प्रारंभिक परीक्षा के लिए – डिजिटल इंडिया कार्यक्रम मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र:2 – सरकारी योजनाएं |
योजना का नाम
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डिजिटल इंडिया कार्यक्रम
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आरंभ
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2015
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लक्ष्य
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भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में रूपांतरित करना
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नोडल मंत्रालय
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इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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क्रियान्वयन क्षेत्र
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सभी राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश
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आधिकारिक बेवसाइट
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digitalindia.gov.in
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उद्देश्य
- भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में रूपांतरित करना।
- हाई स्पीड इंटरनेट की उपलब्धता तथा कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना।
- रियल टाइम में सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- डिजिटल साक्षरता तथा डिजिटल संसाधनों तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना।
- डिजिटल क्षेत्र के नौ प्रमुख स्तंभों पर बल देना।
- ब्रॉडबैंड हाईवे
- मोबाइल कनेक्टिविटी तक सार्वभौम पहुँच
- सार्वजनिक इंटरनेट पहुँच कार्यक्रम
- ई-गवर्नेंस - प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकार में सुधार
- ई-क्रांति:NeGP 2.0
- सभी के लिए सूचना
- इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण
- नौकरियों हेतु सूचना प्रौद्योगिकी
- अर्ली हार्वेस्ट प्रोग्राम
डिजिटल इंडिया का विजन क्षेत्र
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम तीन प्रमुख दृष्टि क्षेत्रों पर केंद्रित है –
1. प्रत्येक नागरिक के लिए एक कोर यूटिलिटी के रूप में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर
- नागरिकों को सेवाएं प्रदान करने के लिए मुख्य उपयोगिता के रूप में हाई स्पीड इंटरनेट की उपलब्धता
- जन्म से मृत्यु तक की डिजिटल पहचान जो अद्वितीय, आजीवन, ऑनलाइन और प्रत्येक नागरिक के लिए प्रामाणिक है
- डिजिटल और वित्तीय स्थान में नागरिक भागीदारी को सक्षम करने वाला मोबाइल फोन और बैंक खाता
- कॉमन सर्विस सेंटर तक आसान पहुंच
- सार्वजनिक क्लाउड पर साझा करने योग्य निजी स्थान
- सुरक्षित साइबर स्पेस
2. मांग पर शासन और सेवाएं
- विभागों या अधिकार क्षेत्रों में निर्बाध रूप से एकीकृत सेवाएं
- ऑनलाइन और मोबाइल प्लेटफॉर्म से वास्तविक समय में सेवाओं की उपलब्धता
- सभी नागरिक अधिकार पोर्टेबल और क्लाउड पर उपलब्ध होंगे
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार के लिए डिजिटल रूप से रूपांतरित सेवाएं
- वित्तीय लेनदेन को इलेक्ट्रॉनिक और कैशलेस बनाना
- निर्णय समर्थन प्रणाली और विकास के लिए भू-स्थानिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) का इस्तेमाल
3. नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण
- यूनिवर्सल डिजिटल साक्षरता
- सार्वभौमिक रूप से सुलभ डिजिटल संसाधन
- भारतीय भाषाओं में डिजिटल संसाधनों/सेवाओं की उपलब्धता
- सहभागी शासन के लिए सहयोगी डिजिटल प्लेटफॉर्म
- नागरिकों को भौतिक रूप से सरकार के पास दस्तावेज़/प्रमाण-पत्र जमा करने की आवश्यकता नहीं
दृष्टिकोण और कार्यप्रणाली
- मंत्रालय/ विभाग/राज्य पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा स्थापित आईसीटी की बुनियादी सुविधाओं का लाभ उठायेंगें।
- डिजिटल इंडिया के सिद्धांतों के साथ संरेखित करने के लिए मौजूदा/ चल रहे ई-शासन पहलों का पुर्नोत्थान किया जाएगा।
- नागरिकों को सरकारी सेवाओं के वितरण को बढ़ाने के लिए कार्यक्षेत्र में वृद्धि, प्रक्रिया पुनर्रचना, एकीकृत और इंटरऑपरेबल सिस्टम का उपयोग और क्लाउड और मोबाइल जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का प्रयोग किया जाएगा।
- राज्यों को उनके सामाजिक-आर्थिक जरूरतों के अनुसार प्रासंगिक विशिष्ट परियोजनाओं की पहचान एवं शामिल किए जाने के लिए लचीलापन दिया जाएगा।
- एक विकेन्द्रीकृत कार्यान्वयन मॉडल को अपनाते हुए, ई-शासन को नागरिक केन्द्रित सेवा अभिविन्यास सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सीमा तक एक केंद्रीकृत पहल के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाएगा।
- पर्याप्त प्रबंधन और रणनीतिक नियंत्रण के साथ ई-गवर्नेंस परियोजनाओं को लागू करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी को प्राथमिकता दी जाएगी।
- केंद्र और राज्य स्तर पर सभी सरकारी विभागों को आईटी समर्थन को मजबूत करने के लिए एनआईसी का पुनर्गठन किया जाएगा।
- मुख्य सूचना अधिकारियों के पदों को कम से कम 10 प्रमुख मंत्रालयों में बनाया जाएगा, ताकि विभिन्न ई-गवर्नेंस परियोजनाओं को तेजी से डिजाइन, विकसित और कार्यान्वित किया जा सके।
- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के प्रभावी प्रबंधन के लिए, कार्यक्रम प्रबंधन संरचना में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में डिजिटल इंडिया पर एक निगरानी समिति, संचार और आईटी मंत्री की अध्यक्षता में एक डिजिटल इंडिया सलाहकार समूह और कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक शीर्ष समिति शामिल होगी।
- राज्य स्तर पर डिजिटल इंडिया के संस्थागत तंत्र की अध्यक्षता मुख्यमंत्री द्वारा की जाएगी।
- आवश्यक संसाधन आवंटित करने, परियोजनाओं के बीच प्राथमिकता निर्धारित करने और राज्य स्तर पर अंतर-विभागीय मुद्दों को हल करने के लिए मुख्य सचिवों की अध्यक्षता में डिजिटल इंडिया पर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की शीर्ष समितियों का गठन किया जाएगा।
महत्व
- डिजिटल इंडिया ने दशकों से देश के सामने मौजूद कुछ सबसे कठिन समस्याओं को हल करने का प्रयास किया है।
- बिना लीकेज या दुरुपयोग के लाभार्थियों तक सरकारी योजनाओं का वितरण सुनिश्चित करना इस योजना का एक प्रमुख योगदान रहा है।
- जन-धन-आधार-मोबाइल(JAM) त्रिमूर्ति ने यह सुनिश्चित किया है, कि योजनाओं का लाभ वंचित वर्गों तक पहुंचे।
- पिछले आठ वर्षों में डीबीटी तकनीक का उपयोग करके लगभग23 लाख करोड़ रुपए के वित्तीय लाभ का हस्तांतरण किया गया है।
- इससे लगभग 2.22 लाख करोड़ रुपए की बचत हुई है।
- कोविड महामारी की चुनौती से निपटने में भी डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- लोगों को उपयोगी जानकारी देने और टीकाकरण के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग करने से लेकर स्कूलों के बंद होने पर छात्रों के लिए डिजिटल शिक्षा प्रदान करना इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
- ड्रोन और जीआईएस प्रौद्योगिकियों की शक्ति का लाभ उठाते हुए, स्वामित्व योजना सही मालिकों को डिजिटल भूमि रिकॉर्ड प्रदान कर रही है।
- यह विवादों को कम करता है और बैंक ऋण प्राप्त करने के लिए भूमि के मुद्रीकरण की सुविधा भी देता है और वैज्ञानिक ग्राम स्तरीय योजना को सक्षम बनाता है।
- अब तक लगभग 2.14 करोड़ भूमि पार्सल का डिजिटलीकरण किया जा चुका है।
- सभी गांवों को हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड उपलब्ध कराने के लिए भारतनेट के तहत 1.83 लाख ग्राम पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया है।
- कोविड-19 के दौरान जब बैंक और एटीएम बंद थे, तो सीएससी और डाकघरों में एईपीएस आधारित माइक्रो-एटीएम ने नकदी की घर तक डिलीवरी की।
- डिजिटल इंडिया की मदद से ड्राइविंग लाइसेंस, जन्म प्रमाण पत्र, बिजली बिल का भुगतान, पानी का बिल भरना, आयकर रिटर्न भरना बहुत आसान तथा तेज हो गया है।
चुनौतियाँ
- कराधान और अन्य नियामक दिशानिर्देशों से संबंधित मुद्दे कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में प्रमुख चुनौती साबित हुए हैं।
- वर्तमान में, कई क्षेत्र मोबाइल कनेक्टिविटी से वंचित हैं क्योंकि उनके स्थान सेवा प्रदाताओं के लिए व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य नहीं है।
आगे की राह
- डिजिटल इंडिया ने नागरिक सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- डिजिटल इंडिया की सफलता इस बात की पुष्टि करती है कि भारत के विकास में इसका एक मजबूत योगदान है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और ब्लॉकचेन जैसी फ्यूचरिस्टिक तकनीकों का लाभ उठाकर इस आंदोलन को आगे बढ़ाया जाये।
- सरकार को सभी संभावनाओं को देखने और डिजिटल डिवाइड को पाटने के लिए तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है।
- ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में, निजी क्षेत्र को अंतिम मील कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।