पाठ्यक्रम में उल्लिखित विषयों की पारिभाषिक शब्दावलियों एवं देश-दुनिया में चर्चा में रही शब्दावलियों से परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाने का चलन तेजी से बढ़ा है। यह खंड वस्तुनिष्ठ और लिखित दोनों परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है। शब्दावलियों से परिचय अभ्यर्थियों को कम परिश्रम से अधिक अंक लाने में मदद करता है। इस खंड में प्रतिदिन एक महत्वपूर्ण शब्दावली से परिचय कराया जाता है।
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28-Oct-2024
यह ऐसी आर्थिक प्रक्रिया है, जिसमें किसी देश की सरकार द्वारा मुद्रा प्रणाली में हस्तक्षेप करके किसी मुद्रा विशेष की कानूनी वैधता ख़त्म कर दी जाती है। सामान्यतः इसका उद्देश्य काले धन को खत्म करना होता है। इस प्रक्रिया में काला धन छिपाने वाले लोगों को न चाहते हुए भी अपनी संपत्ति की घोषणा करनी पड़ती है।
26-Oct-2024
इस प्रकार की मौद्रिक नीति के तहत तरलता को कम कर मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के उद्देश्य से ब्याज दर में वृद्धि की जाती है। इससे आर्थिक संवृद्धि दर पर विपरीत प्रभाव पड़ने की संभावना रहती है।
25-Oct-2024
यह एक ऐसा बाज़ार है, जहाँ लघु-अवधि (एक वर्ष से कम) के लिये मौद्रिक संपत्तियों या प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय होता है। मुद्रा बाज़ार के माध्यम से ही भारतीय रिज़र्व बैंक तरलता की मात्रा को नियंत्रित करता है।
24-Oct-2024
वचन-पत्र वे ऋण साधन हैं, जो कंपनियों और व्यक्तियों को बैंक के अलावा किसी अन्य स्रोत से वित्तपोषण प्राप्त करने की अनुमति देते हैं। इसमें जारीकर्ता निश्चित व्यक्ति या उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को निश्चित राशि का भुगतान निश्चित अवधि पर करने का वचन देता है। एक वचन-पत्र में ऋण से संबंधित सभी शर्तें शामिल होती हैं, जैसे कि प्रमुख राशि, ब्याज दर, परिपक्वता तिथि तथा जारी करने की तारीख, जगह और जारीकर्ता के हस्ताक्षर आदि।
23-Oct-2024
यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और भारतीय रियासतों के बीच एक प्रकार की मैत्री संधि थी। इसका प्रयोग भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड वेलेजली (1798-1805 ई.) द्वारा भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना के लिए किया गया, हालाँकि सहायक संधि प्रणाली का सर्वप्रथम प्रयोग फ्राँसीसी गवर्नर डुप्ले ने किया था।
22-Oct-2024
यह भारत में अंग्रेज़ों के शासनकाल में लागू की गई भू-राजस्व वसूलने की एक प्रणाली थी। इसके तहत लगान का निर्धारण महाल या संपूर्ण गाँव की ऊपज के आधार पर किया जाता था। ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के करीब 30% भू-भाग पर यह व्यवस्था लागू की थी, जिसमें मध्य प्रांत, आगरा, पंजाब आदि क्षेत्र शामिल थे। इसकी शुरुआत वर्ष 1822 में हॉल्ट मैकेंज़ी ने की थी।
21-Oct-2024
अर्थव्यवस्था में मौद्रिक प्रवाह को विनियमित करने के लिये केंद्रीय बैंक विभिन्न नीतिगत कदम उठाता है। इन्हीं नीतियों को समग्र रूप से 'मौद्रिक नीति' कहते हैं। यह तरलता समायोजन में सहायक होती है। इसके माध्यम से ब्याज दर, मुद्रा आपूर्ति एवं मुद्रास्फीति को नियत्रित करते हुए आर्थिक संवृद्धि दर को प्रोत्साहित किया जाता है।
19-Oct-2024
यह किसी अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव की स्थिति को दर्शाता है। इसके अनुसार, अर्थव्यवस्था में तेज़ी अथवा मंदी की स्थिति आती रहती है। इसे दो चरणों में विभाजित किया जाता है। ऊपरी चरण या संवृद्धि की अवस्था में सुधार व उछाल की अवस्था शामिल होती है, जबकि निम्न चरण में सुस्ती अथवा मंदी की अवस्था शामिल होती है।
18-Oct-2024
यह दो प्रकार के होते हैं- कठोर मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण और लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण। कठोर मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण को तब अपनाया जाता है, जब केंद्रीय बैंक केवल किसी दिये गये मुद्रास्फीति लक्ष्य के आस-पास मुद्रास्फीति को बनाए रखना चाहता है और लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण को तब अपनाया जाता है, जब केंद्रीय बैंक कुछ अन्य कारकों जैसे- ब्याज दरों में स्थिरता, विनिमय दर, उत्पादन और रोज़गार आदि को लेकर चिंतित होता है।
17-Oct-2024
जब अर्थव्यवस्था की खराब आधारभूत संरचना के कारण बाज़ार में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति घटने लगती है तथा कीमत स्तर में वृद्धि होने लगती है तो उसे ‘अवरोधात्मक मुद्रास्फीति’ कहते हैं। यह स्थिति आपूर्ति में कमी के विभिन्न अवरोधों को दर्शाती है।
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