चर्चा में क्यों
हाल ही में, नीति आयोग ने ‘शून्य अभियान’ की पहली वर्षगांठ मानाने के लिये एक समारोह का आयोजन किया। यह भारत का ‘शून्य प्रदूषणई-गतिशीलता अभियान’ है।
प्रमुख बिंदु
- यहराइड-हेलिंग और डिलीवरी के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों (EV)केउपयोग को बढ़ावा देकरवायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से एक उपभोक्ता जागरूकता अभियान है।
- इस अभियानमें130 उद्योग भागीदार हैं, जिनमें राइड-हेलिंग, डिलीवरी और ई.वी. उद्योग शामिल हैं। इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करना है।
शून्य अभियानके बारे में
उत्सर्जन में कमी
- भारत में इस अभियान का शुभारंभ पारंपरिक वाहनों के स्थान पर विद्युत चालित वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिये किया गया है जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी तथा पर्यावरण संरक्षण किया जा सके।
- पारंपरिक वाहनों की तुलना में विद्युत चालित वाहन 60% तक कम कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं तथा इनकी परिचालन लागत भी 75% कम होती है।
- अप्रैल 2022 तकशून्य अभियान के माध्यम से संयुक्त भागीदारों द्वारा पूरी की गई इलेक्ट्रिक डिलीवरी और राइड की अनुमानित संख्या लगभग क्रमशः 20 मिलियन व 15 मिलियन थी। यह 13,000 टन से अधिक के कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन से बचत करता है।
पर्यावरण संरक्षण एवं सार्वजानिक स्वास्थ्य
- भारत में शहरी माल ढुलाई एवं गतिशीलता में वर्ष 2030 तक 8% वृद्धि का अनुमान है।
- यह अभियान इस बढती मांग के अनुरूप पर्यावरण संरक्षण एवं सार्वजानिक स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि विद्युत वाहन टेलपाइप पर आंतरिक दहन वाहनों की भांति कणिका तत्वों (PM) और नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं करते हैं।
- शून्य भारत में मौजूदा राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय ई.वी. नीतियों के साथ-साथ समन्वित प्रयासों को भी पूरक बनाता है।
लाभ
- भारत में राइड-हेलिंग और डिलीवरी क्षेत्र के विद्युतीकरण से लगभग 54 मीट्रिक टन कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन, 16,800 टन पी.एम. उत्सर्जन तथा 537,000 टन नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड के प्रदूषण में कमी आएगी।
- इससे एक वर्ष में लगभग 7 लाख करोड़ रूपए के व्यय की बचत हो सकती है। इस प्रकार, ‘शून्य’, कार्बन उत्सर्जन को कम करने और2070 जलवायु लक्ष्यों को सुरक्षित करने के लिये कॉप-26 (CoP-26) में घोषित भारत के पांच सूत्री एजेंडा (पंचामृत) का समर्थन करसकता है।