(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - एकीकृत बाग़वानी विकास मिशन) (मुख्य परीक्षा के लिए - सरकारी नीतियाँ) |
योजना का नाम
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एकीकृत बाग़वानी विकास मिशन
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आरंभ
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2014
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लक्ष्य
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बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास को बढ़ावा देना
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नोडल मंत्रालय
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कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
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क्रियान्वयन क्षेत्र
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सभी राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश
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आधिकारिक बेवसाइट
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midh.gov.in
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एकीकृत बाग़वानी विकास मिशन
- एकीकृत बाग़वानी विकास मिशन, फलों, सब्जियों, जड़ और कंद फसलों, मशरूम, मसालों, फूलों, सुगंधित पौधों, नारियल, काजू, कोको और बांस को कवर करने वाले बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए 2014-15 से लागू एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
- MIDH के तहत, भारत सरकार, उत्तर पूर्व और हिमालय के राज्यों को छोड़कर सभी राज्यों में विकास कार्यक्रमों के लिए कुल परिव्यय का 60% योगदान देती है, 40% हिस्सा राज्य सरकारों द्वारा योगदान दिया जाता है।
- उत्तर पूर्वी राज्यों और हिमालयी राज्यों के मामले में, भारत सरकार 90% योगदान देती है।
- राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB), नारियल विकास बोर्ड (CDB), केंद्रीय बागवानी संस्थान (CIH) के मामले में, नागालैंड सरकार और राष्ट्रीय एजेंसियों के कार्यक्रमों के लिए 100% योगदान केंद्र सरकार द्वारा दिया जाता है।
- MIDH, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन है।
उद्देश्य
- बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास को बढ़ावा देना, जिसमें बांस और नारियल भी शामिल है।
- इस क्रम में प्रत्येक राज्य अथवा क्षेत्र की जलवायु विविधता के अनुरूप क्षेत्र आधारित अलग-अलग कार्यनीति अपनाना, इसमें शामिल है - अनुसंधान, तकनीक को बढ़ावा, विस्तारीकरण, फसलोपरांत प्रबंधन, प्रसंस्करण और विपणन इत्यादि।
- कृषकों को एफआईजी, एफपीओ व एफपीसी जैसे कृषक समूहों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करना ताकि समानता और व्यापकता आधारित आर्थिकी का निर्माण किया जा सके।
- उच्च पोषण मूल्य वाली बागवानी फसलों का क्षेत्रफल और उत्पादन बढ़ाना।
- गुणवत्ता, पौध सामग्री और सूक्ष्म सिंचाई के प्रभावी उपयोग के माध्यम से उत्पादकता में सुधार करना।
- बागवानी क्षेत्र में ग्रामीण युवाओं को प्रोत्साहन देना और रोजगार उत्पन्न करना।
- एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन (आईएनएम)/एकीकृत कीट प्रवंधन(आईपीएम), जैविक खेती, अच्छी कृषि पद्धतियों (जीएपी) को बढ़ावा देना।
- बेहतर किस्मों, गुणवत्ता वाले बीजों और रोपण सामग्री, संरक्षित खेती, उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण, कायाकल्प, सटीक खेती और बागवानी मशीनीकरण के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाना।
- कोल्ड स्टोरेज (सीएस) के माध्यम से पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट को बढ़ावा देना।
प्रमुख विशेषताएं
- इस मिशन में राष्ट्रीय बाग़वानी मिशन (NHM), उत्तर पूर्वी और हिमालयी राज्यों के लिए बाग़वानी मिशन, राष्ट्रीय बांस मिशन, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, नारियल विकास बोर्ड और केंद्रीय बागवानी संस्थान, नागालैंड जैसी उप-योजनाएं और कार्यक्षेत्र सम्मिलित है।
- इस मिशन के अंतर्गत, अनुसंधान एवं विकास उत्पादकता में प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दिया जाता है।
- MIDH के तहत, निम्नलिखित प्रमुख हस्तक्षेपों/गतिविधियों के लिए राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है -
- गुणवत्तापूर्ण बीज एवं पौध सामग्री के उत्पादन के लिए नर्सरियों, टिश्यू कल्चर इकाइयों की स्थापना।
- क्षेत्र विस्तार अर्थात फलों, सब्जियों और फूलों के लिए नए बागों और बगीचों की स्थापना।
- अनुत्पादक, पुराने और जीर्ण बागों का कायाकल्प।
- उत्पादकता में सुधार करने और बे-मौसमी उच्च मूल्य वाली सब्जियां और फूल उगाने के लिए संरक्षित खेती, यानी पॉली-हाउस, ग्रीन-हाउस आदि।
- जैविक खेती और प्रमाणन।
- जल संसाधन संरचनाओं का निर्माण और वाटरशेड प्रबंधन।
- परागण के लिए मधुमक्खी पालन।
- बागवानी मशीनीकरण।
- पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट और मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण।
- किसानों का प्रशिक्षण।
- किसान हित समूहों, किसान उत्पादक संगठनों और उत्पादक संघों के संवर्धन और सुदृढ़ीकरण को MIDH के तहत एक घटक के रूप में शामिल किया गया है।
- ऐसे समूहों को एसएफएसी द्वारा निर्दिष्ट मानदंडों के अनुसार, बागवानी विकास, कटाई के बाद के प्रबंधन, प्रसंस्करण और विपणन के क्षेत्र में नवीन परियोजनाओं को शुरू करने के लिए सहायता प्रदान की जाती है।
- मिशन की तीन स्तरीय संरचना है - राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर। राष्ट्रीय स्तर पर, एक सामान्य परिषद (GC) और एक कार्यकारी समिति (EC) होती है।
- सामान्य परिषद, जो समग्र दिशा प्रदान करती है, की अध्यक्षता केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा की जाती है।
- सचिव (कृषि और सहकारिता) की अध्यक्षता में एक कार्यकारी समिति, मिशन की गतिविधियों की देखरेख करती है।
- राज्य स्तर पर, कृषि उत्पादन आयुक्त, या सचिव बागवानी/कृषि की अध्यक्षता में एक कार्यकारी समिति मिशन के कार्यान्वयन की देखरेख करती है।
एकीकृत बाग़वानी विकास मिशन के अंतर्गत उप-योजनाएं
- राष्ट्रीय बागवानी मिशन(NHM)
- इसे वर्ष 2005-06 में 10 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य बागवानी का उपलब्ध अधिकतम क्षमता तक विकसित करना है।
- पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन (HMNEH)
- HMNEH पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में बागवानी के समग्र विकास के लिए कार्यान्वित की जा रही एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) योजना का एक हिस्सा है।
- इस मिशन में सिक्किम और तीन हिमालयी राज्यों जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित सभी पूर्वोत्तर राज्य शामिल है।
- मिशन बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज के माध्यम से उत्पादन से लेकर खपत तक बागवानी के पूरे स्पेक्ट्रम को संबोधित करता है।
- राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (BHN)
- इसकी स्थापना 1984 में डॉ एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में " नाशवान कृषि वस्तुओं पर समूह " की सिफारिशों पर की गई थी।
- इसका मुख्यालय गुरुग्राम में है।
- नारियल विकास बोर्ड (BDC)
- यह नारियल की खेती और उद्योग के एकीकृत विकास के लिए एक सांविधिक निकाय है।
- यह नारियल उत्पादक राज्यों में मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (एमआईडीएच) के तहत विभिन्न योजनाओं को लागू कर रहा है।
- यह जनवरी 1981 में अस्तित्व में आया और इसका मुख्यालय केरल के कोच्चि में है।
- केंद्रीय बागवानी संस्थान (HIC)
- इसे कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 2006 में मेडज़िफेमा, नागालैंड में स्थापित किया गया था।
- यह पूर्वोत्तर क्षेत्र में समग्र विकास के लिए बागवानी के विभिन्न पहलुओं पर तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
एकीकृत बाग़वानी विकास मिशन से संबंधित अन्य पहलें
- प्रोजेक्ट चमन)CHAMAN)
- इसे बागवानी फसलों के क्षेत्र और उत्पादन के आकलन के लिए 2014 में शुरू किया गया।
- इसमें बागवानी क्षेत्र के रणनीतिक विकास के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है।
- हॉर्टनेट (HORTNET)
- यह, राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM) के अंतर्गत ई-गवर्नेस के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संचालित किया जा रहा है।
महत्व
- एमआईडीएच ने बागवानी फसलों के तहत क्षेत्र को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वर्ष 2014 -15 से 2019 - 20 के दौरान क्षेत्र में 9% और उत्पादन में 14% की वृद्धि हुई है।
- इसके अलावा, मिशन ने खेतों में अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा दिया है, जिससे कृषि भूमि की उपज और उत्पादकता की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
- MIDH के परिणामस्वरूप ना केवल बागवानी क्षेत्र में, भारत आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हुआ है, बल्कि इसने शून्य भूख, अच्छे स्वास्थ्य और गरीबी तथा लैंगिक समानता से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी योगदान दिया है।