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खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन-ऑयल पाम  

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - पाम ऑयल, खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन)
(मुख्य परीक्षा के लिए - सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2 - सरकारी नीतियाँ)

योजना का नाम 

खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन-ऑयल पाम  

आरंभ 

2021

अवधि 

2021-22 से 2025-26 तक 

लक्ष्य 

पाम तेल के क्षेत्र में उत्पादकता में वृद्धि

नोडल मंत्रालय 

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय

क्रियान्वयन क्षेत्र 

सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश 

आधिकारिक बेवसाइट 

nmeo.dac.gov.in

  • यह कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू की गयी एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
  • इसका उद्देश्य पाम तेल के क्षेत्र में उत्पादकता में वृद्धि कर खाद्य तेल के लिए आयात पर निर्भरता को कम करना है।

महत्वपूर्ण प्रावधान 

  • इस योजना के तहत उत्तर पूर्व क्षेत्र तथा अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह पर विशेष ध्यान दिया जायेगा।
  • इसके अंतर्गत 2025-26 तक पाम तेल के रोपण क्षेत्र को बढ़ा कर 10 लाख हेक्टेयर किया जायेगा। 
  • योजना का उद्देश्य 2025-26 तक पाम ऑयल के घरेलू उत्पादन को तीन गुना बढ़ाकर 11.20 लाख टन और 2029-30 तक 28 लाख टन करना है।
  • योजना के लिए लगभग 11,000 करोड़ रुपए का वित्तीय परिव्यय निर्धारित किया गया है, इसमे केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 8844  करोड़ रुपए तथा राज्यों की हिस्सेदारी 2196 करोड़ रुपए  है।  
  • रोपण सामग्री के लिए किसानों को 29,000  रुपए प्रति हेक्टेयर की सहायता प्रदान की जाएगी। 
  • पुराने बागों को दोबारा चालू करने के लिए 250 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से विशेष सहायता दी जा रही है।
  • बीज बागानों को उत्तर-पूर्व और अंडमान-निकोबार क्षेत्रों में 15 हेक्टेयर के लिए 1 करोड़ रुपए तथा शेष भारत में 15 हेक्टेयर के लिए 80 लाख रुपये तक की सहायता प्रदान की जाएगी।
  • इसके अलावा बीजों के बाग के लिए पूर्वोत्तर तथा अंडमान क्षेत्रों में 50 लाख रुपये तथा शेष भारत में 40 लाख रुपये निर्धारित किए गए है।
  • पूर्वोत्तर और अंडमान को विशेष सहायता का भी प्रावधान है, जिसके तहत पहाड़ों पर सीढ़ीदार अर्धचंद्राकार खेती, बायो-फेंसिंग और जमीन को खेती योग्य बनाने के साथ एकीकृत खेती के लिए प्रावधान किए गए हैं।
  • पूर्वोत्तर राज्यों और अंडमान के लिए उद्योगों को पूंजी सहायता के संदर्भ में पांच मीट्रिक टन प्रति घंटे के हिसाब से पांच करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है। 
  • पाम तेल के किसान, ताजे फलों के गुच्छे (एफएफबी )तैयार करते हैं, जिनके बीज से तेल-उद्योग, तेल निकालता है। 
  • वर्तमान में एफएफबी की कीमतें सीपीओ के अंतर्राष्ट्रीय मूल्‍यों में उतार-चढ़ाव के आधार पर तय होती हैं, पहली बार केंद्र सरकार इन एफएफबी की कीमत के लिए किसानों को आश्वासन दे रही है। 
    • यह व्यवहार्यता मूल्य कहलाएगा, इसके माध्यम से कीमतों में उतार-चढ़ाव से किसानों के हितों की रक्षा की जाएगी। 
    • एक फार्मूला मूल्य भी निर्धारित किया जायेगा, जिसके तहत क्रेता-विक्रेता अग्रिम रूप से कीमतों पर सहमत होंगे, यह महीने के आधार पर सीपीओ का 14.3 प्रतिशत होगा। 
    • आवश्यकता पड़ने पर व्यवहार्यता मूल्य व फार्मूला मूल्य के आधार पर आय-व्यय के अंतराल की भरपाई की जायेगी, ताकि किसानों को घाटा न हो।
    • इस धनराशि को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के रूप में सीधे किसानों के खातों में भेज दिया जायेगा।
  • इसमें यह प्रावधान भी किया गया है, कि एक निश्चित अवधि (1 नवंबर, 2037)  के बाद योजना से संबंधित सभी नियम-कानून स्वतः समाप्त हो जायेंगे।

oil-palm

महत्व 

  • देश में खाद्य तेल की वार्षिक माँग लगभग 2.5 करोड़ टन है, इसमें से 1.3 करोड़ टन माँग की आपूर्ति आयात के माध्यम से पूरी की जाती है, इस आयात में पाम तेल की हिस्सेदारी 55% है।  
    • भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक है, और 80 हजार करोड़ की लागत से 133.50 लाख टन खाद्य तेल का आयात करता है।
  • इस योजना से घरेलु पाम तेल का उत्पादन वर्ष 2030 तक लगभग 28 लाख टन हो जाएगा, जिससे आयात में कमी आएगी।
  • यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण ताजे फलों के गुच्छों के मूल्य में उतार-चढ़ाव का सामना करने वाले किसानों के लिए जोखिम को कम करेगा।
  • इन फैसलों से किसानों को लाभ होगा और यह उद्योग के लिए व्यवहार्य होगा, कि वह देश को खाद्य तेल की जरूरतों में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में योगदान जारी रखे और इसके परिणामस्वरूप विदेशी मुद्रा की बचत हो।
  • इस योजना से, पूंजी निवेश में वृद्धि होगी, रोजगार का सृजन होगा तथा किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।

पाम तेल 

  • यह एक खाद्य वनस्पति तेल है, जो ताड़ के पेड़ के फल प्राप्त होता है, इसका वैज्ञानिक नाम एलाइस गिनेंसिस है।
  •  ताड़ एक नम उष्णकटिबंधीय फसल है, इसकी खेती के लिए 22-24 डिग्री सेल्सियस तापमान तथा प्रति दिन कम से कम 5-6 घंटे तेज धूप और 80% आर्द्रता की आवश्यकता होती है।
  • यह फसल, किसी भी अन्य समकक्ष वनस्पति तेल की फसल की तुलना में प्रति भूमि क्षेत्र में अधिक तेल का उत्पादन करती है, यह विश्व की वनस्पति तेल की 35% मांग को केवल 10% भूमि पर पूरा कर सकती है। 
  • पाम वृक्ष वर्ष भर फल देता है, तथा इसकी उत्पादन क्षमता अन्य तिलहनों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक होती है। 
  • अन्य तिलहनों की तुलना में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पाम तेल का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 10 से 46 गुना अधिक होता है, एक हेक्टेयर की फसल से लगभग चार टन तेल निकलता है।
  • ताड़ वृक्षों की कार्बन अवशोषण क्षमता अधिक होने के कारण यह जलवायु परिवर्तन के संबंध में भी एक आकर्षक फसल है। 
  • इस तेल को विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में प्रिजर्वेटिव के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है तथा शैंपू और अन्य सौंदर्य प्रसाधन व जैव ईंधन में भी इसका इस्तेमाल होता है।
  • भारत में मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु के अलावा मिजोरम, नागालैंड, असम और अरुणाचल प्रदेश में पाम तेल का उत्पादन किया जाता है।

एशियाई पाम तेल गठबंधन (ASIAN PALM OIL ALLIANCE)

  • एशिया के पाँच प्रमुख पाम तेल आयात करने वाले देशों - भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल ने एशियन पाम ऑयल एलायंस (APOA) बनाने के लिए सहमति व्यक्त की है।
  • इसका उद्देश्य सामूहिक सौदेबाजी की शक्ति हासिल करना, आयात को टिकाऊ बनाना और ताड़ के तेल की खपत करने वाले देशों के आर्थिक और व्यावसायिक हितों की रक्षा करना है। 
  • यह सदस्य देशों में पाम तेल के उपयोग को भी बढ़ावा देगा। 

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