(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 व 2 : महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, स्वास्थ्य)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, उत्तर कोरिया ने चीन से आने वाली ‘येलो डस्ट’ से बचाव के लिये अपने नागरिकों को सलाह जारी करते हुए कहा है कि इससे कोविड-19 का प्रसार हो सकता है।
भूमिका
उत्तर कोरिया का दावा है कि वहाँ कोरोना वायरस का एक भी मामला नहीं है। उसने जनवरी की शुरुआत में ही सीमा पर आवाजाही को रोकने के लिये सख्ती से प्रतिबंध लगाए थे। उत्तर कोरिया में इस सलाह का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया गया है।
येलो डस्ट (Yellow Dust)
- येलो डस्ट वास्तव में चीन और मंगोलिया के रेगिस्तान से उत्पन्न होने वाली रेत युक्त हवाएँ है। प्रति वर्ष एक विशिष्ट अवधि के दौरान उच्च गति वाली ये रेत युक्त धूल भरी सतही हवाएँ उत्तर और दक्षिण कोरिया में प्रवेश करती हैं।
- रेत के इन कणों में औद्योगिक प्रदूषकों जैसे विषाक्त पदार्थों के मिश्रण के परिणामस्वरूप येलो डस्ट श्वसन सम्बंधी बीमारियों का कारण बनती है।
- आमतौर पर जब ये धूल वातावरण में अस्वास्थ्यकर या हानिकारक स्तर तक पहुंच जाती है, तो लोगों से घर के अंदर रहने और शारीरिक गतिविधियों को सीमित करने का आग्रह किया जाता हैं।
- कभी-कभी जब वातावरण में येलो डस्ट के धूल की सांद्रता 800 माइक्रोग्राम/घन मीटर के आसपास हो जाती है, तो स्कूलों के साथ-साथ बाहरी गतिविधियों को भी बंद कर दिया जाता है।
येलो डस्ट से विषाणु का प्रसार और उत्तर कोरिया
- उत्तर कोरिया में येलो डस्ट के चलते बाहरी निर्माण कार्य पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध के साथ-साथ सभी नागरिकों को घर के अंदर रहने का आदेश दिया गया था।
- दूतावासों को भी कथित तौर पर आने वाले धूल के तूफान के बारे में चेतावनी जारी की गई थी।
- साथ ही, यह भी कहा गया कि कोविड-19 हवा के माध्यम से फ़ैल सकता है, अत: धूल भरे पीले बादलों को गम्भीरता से लिया जाना चाहिये।
धूल भरे बादलों से कोविड-19 के प्रसार की सम्भावना
- संयुक्त राज्य अमेरिका रोग नियंत्रण केंद्र (सी.डी.सी.) के अनुसार यद्यपि यह विषाणु घंटों तक हवा में रह सकता है परंतु संक्रमण के इस तरह से प्रसार की सम्भावना नहीं है, विशेष रूप से बाह्य और खुली हुई परिस्थितियों में।
- किसी संक्रमित व्यक्ति के पास अधिक निकटता से खड़े व्यक्ति में खाँसने, छींकने या बातचीत के दौरान बूंदों के माध्यम से वायरस फैलने की सर्वाधिक सम्भावना रहती है।