अमेरिका के शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि मांस के सेवन से क्रॉनिक वेस्टिंग डिजीज (CWD) का प्रसार मनुष्यों में हो सकता है। इसे ‘जॉम्बी डियर’ रोग भी कहा जाता है।
जॉम्बी डियर डिजीज के बारे में
- क्रॉनिक वेस्टिंग डिजीज का प्रसार संक्रामक प्रिऑन (Prions) प्रोटीन से होता है जिसे संक्रामक रोगजनक प्रोटीन कहते हैं। यह पूरे शरीर में असामान्य प्रोटीन फोल्डिंग को सक्रिय करता है और विशेषकर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र एवं मस्तिष्क में ये प्रोटीन एकत्रित हो जाते हैं जो मस्तिष्क कोशिका को नष्ट कर देते हैं।
- प्रोटीन का यह समूह जानवरों एवं मनुष्यों दोनों को प्रभावित करता हैं।
- सी.डब्ल्यू.डी. प्रिऑन अत्यधिक संक्रामक होते हैं और सीधे संपर्क या पर्यावरण प्रदूषण के माध्यम से लार, मल, रक्त या मूत्र जैसे शरीर के तरल पदार्थों के माध्यम से फैलते हैं। एक बार किसी क्षेत्र में मौजूद होने के बाद प्रिऑन वर्षों तक मृदा, पानी व पौधों में संक्रामक बने रहते हैं, जिससे पशु आबादी के लिए दीर्घकालिक जोखिम पैदा होता है।
- हिरण, एल्क, मूस (Moose) हिरण व रेनडियर को प्रभावित करता है, जिससे गंभीर न्यूरोलॉजिकल लक्षण पैदा होते हैं। इस बीमारी को ‘जॉम्बी’ नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि प्रभावित जानवर असामान्य व्यवहार करते हैं।
- वर्ष 2024 में क्रेउत्ज़फेल्ड-जैकब रोग के मामलों के बाद सी.डब्ल्यू.डी. से संभावित संबंध की आशंका बढ़ने के बाद चिंताएं बढ़ गईं।
जॉम्बी डियर डिजीज के लक्षण
- मानसिक भटकाव, अत्यधिक लार आना, वजन कम होना तथा मनुष्यों के प्रति भय की कमी
- उपचार के लिए अभी तक किसी भी वैक्सीन का विकास नहीं
- इसके लक्षण वाले जानवरों से दूर रहने और उनके मांस को खाने से बचना ही इससे बचाव का तरीका
इसे भी जानिए!
क्रेउत्ज़फेल्ड-जैकब रोग (Creutzfeldt-Jakob Disease : CJD) एक दुर्लभ व घातक मस्तिष्क विकार है जो मस्तिष्क को तेजी से क्षति पहुंचाता है। यह एक प्रकार का प्रिऑन रोग है।
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