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डीप ओशन मिशन 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए – डीप ओशन मिशन
मुख्य परीक्षा के लिए : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - सरकारी नीतियाँ 

योजना का नाम 

डीप ओशन मिशन

आरंभ 

2021

नोडल मंत्रालय 

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय

लक्ष्य

गहरे समुद्र में संसाधनों का पता लगाना और महासागरीय संसाधनों का सतत उपयोग करना 

आधिकारिक बेवसाइट 

moes.gov.in

deep-ocean-mission

उद्देश्य

ocean-mission

  • गहरे समुद्र में संसाधनों का पता लगाना। 
  • महासागरीय संसाधनों के सतत उपयोग के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करना।
  • समुद्र नितल पर पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स की खोज और निष्कर्षण करना। 
  • महासागरों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करना
  • तापीय ऊर्जा स्रोतों का पता लगाने के लिए एक अपतटीय समुद्री स्टेशन स्थापित करना।

महत्वपूर्ण विशेषताएं

  • यह ब्लू इकोनॉमी पहल का समर्थन करने के लिए एक मिशन आधारित परियोजना है।
  • ब्लू इकॉनमी से तात्पर्य आर्थिक विकास के लिए समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग से है।
  • इस मिशन को चरणबद्ध रूप से 5 वर्ष की अवधि तक लागू किया जायेगा। 
  • यह समुद्री जीव विज्ञान में क्षमता विकास की दिशा में निर्देशित एक मिशन है, जो भारतीय उद्योगों में रोजगार के अवसर प्रदान करेगा।
  • गहरे समुद्र में खनन, जैव विविधता, ऊर्जा, मीठे पानी आदि की संभावनाओं का पता लगाने और ब्लू इकोनॉमी का समर्थन करने के इस मिशन के लिए निजी संस्थानों को प्रौद्योगिकी के विकास में शामिल किया जाएगा। 
  • वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के एक सूट के साथ समुद्र में 6,000 मीटर की गहराई तक तीन लोगों को ले जाने के लिए मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित की जाएगी। 
  • मध्य हिंद महासागर में पॉलीमेटैलिक नोड्यूल्स के खनन के लिए एक एकीकृत खनन प्रणाली विकसित की जाएगी।

इस मिशन के छह प्रमुख घटक हैं - 

1. गहरे समुद्र में खनन और मानवयुक्त पनडुब्बी के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास -

  • मध्य हिंद महासागर में 6000 मीटर की गहराई से पॉलीमेटैलिक नोड्यूल्स के खनन के लिए एक एकीकृत खनन प्रणाली का विकास। 
  • वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के सूट के साथ समुद्र में 3 लोगों को 6000 मीटर की गहराई तक ले जाने के लिए मानवयुक्त पनडुब्बी का विकास किया जाएगा। 

2. महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास -

  • इस घटक के अंतर्गत मौसमी से दशकीय समय के पैमाने पर जलवायु के भविष्य के अनुमानों को समझने और उनके आधार पर मॉडलों एवं अवलोकनों को विकसित किया जाएगा। 

3. गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज और संरक्षण के लिए तकनीकी नवाचार -

  • इसके अंतर्गत गहरे समुद्र के सूक्ष्म जीवों सहित गहरे-समुद्री वनस्पतियों और जीवों तथा जैव-संसाधनों के सतत उपयोग पर मुख्य ध्यान दिया जाएगा। 

4. गहरे समुद्र में सर्वेक्षण और अन्वेषण -

  • इस घटक का प्राथमिक उद्देश्य, हिंद महासागर की मध्य-महासागरीय रिज के साथ बहु-धातु हाइड्रोथर्मल सल्फाइड खनिज के संभावित स्थलों का पता लगाना और उनकी पहचान करना है। 

5. महासागर से ऊर्जा और मीठा पानी -

  • इस घटक के अंतर्गत अपतटीय महासागर थर्मल ऊर्जा रूपांतरण (ओटीईसी) संचालित अलवणीकरण संयंत्र के लिए अध्ययन और विस्तृत इंजीनियरिंग डिजाइन की परिकल्पना की गई है। 

6. महासागर जीवविज्ञान के लिए उन्नत समुद्री स्टेशन -

  • इस घटक का उद्देश्य समुद्र जीव विज्ञान और इंजीनियरिंग में मानव क्षमता और उद्यम का विकास करना है। 
  • यह घटक ऑन-साइट बिजनेस इनक्यूबेटर सुविधाओं के माध्यम से अनुसंधान को औद्योगिक अनुप्रयोग और उत्पाद विकास में परिवर्तित करेगा। 

महत्व

  • यह मिशन भारत को मध्य हिंद महासागर बेसिन (CIOB) में संसाधनों का दोहन करने की क्षमता विकसित करने में सक्षम बनायेगा।
  • यह गहरे समुद्र की जैव विविधता में आगे के अध्ययन और अनुसंधान का मार्ग प्रशस्त करेगा।
  • इसके अंतर्गत महासागर की लगातार निगरानी की जाएगी, जलवायु में होने वाले बदलाव पर ध्यान दिया जाएगा, जिससे बेहतर डेटा संग्रह होगा और बेहतर प्रबंधन संभव हो सकेगा।
  • खनिजों के अन्वेषण का अध्ययन निकट भविष्य में व्यावसायिक दोहन का मार्ग प्रशस्त करेगा।
  • यह अनुमान लगाया गया है कि मध्य हिंद महासागर में समुद्र के तल पर 380 मिलियन मीट्रिक टन पीएमएन उपलब्ध है।
  • इस भंडार का 10 प्रतिशत खनन अगले 100 वर्षों के लिए भारत की ऊर्जा आवश्यकता को पूरा कर सकता है।
  • पॉली-मेटैलिक नोड्यूल्स की खोज के लिए भारत को संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय समुद्री तल प्राधिकरण द्वारा मध्य हिंद महासागर बेसिन (CIOB) में 75,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आवंटित किया गया है।

पॉलीमेटैलिक नोड्यूल

  • पॉलीमेटैलिक नोड्यूल (मैंगनीज नोड्यूल) आलू के आकार के नोड्यूल होते हैं, जो गहरे समुद्र में महासागरों के तल में पाए जाते हैं।
  • पॉलीमेटैलिक नोड्यूल की संरचना में मैंगनीज और लोहे के अलावा हाइड्रोजन, सोडियम, कैल्शियम, निकल, तांबा, कोबाल्ट, टाइटेनियम आदि तत्त्व शामिल होते हैं।

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