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IMPORTANT TERMINOLOGY

पाठ्यक्रम में उल्लिखित विषयों की पारिभाषिक शब्दावलियों एवं देश-दुनिया में चर्चा में रही शब्दावलियों से परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाने का चलन तेजी से बढ़ा है। यह खंड वस्तुनिष्ठ और लिखित दोनों परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है। शब्दावलियों से परिचय अभ्यर्थियों को कम परिश्रम से अधिक अंक लाने में मदद करता है। इस खंड में प्रतिदिन एक महत्वपूर्ण शब्दावली से परिचय कराया जाता है।

प्रतिदिन की सबसे महत्वपूर्ण News पढ़ने के लिए यहाँ Click करें

1. राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)

26-Apr-2024

यह घाटा कुल सरकारी व्यय (राजस्व और पूंजीगत) और कुल प्राप्तियों (राजस्व और पूंजीगत) का अंतर है, जहाँ पूंजीगत प्राप्तियों में बाजार से उधार और अन्य देयताओं को सम्मिलित नहीं किया है। इसे निम्नलिखित सूत्र से भी समझ सकते हैं-
राजकोषीय घाटा= कुल सरकारी व्यय- (राजस्व प्राप्तियां+ गैर ऋण पूंजीगत प्राप्तियाँ)

2. प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (Priority Sector Lending)

25-Apr-2024

वाणिज्यिक बैंकों को अपनी कुल उधारियों का एक निश्चित भाग सरकार और रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित किए गए विशेष क्षेत्रों (कृषि, शिक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा आदि) के लिए आवंटित करना पड़ता है। इसे प्राथमिकता क्षेत्र ऋण कहते है। सामान्य बैंकों के लिए ये हिस्सा 40% है, जबकि छोटे वित्त बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए 75% है। इसे निर्देशित उधार के नाम से भी जाना जाता है।

3. मंदी और महामंदी (Recession and Depression)

24-Apr-2024

किसी देश की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि दर लगातार दो तिमाहियों या उससे अधिक समय तक नकारात्मक रहती है, तो इस स्थिति को मंदी कहा जाता है। यदि मंदी की स्थिति में वस्तुओं की कीमते भी गिरने लगें तो यह स्थिति महामंदी कहलाती है।

4. क्राउडिंग आउट इफेक्ट (Crowding Out Effect)

23-Apr-2024

इस आर्थिक सिद्धांत के अनुसार जब सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश व्यय अधिक किया जाता है, तब निजी क्षेत्र का निवेश व्यय कम हो जाता है। अधिक सार्वजनिक निवेश व्यय के लिए सरकार द्वारा ऋण की मांग में वृद्धि से ब्याज दरें बढ़ जाती हैं। इस स्थिति में निजी निवेशकों को पूंजी प्राप्ति के लिए अधिक ब्याज चुकाना पड़ता है। परिणामस्वरूप निजी क्षेत्र का निवेश व्यय हतोत्साहित हो जाता है।

5. आयात आवरण (Import Cover)

22-Apr-2024

आयात आवरण मुद्रा की स्थिरता जांचने का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। यह आयात के उन आगामी महीनों की संख्या की जानकारी देता है, जिसे केंद्रीय बैंक के पास उपलब्ध विदेशी मुद्रा भंडार से कवर किया जा सकता है। किसी देश के लिए मुद्रा की स्थिरता हेतु न्यूनतम 8 से 10 महीने का आयात आवरण आवश्यक होता है।

6. मांग-प्रेरित मुद्रास्फीति (Demand-pull inflation)

20-Apr-2024

किसी अर्थव्यवस्था में जब साधन लागत परिवर्तित हुए बिना वस्तुओं और सेवाओं की मांग उनकी आपूर्ति की अपेक्षा अधिक हो जाती है, जिससे उनकी कीमतें बढ़ जाती है। इस स्थिति को 'मांग-प्रेरित मुद्रास्फीति' कहते हैं। सरकारी व्यय में वृद्धि, ब्याज दर में कमी, उच्च क्रय शक्ति आदि इस प्रकार की मुद्रास्फीति के प्रमुख कारण हैं।

7.  विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया (Procedure Established by Law)

19-Apr-2024

इस सैद्धांतिक वाक्यांश का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में किया गया है, जिसमें कहा गया कि किसी भी व्यक्ति को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। यदि सरकार किसी व्यक्ति के इन अधिकारों से वंचित करते समय निर्धारित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करती है, तो उसे वैध माना जाएगा, भले ही सरकार का यह कदम उसके लिए अनुचित या अन्यायपूर्ण प्रतीत हो।

8. बॉण्ड प्रतिफल (Bond yield)

18-Apr-2024

यह निवेशक को बॉण्ड में निवेश पर मिलने वाला प्रतिफल (रिटर्न) है। यह प्रतिफल बॉण्ड की कीमत पर निर्भर करता है, जो इसकी मांग से प्रभावित होती है। बॉण्ड कीमत और बॉण्ड प्रतिफल विपरीत रूप से संबंधित हैं; जैसे ही बांड की कीमत बढ़ती है, इसका बॉण्ड प्रतिफल कम हो जाता है। प्रतिफल RBI की मौद्रिक नीति, सरकार की वित्तीय स्थिति, वैश्विक बाज़ार की स्थिति, मुद्रास्फीति की दर आदि से प्रभावित होता है।

9. ग्रीन टैक्सोनॉमी (Green Taxonomy)

17-Apr-2024

यह  एक ऐसी प्रणाली है, जिसका उद्देश्य यह निर्धारित करना है कि कोई निवेश टिकाऊ/हरित के रूप में वर्गीकृत किया गया है या नहीं। यह प्रमुख जलवायु, सामाजिक, हरित/टिकाऊ उद्देश्यों को पूरा करने वाली गतिविधियों का आकलन करने के लिए सीमाओं और लक्ष्यों का उपयोग करती है। यह उन लोगों के लिए स्पष्टता प्रदान करती है, जो हरित परियोजनाओं और पहलों में निवेश करते हैं।

10. श्रिंकफ्लेशन (Shrinkflation)

16-Apr-2024

यह छिपी हुई मुद्रास्फीति का एक रूप है। इसमें किसी उत्पाद की कीमत को कम किए बिना उस उत्पाद के आकार को कम कर दिया जाता है। जैसे- किसी बिस्किट के पैकेट की कीमत को बिना बदले उसमें बिस्किट की संख्या कम कर देना।  यह कंपनियों का लाभ बढ़ाने और बढ़ती इनपुट लागतों को समायोजित करने की एक रणनीति होती है।

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