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X ने आईटी अधिनियम की नई धाराओं को चुनौती दी

चर्चा में क्यों ?

  • एक्स का सरकार के खिलाफ मुकदमा -आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(बी) को चुनौती 

प्रमुख बिंदु :-

  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) ने केंद्र सरकार के खिलाफ आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 79(3)(बी) के इस्तेमाल को कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। 
  • कंपनी का आरोप है कि इस धारा के तहत जारी ब्लॉकिंग आदेशों से "समानांतर" और "अवैध" सामग्री सेंसरशिप व्यवस्था का निर्माण हो रहा है।

एक्स का दावा और याचिका के प्रमुख बिंदु

आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(बी) के खिलाफ विरोध

  • धारा 79(3)(बी) के माध्यम से सरकार सोशल मीडिया कंपनियों को सामग्री हटाने के नोटिस जारी कर रही है।
  • यह आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत निर्धारित प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का उल्लंघन है।
  • वर्ष -2015 के सुप्रीम कोर्ट के श्रेया सिंघल फैसले के अनुसार, सामग्री को केवल अदालत के आदेश या धारा 69ए के तहत ही सेंसर किया जा सकता है।
  • सरकार गैरकानूनी अवरोधन आदेशों के लिए धारा 79(3)(बी) का दुरुपयोग कर रही है।

सहयोग पोर्टल पर आपत्ति

  • गृह मंत्रालय द्वारा बनाए गए "सहयोग" नामक पोर्टल को कंपनी ने "सेंसरशिप पोर्टल" बताया।
  • इस पोर्टल के माध्यम से केंद्रीय और राज्य एजेंसियां तथा स्थानीय पुलिस अधिकारी सामग्री अवरोधन आदेश जारी कर सकते हैं।
  • एक्स ने आरोप लगाया कि सरकार अनुचित रूप से एक्स से नोडल अधिकारी नियुक्त करने की मांग कर रही है।

पूर्व में एक्स का सेंसरशिप के खिलाफ रुख

  • यह दूसरी बार है जब एक्स ने भारत में ऑनलाइन सेंसरशिप के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी है।
  • 2022 में, एक्स (तब ट्विटर) ने आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत कंटेंट ब्लॉकिंग आदेशों को चुनौती दी थी।
  • 2023 में, अदालत ने याचिका खारिज कर दी थी, क्योंकि कंपनी ने सरकारी आदेशों का पालन किए बिना कोर्ट का रुख किया था।

आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(बी) और उसकी जटिलता

  • इस धारा के तहत, सोशल मीडिया कंपनियों को सरकारी आदेशों का पालन न करने पर अपनी "सुरक्षित बंदरगाह सुरक्षा" (Safe Harbor Protection) खोने का खतरा होता है।
  • सुरक्षित बंदरगाह सुरक्षा सोशल मीडिया कंपनियों को उपयोगकर्ता-निर्मित सामग्री की जिम्मेदारी से कानूनी प्रतिरक्षा प्रदान करती है।
  • एक्स का दावा है कि सरकार धारा 69ए की प्रक्रियाओं को दरकिनार कर रही है और अन्य सरकारी एजेंसियों को "गैरकानूनी अवरोधन आदेश" जारी करने के लिए अधिकृत कर रही है।

एक्स के तर्क और निष्कर्ष

  • आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत सूचना अवरोधन आदेश जारी करने का एक व्यवस्थित तरीका है, लेकिन धारा 79(3)(बी) का प्रयोग एक समानांतर सेंसरशिप व्यवस्था बनाने के लिए किया जा रहा है।
  • सरकार ने राज्य सरकारों और मंत्रालयों को "टेम्पलेट अवरोधन आदेश" जारी करने की अनुमति दी है, जिससे मनमाने तरीके से कंटेंट हटाया जा रहा है।
  • सेंसरशिप पोर्टल का उपयोग करने से धारा 69ए की कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन होता है।
  • मीटीई (आईटी मंत्रालय) अप्रत्यक्ष रूप से अन्य एजेंसियों के माध्यम से सेंसरशिप लागू कर रहा है, जो शक्ति का दुरुपयोग है।

सरकार का पक्ष

  • सरकार ने अदालत को बताया कि उसने सहयोग पोर्टल से न जुड़ने के लिए एक्स के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।
  • आईटी मंत्रालय ने इस मुद्दे पर अब तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000)

  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act, 2000) भारत का प्रमुख साइबर कानून है, जिसे डिजिटल लेनदेन, साइबर अपराधों और इलेक्ट्रॉनिक गवर्नेंस को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया था। 
  • यह कानून इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन को वैधता प्रदान करता है और ऑनलाइन अपराधों के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है।

IT अधिनियम, 2000 की मुख्य विशेषताएँ

  • इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन को कानूनी मान्यता
  • इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और डिजिटल हस्ताक्षरों (Digital Signatures) को कानूनी वैधता देता है।
  • ई-कॉमर्स, ऑनलाइन कॉन्ट्रैक्ट्स और डिजिटल डॉक्यूमेंट्स को मान्यता देता है।

साइबर अपराधों से निपटने के लिए प्रावधान

  • हैकिंग, डेटा चोरी, पहचान की चोरी, ऑनलाइन धोखाधड़ी, साइबर आतंकवाद, अश्लील सामग्री फैलाना आदि को अपराध घोषित करता है।
  •  दोषियों के लिए जुर्माना और कारावास का प्रावधान है।

डेटा सुरक्षा और गोपनीयता

  • व्यक्तिगत और संवेदनशील डेटा की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश।
    डेटा उल्लंघन पर कंपनियों को दंडित करने का प्रावधान।

इलेक्ट्रॉनिक गवर्नेंस (E-Governance)

  • सरकारी दस्तावेजों को डिजिटली मान्यता देता है।
  • डिजिटल सर्टिफिकेट और प्रमाणन एजेंसियों के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है।

IT अधिनियम की प्रमुख धाराएँ (Sections)

  • धारा 43: अनधिकृत प्रवेश (Unauthorized Access) और डेटा चोरी पर कंपनियों को हर्जाने का प्रावधान।
  • धारा 66: हैकिंग (Hacking) को अपराध घोषित करता है, जिसमें तीन साल की सजा या जुर्माना हो सकता है।
    • धारा 66A: आपत्तिजनक ऑनलाइन सामग्री पोस्ट करने पर दंड का प्रावधान (2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया)।
    • धारा 66B - 66F:पहचान की चोरी, साइबर धोखाधड़ी, साइबर आतंकवाद से संबंधित अपराधों पर कठोर दंड का प्रावधान।
  • धारा 67: ऑनलाइन अश्लील सामग्री (Obscene Content) पोस्ट करने पर सजा।
  • धारा 69: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सरकार को इंटरनेट सामग्री को ब्लॉक करने और डेटा एक्सेस करने का अधिकार।
    • धारा 69A: वेबसाइट या कंटेंट को ब्लॉक करने का प्रावधान।
      • सरकार को सोशल मीडिया और वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने की शक्ति प्रदान करता है।
  • धारा 79: इंटरनेट कंपनियों की "सेफ हार्बर" सुरक्षा (Safe Harbor Protection) को परिभाषित करता है, जिससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और वेबसाइट्स को उपयोगकर्ता-जनित सामग्री के लिए प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, जब तक वे अवैध सामग्री को हटाने के लिए उचित कदम उठाते हैं।

2008 संशोधन (IT Act Amendment 2008)

  • साइबर आतंकवाद और डेटा उल्लंघन पर सख्त प्रावधान।
  • धारा 66A, 69A और 79 को जोड़ा गया।
  • डेटा सुरक्षा और गोपनीयता नियम लागू किए गए।
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