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ज़ोरावर टैंक

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ज़ोरावर टैंक का अनावरण किया। 

ज़ोरावर टैंक के बारे में 

  • क्या है : स्वदेशी रूप से डिजाइन एवं विकसित स्वदेशी हल्का टैंक
  • निर्माण : DRDO एवं निजी क्षेत्र की कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) द्वारा 
  • नामकरण : पश्चिमी तिब्बत में सैन्य अभियानों का नेतृत्व करने वाले  डोगरा राजवंश के जनरल जोरावर सिंह के नाम पर
  • तैनाती : मुख्यत: चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनाती के लिए डिजाइन
  • क्षमता : 70 किमी. प्रतिघंटा की चाल के साथ-साथ 105 मिमी. या उससे अधिक की कैलिबर गन से एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल दागने में सक्षम  
    • इसे उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों और सीमांत इलाकों से लेकर द्वीपीय क्षेत्रों तक से संचालित किया जा सकता है। उभयचर क्षमता वाले ये टैंक स्थल के साथ-साथ नदी क्षेत्रों में भी संचालन के लिए उपयोगी हैं।
  • वजन : अधिकतम 25 टन 
    • यह T-90 जैसे टैंकों से आधे वजन का होने के कारण मुश्किल पहाड़ी क्षेत्रों में भी ऑपरेशन में सक्षम है। 
  • प्रयुक्त तकनीक : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), सामरिक निगरानी ड्रोन एकीकरण, गतिशील युद्धक सामग्री व सक्रिय सुरक्षा प्रणाली एवं युद्ध प्रबंधन प्रणाली जैसी आधुनिक तकनीक से लैस 
    • ये विशेषताएं उच्च स्तरीय स्थितिजन्य क्षमता और टैंक रोधी निर्देशित मिसाइलों व प्रक्षेपास्त्रों के विरुद्ध सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं।

Zorawar-Tank

  • भारतीय सेना में शामिल होने की संभावना : वर्ष 2027 तक

इसे भी जानिए!

  • वजन के आधार पर टैंकों की तीन श्रेणियां होती हैं :
  • भारी टैंक : सुरक्षा के लिए प्रयुक्त 
  • मध्यम टैंक : आक्रमण के लिए प्रयुक्त 
  • हल्के टैंक : सुरक्षा के साथ-साथ आक्रामक भूमिका के लिए भी महत्त्वपूर्ण  
  • हल्के टैंक अधिक ऊंचाई वाले सामरिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
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