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GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

IMPORTANT TERMINOLOGY

पाठ्यक्रम में उल्लिखित विषयों की पारिभाषिक शब्दावलियों एवं देश-दुनिया में चर्चा में रही शब्दावलियों से परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाने का चलन तेजी से बढ़ा है। यह खंड वस्तुनिष्ठ और लिखित दोनों परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है। शब्दावलियों से परिचय अभ्यर्थियों को कम परिश्रम से अधिक अंक लाने में मदद करता है। इस खंड में प्रतिदिन एक महत्वपूर्ण शब्दावली से परिचय कराया जाता है।

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1. सामूहिक उत्तरदायित्व (Collective Responsibility)

10-May-2024

यह संसदीय सरकार का एक सिद्धांत है। इसके अनुसार मंत्रिपरिषद एक टीम की तरह कार्य करती है। भारतीय संदर्भ में मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है। भारतीय संविधान में इसका उल्लेख अनुच्छेद 75 में किया गया है। यह सिद्धांत इस रूप में प्रभावी होता है कि लोकसभा, प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद को अविश्वास प्रस्ताव पारित कर हटा सकती है।

2. डाइक (Dike)

09-May-2024

जब लावा का प्रवाह दरारों में धरातल के लगभग समकोण होता है और अगर लावा इसी अवस्था में ठंडा हो जाए तो एक दीवार की तरह संरचना बन जाती है, जो डाइक कहलाती है। पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्र की अंतर्वेधी आग्नेय चट्टानों में यह संरचनाएं बहुतायत में पाई जाती है। ज्वालामुखी उद्गार से बने दक्कन ट्रेप के विकास में डाइक उद्‌गार की विशेष भूमिका है।

3. ग्रेशम का नियम (Gresham's law)

08-May-2024

इस मौद्रिक सिद्धांत के अनुसार जब सरकार दो मुद्राओं के बीच विनिमय दर को तय कर देती है, तब "कम मूल्य वाली मुद्रा अधिक मूल्य वाली मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है" क्योंकि लोग अधिक मूल्य वाली मुद्रा को जमा करते हैं वहीं कम वाली मूल्य मुद्रा को व्यय करते हैं।

4. पार्टिसिपेटरी नोट्स {Participatory Notes (P-Notes)}

07-May-2024

यह ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स (ODI) यानी विदेशी निवेशकों का निवेश माध्यम है। यह पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) आदि द्वारा उन विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं, जो सीधे खुद को पंजीकृत किए बिना भारतीय शेयर बाजारों का हिस्सा बनना चाहते हैं।

5. ज़ेनोफ़ोबिक देश (xenophobic country)

06-May-2024

ज़ेनोफ़ोबिक यूनानी मूल का शब्द है, जिसका अर्थ अजनबियों या विदेशी लोगों के प्रति अत्यधिक नापसंदगी या डर दिखाना होता है। इसी प्रकार ज़ेनोफ़ोबिक देश आप्रवासियों को अपने देश में नहीं आने देना चाहते हैं या इन देशों में आप्रवासियों के प्रति डर का माहौल पैदा किया जाता है।

6. प्रबंधकीय लचीली विनिमय दर

04-May-2024

यह विनिमय दर (घरेलू मुद्रा के रूप में विदेशी मुद्रा की एक इकाई की कीमत) मूलतः लचीली होती है। इसका निर्धारण मांग और आपूर्ति की शक्तियों द्वारा होता है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर केन्द्रीय बैंक द्वारा हस्ताक्षेप किया जाता है। वर्तमान भारत में यही प्रणाली प्रचलन में है। इसे मैनेज्ड फ्लेक्स्बिलिटी रेट, फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट आदि नामों से भी जाना जाता है।

7. जनहित याचिका (Public interest litigation)

03-May-2024

जनहित याचिका (PIL) न्यायिक सक्रियता का एक उत्पाद है। इसका तात्पर्य ‘सार्वजनिक हित’ की सुरक्षा के लिए अदालत में दायर की गई याचिका से है। इसके तहत कोई भी ‘जनभावना’ वाला व्यक्ति या सामाजिक संगठन किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूहों के अधिकार दिलाने के लिए न्यायालय जा सकता है। न्यायमूर्ति वी.आर. कृष्ण अय्यर तथा न्यायमूर्ति पी. एन. भगवती इस अवधारणा के प्रवर्तक हैं।

8. भुगतान संतुलन खाता (Balance of payments account)

02-May-2024

यह किसी राष्ट्र द्वारा निश्चित अवधि में शेष विश्व के साथ किए जाने वाले आर्थिक लेनदेन का लेखांकन होता है। इस खाते में दो प्रकार की प्रविष्टियाँ (Entries) की जाती है, जिन्हें क्रेडिट (राष्ट्र को भुगतान की प्राप्ति ) और डेबिट (राष्ट्र का भुगतान व्यय) के नामों से संबोधित किया जाता है। डेबिट और क्रेडिट में संतुलन न होने पर इस खाते में अधिशेष या घाटा हो सकता है।

9. ब्याज दर मध्यस्थता (Interest Rate Arbitrage)

01-May-2024

मध्यस्थता (आर्बिट्रेज) अलग-अलग बाजारों में प्रचलित कीमत अंतरों का लाभ उठाने की एक प्रक्रिया है। इसी प्रकार ब्याज दर मध्यस्थता दो स्थानों (सामान्यतः देशों) में ब्याज दरों के अंतर से, लाभ अर्जित करने को संदर्भित करती है । ऐसा देखा जाता है कि विकसित राष्ट्रों के निवेशक विकासशील राष्ट्रों की ऊंची ब्याज दरों का लाभ उठाने की कोशिश करते हैं।

10. त्रिस्तरीय सरकार (Three Tier Government)

30-Apr-2024

मूल रूप से अन्य संघीय संविधानों की तरह भारतीय संविधान में भी दो स्तरीय शासन व्यवस्था (केंद्र सरकार व राज्य सरकार) का प्रावधान था, जिसे बाद में वर्ष 1992 में 73वें संविधान संशोधन (ग्रामीण स्थानीय सरकार) तथा 74वें संविधान संशोधन (शहरी स्थानीय सरकार) के माध्यम से त्रिस्तरीय कर दिया गया। इस प्रकार वर्तमान समय में भारत में त्रिस्तरीय शासन व्यवस्था (केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय सरकार) है।

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