(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - प्रधान मंत्री आवास योजना शहरी) (मुख्य परीक्षा के लिए : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - सरकारी नीतियाँ) |
योजना का नाम
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प्रधान मंत्री आवास योजना शहरी
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आरंभ
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2015
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अवधि
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2015-2022
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लक्ष्य
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शहरी क्षेत्रों में सभी योग्य लाभार्थियों को 2022 तक पक्का घर उपलब्ध कराना
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नोडल मंत्रालय
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आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय
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क्रियान्वयन क्षेत्र
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सभी राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश
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आधिकारिक बेवसाइट
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pmaymis.gov.in
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प्रधान मंत्री आवास योजना(शहरी) (पीएमएवाई-यू)
![PMAYU](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//PMAYU.jpg)
- पीएमएवाई-यू दुनिया का सबसे बड़ा शहरी आवास कार्यक्रम है।
- इसे आवास और शहरी कार्य मंत्रालय(MoHUA) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- यह पूरे शहरी क्षेत्र को कवर करता है, जिसमें सांविधिक शहर, अधिसूचित योजना क्षेत्र, विकास प्राधिकरण, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण, औद्योगिक विकास प्राधिकरण या राज्य कानून के तहत ऐसा कोई प्राधिकरण शामिल है जिसे शहरी नियोजन और विनियमों के कार्य सौंपे गए हैं।
- यह औद्योगिक क्षेत्र में शहरी प्रवासियों/गरीबों के साथ-साथ गैर-औपचारिक शहरी अर्थव्यवस्था में उनके कार्यस्थल के करीब, किफायती किराये के आवास तक पहुंच प्राप्त करने में सहायता करेगा।
- यह महिला सदस्य के नाम या संयुक्त नाम पर मकानों का स्वामित्व प्रदान कर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है तथा विकलांग व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, एकल महिला, ट्रांसजेंडर और समाज के अन्य कमजोर और कमजोर वर्गों को वरीयता दी जाती है।
- इसे चार घटकों में विभाजित किया गया है-
- स्वस्थाने मलिन बस्ती पुनर्निमाण (ISSR)
- क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना (CLSS)
- साझेदारी में वहनीय आवास (AHP)
- लाभार्थी के नेतृत्त्व में व्यक्तिगत घर का निर्माण/ विस्तार (BLC)
![BLC](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//BLC.jpg)
पात्रता
- इस योजना हेतु भारत सरकार द्वारा निम्नलिखित पात्रता मापदंड तय किये गए हैं -
- आवेदक की आयु 70 वर्ष से कम हो
- लाभार्थी के परिवार के पास या लाभार्थी के नाम पर अथवा उसके परिवार के किसी सदस्य के नाम पर पक्का घर नहीं होना चाहिए।
- आवेदक द्वारा घर खरीदने के लिए किसी भी प्रकार की सरकारी छुट न ली गयी हो
- परिवार की अधिकतम वार्षिक आय ₹18 लाख से अधिक न हो, इसे आर्थिक रूप से 4 अलग अलग भागों में बांटा गया है -
- EWS या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग – वार्षिक आय ₹3 लाख से कम
- LIG या निम्न आय वर्ग – ₹3 लाख से ₹6 लाख वार्षिक आय
- MIG-I या मध्यम आय वर्ग 1 – ₹6 लाख से ₹12 लाख वार्षिक आय
- MIG-II या मध्यम आय वर्ग 2 – ₹12 लाख से ₹18 लाख वार्षिक आय
प्रमुख विशेषताएं
- पीएमएवाई शहरी योजना, एक मांग आधारित दृष्टिकोण अपनाती है जिसमें राज्यों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा मांग के आकलन के आधार पर आवास के निर्माण का निर्णय लिया जाता है।
- इसके तहत राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों के माध्यम से शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) और अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों को केंद्रीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- इस योजना के तहत मिलने वाली राशि और सब्सिडी सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में आएगी जो कि आधार कार्ड से लिंक होगा जिससे कि उसे योजना का सम्पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।
- इस योजना में होने वाला व्यय केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा साझा किया जायेगा।
- मैदानी राज्यों में इस व्यय का अनुपात केंद्र तथा राज्य सरकार के बीच 60:40 होगा वहीं उत्तर-पूर्व और हिमालय वाले तीन राज्यों जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में यह अनुपात 90:10 होगा।
- योजना के लाभार्थी को संपूर्ण सुविधा जैसे टॉयलेट, पीने का पानी, बिजली, खाना बनाने के लिए धुआ रहित ईंधन, सोशल और तरल अपशिष्टो से निपटने के लिए इस योजना को अन्य योजनाओं से जोड़ा भी गया है।
- इस योजना के दिशानिर्देशों के तहत, राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि योजना के तहत बनाए गए सभी घरों का भुवन एप में जियोटैग किया गया है।
- इस योजना के अंतर्गत, ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज इंडिया (जीएचटीसी- इंडिया) के तहत छह लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स (एलएचपी) एक प्रमुख पहल है, जो वैश्विक स्तर पर उपलब्ध निर्माण तकनीक को बढ़ावा देती है।
- इससे टिकाऊ, पर्यावरण के अनुकूल और आपदा को झेलने लायक तकनीक के साथ सस्ते मकानों के निर्माण में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहा है।
- एलएचपी आवास निर्माण क्षेत्र में आधुनिक युग की वैकल्पिक वैश्विक प्रौद्योगिकी का सर्वोत्तम प्रदर्शन करते हैं।
- आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने शहरी प्रवासियों/ गरीबों के लिए पीएमएवाई-यू के तहत एक उप-योजना अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स (एआरएचसी) भी शुरू की है।
- मॉडल 1 के तहत चंडीगढ़, गुजरात (अहमदाबाद, राजकोट व सूरत), राजस्थान (चित्तौड़गढ़) और जम्मू में सरकारी वित्त पोषण वाले खाली पड़े कुल 5,478 मौजूदा मकानों को एआरएचसी में बदल दिया गया है।
- गुजरात, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में 7,483 खाली मकानों को एआरएचसी में बदलने के प्रस्तावों पर पहल की जा रही है।
- मॉडल 2 के तहत, सार्वजनिक/ निजी संस्थाओं द्वारा निर्माण के लिए 178.28 करोड़ रुपये के टीआईजी के साथ 80,273 नई एआरएचसी इकाइयों को मंजूरी दी गई है।