प्रारंभिक परीक्षा के लिए - जल जीवन मिशन (शहरी) मुख्य परीक्षा के लिए : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - सरकारी नीतियाँ |
योजना का नाम
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जल जीवन मिशन (शहरी)
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आरंभ
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केंद्रीय बजट 2021-22
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नोडल मंत्रालय
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आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय
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लक्ष्य
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सतत विकास लक्ष्य- 6 के अनुसार सभी वैधानिक शहरों में क्रियाशील नलों के माध्यम से सभी घरों में जल आपूर्ति का सार्वभौमिक कवरेज प्रदान करना
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क्रियान्वयन क्षेत्र
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सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश
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आधिकारिक बेवसाइट
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mohua.gov.in
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जल जीवन मिशन (शहरी) का उद्देश्य
- सभी वैधानिक शहरों में क्रियाशील नलों के माध्यम से सभी घरों में जल आपूर्ति का सार्वभौमिक कवरेज प्रदान करना।
- 500 अमृत (अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन) शहरों में सीवरेज/सेप्टेज प्रबंधन कवरेज प्रदान करना।
- शहरी स्थानीय निकायों को मजबूत बनाने और शहरों की जल सुरक्षा पर ध्यान देना।
- संस्थागत तंत्र के विकास के साथ फिर से उपयोग किए जाने वाले पानी से जल की 20 फीसदी मांग को पूरा करना।
- उपचारित उपयोग किए जल के पुनर्चक्रण से शहर की कुल जल मांग का कम से कम 20 फीसदी और राज्य स्तर पर औद्योगिक जल की मांग का 40 फीसदी पूरा करना।
- गैर-राजस्व जल को 20 फीसदी से कम करना।
- सतत ताजे जल की आपूर्ति बढ़ाने के लिए जल निकायों का नवीकरण करना।
- शहरी बाढ़ को कम करने के लिए हरित स्थानों एवं स्पंज शहरों का निर्माण।
- जल निकायों एवं जल संरक्षण संबंधित उपचारित सीवेज का पुनर्चक्रण करना।
- जल की चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना।
वित्त पोषण
- केंद्रशासित प्रदेशों के लिए 100% और उत्तर-पूर्वी एवं पहाड़ी राज्यों के लिए 90% वित्त पोषण केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
- एक लाख से कम जनसंख्या वाले शहरों के लिए 50 फीसदी और एक लाख से 10 लाख के बीच की जनसंख्या वाले शहरों के लिए एक-तिहाई केंद्रीय वित्त पोषण होगा।
- 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों की परियोजनाओं के लिए केंद्रीय निधि से 25 फीसदी आवंटित होगा।
- सरकार की ओर से परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण तीन किस्तों- 20:40:40 में होगी, तीसरी किस्त परिणाम प्राप्त करने के बाद जारी होगी।
महत्वपूर्ण विशेषताएं
- जल जीवन मिशन(शहरी) के लिए प्रस्तावित कुल परिव्यय 2,87,000 करोड़ रुपये है, इसमें अमृत मिशन को वित्तीय सहायता देने के लिए 10,000 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।
- सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) को बढ़ावा देने के लिए 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों के लिए यह अनिवार्य है कि वे अपने कुल परियोजना निधि आवंटन में न्यूनतम 10 फीसदी पीपीपी परियोजनों को शामिल करें।
- मिशन की निगरानी एक प्रौद्योगिकी आधारित प्लेटफॉर्म के माध्यम से की जाएगी, जिस पर प्रगति और आउटपुट-आउटकम के साथ लाभार्थी प्रतिक्रिया की निगरानी की जाएगी।
- यह मिशन, जल निकायों एवं जल संरक्षण संबंधित उपचारित सीवेज के पुनर्चक्रण/पुन: उपयोग पर ध्यान केंद्रित करने वाले प्रत्येक शहर के लिए शहर जल संतुलन योजना के विकास के माध्यम से जल की चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।
- इस मिशन के अंतर्गत शहरों में जीआईएस आधारित मास्टर प्लान, नगरपालिका बॉन्ड जारी कर धन जुटाना और जल निकायों का नवीकरण भी शामिल हैं।
- शहरों में पेय जल सर्वेक्षण का संचालन किया जाएगा, इसके माध्यम से शहरों में जल के समान वितरण, अपशिष्ट जल का फिर से उपयोग और मात्रा एवं गुणवत्ता के साथ जल निकायों के मानचित्रण को सुनिश्चित किया जाएगा।
- जल के क्षेत्र में नवीनतम वैश्विक प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने के लिए एक प्रौद्योगिकी उप-मिशन की शुरुआत की जाएगी ।
- जल संरक्षण को लेकर आम लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) अभियान का संचालन किया जाएगा।