सरकार द्वारा दी जाने वाली MSP
    • कृषि उत्पादों की मात्रा के आधार पर प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता

4. रेड बॉक्स-

  • इसे पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

विश्व व्यापार संगठन का शांति समझौता-

  • एक अंतरिम उपाय के रूप में WTO के सदस्यों ने वर्ष, 2013 में बाली में आयोजित WTO के मंत्रिस्तरीय बैठक में 'शांति खंड' (Peace Clause) का प्रस्ताव रखा।
  • इसके तहत सदस्य देशों ने WTO के विवाद समाधान फोरम में विकासशील राष्ट्रों द्वारा निर्धारित सीमा में किसी भी उल्लंघन को चुनौती देने से बचने पर सहमति व्यक्त की।
  • यह उपबंध तब तक बना रहेगा, जब तक कि खाद्य भंडारण के मुद्दे का स्थायी समाधान नहीं हो जाता।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)-

  • यह फसल खरीद के समय सरकार द्वारा किसानों को दी जाने वाली गारंटीकृत राशि है।
  • MSP की सिफारिश ‘कृषि लागत और मूल्य आयोग’ (Commission for Agricultural Costs and Prices- CACP) द्वारा की जाती है।
  • CACP उत्पादन लागत, मांग तथा आपूर्ति, बाज़ार मूल्य रुझान, अंतर-फसल मूल्य समानता आदि जैसे विभिन्न कारकों के आधार पर मूल्य का निर्धारण करता है।
  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति MSP पर अंतिम निर्णय लेती है।
  • इसका उद्देश्य उत्पादकों को उनकी फसल के लिये लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करना है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. यह फसल खरीद के समय सरकार द्वारा किसानों को दी जाने वाली गारंटीकृत राशि है।
  2. MSP की सिफारिश कृषि लागत और मूल्य आयोग द्वारा की जाती है। 
  3. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति MSP पर अंतिम निर्णय लेती है।

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर- (d)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की मांगों को स्पष्ट करते हुए उसे प्रदान करने में सरकार की दुविधा की विवेचना कीजिए।

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