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IMPORTANT TERMINOLOGY

पाठ्यक्रम में उल्लिखित विषयों की पारिभाषिक शब्दावलियों एवं देश-दुनिया में चर्चा में रही शब्दावलियों से परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाने का चलन तेजी से बढ़ा है। यह खंड वस्तुनिष्ठ और लिखित दोनों परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है। शब्दावलियों से परिचय अभ्यर्थियों को कम परिश्रम से अधिक अंक लाने में मदद करता है। इस खंड में प्रतिदिन एक महत्वपूर्ण शब्दावली से परिचय कराया जाता है।

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1. LGBTIQ मुक्त क्षेत्र (LGBTIQ Freedom Zone)

13-Mar-2021

पॉलैंड के विवादास्पद ‘LGBTIQ विचारधारा-मुक्त क्षेत्र’ के विरुद्ध प्रतिक्रिया में यूरोपीय संसद ने 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ को प्रतीकात्मक रूप से ‘LGBTIQ मुक्त क्षेत्र’ घोषित कर दिया है। वस्तुतः पोलैंड के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों को LGBTIQ समुदाय की विचारधारा से दूर रखने का प्रयास किया जाता है। ध्यातव्य है कि हंगरी और पॉलैंड जैसे यूरोपीय संघ के देशों में समलैंगिक संबंधों को मान्यता प्राप्त नहीं है। यहाँ बड़े पैमाने पर LGBTIQ समुदाय के लोगों के मानवाधिकारों के हनन की घटनाएँ सामने आती हैं।

2. नॉलेज डिप्लोमेसी (Knowledge Diplomacy)

11-Mar-2021

दो या दो से अधिक देशों के बीच जब उच्च शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार द्वारा संबंध निर्माण की पहल होती है, इसे नॉलेज डिप्लोमेसी कहते हैं। वर्तमान में फ़ार्मा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में भारत की सक्रियता नॉलेज डिप्लोमेसी का उदाहरण है। प्रतिभा पलायन, शिक्षा का गिरता स्तर और अन्य देशों से प्रतिस्पर्धा इस क्षेत्र में  कुछ प्रमुख चुनौतियाँ हैं।

3. ग्रे वाटर (Grey Water)

10-Mar-2021

घरों एवं कार्यालयों से निकलने वाले अपशिष्ट जल (शौचालय को छोड़कर) को 'ग्रे वाटर' कहते हैं। ग्रे वाटर के स्रोतों में सिंक, वर्षा, स्नान, वाशिंग मशीन तथा डिशवॉशर आदि से निकले अपशिष्ट जल को शामिल किया जाता है। चूँकि इसमें बड़े कार्बनिक अणु अनुपस्थित होते है अतः इसका शोधन किया जा सकता है। यदि घरेलू स्तर पर इसे रिसाइकल/पुनर्चक्रित कर उपयोग में लाया जा सके तो पानी की समस्या दूर हो सकती है। ऑस्ट्रेलिया में ग्रे वाटर का शत् प्रतिशत उपयोग किया जाता है।

4. वैश्वीकरण (Globalization)

09-Mar-2021

क्षेत्रीय विचारों, वस्तुओं एवं घटनाओं के वैश्विक स्तर पर प्रसार की प्रक्रिया वैश्वीकरण कहलाती है। यह आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, तकनीकी एवं सांस्कृतिक आयामों का पारस्परिक संयोजन है। प्रायः इसका उपयोग आर्थिक वैश्वीकरण के संदर्भ में किया जाता है, जिसका अभिप्राय विभिन्न माध्यमों (व्यापार, पूंजी प्रवाह, प्रवास, प्रौद्योगिकीय प्रसार इत्यादि) द्वारा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में एकीकरण से है।

5. प्रेसिज़न फार्मिंग (Precision Farming)

06-Mar-2021

यह एक समन्वित कृषि प्रबंधन प्रणाली है। इसके अंतर्गत उत्पादकता एवं उत्पादन में कमी के कारकों की पहचान करके, उन कमियों को दूर करने हेतु प्रबंधकीय व्यवस्था की जाती है।

6. फर्टीगेशन (Fertigation)

05-Mar-2021

फर्टिगेशन शब्द फर्टिलाइजर और इर्रिगेशन से मिलकर बना है। यह खेतों में उर्वरक डालने की सर्वोत्तम तथा अत्याधुनिक विधि है। इस विधि में ड्रिप सिंचाई द्वारा जल के साथ-साथ उर्वरकों को भी पौधों तक पहुँचाया जाता है। इससे पौधों को आवश्यकतानुसार पोषक तत्व मिल जाते हैं और उर्वरकों का अपव्यय भी नहीं होता है।

7. साइबर कूटनीति (Cyber diplomacy)

04-Mar-2021

राष्ट्रों द्वारा साइबर सुरक्षा, इंटरनेट गवर्नेंस, इसके सैन्य उपयोग तथा इंटरनेट से जुड़े विभिन्न नवाचारों के कूटनीतिक और आर्थिक अनुप्रयोगों को साइबर कूटनीति कहते हैं।

8. शेंजेन क्षेत्र (Schengen Area)

03-Mar-2021

यूरोप के पासपोर्ट–मुक्त क्षेत्र को शेंजेन कहते हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा वीज़ा–मुक्त यात्रा क्षेत्र है। 14 जून, 1985 को हुए शेंजेन समझौते द्वारा अस्तित्व में आया यह क्षेत्र यूरोपीय संघ के 26 देशों का ऐसा समूह है, जिन्होंने आधिकारिक रूप से अपने नागरिकों के लिये पासपोर्ट और अन्य सभी प्रकार के सीमा नियंत्रण को समाप्त कर दिया है। इनका संचालन एकल राष्ट्र की तरह होता है। शेंजेन नियमों को वर्ष 1999 में एम्स्टर्डम समझौते द्वारा यूरोपीय संघ (EU) के क़ानून में शामिल किया गया था।

9. नीला ज्वार या जैव संदीप्ति (Blue Tide or Bioluminescence)

02-Mar-2021

समुद्री लहरों की हलचल द्वारा पादप प्लवकों (सूक्ष्म समुद्री पादपों), डायनोफ्लैजिलेट्स (Dinoflagellates) के अंदर स्थित प्रोटीन में होने वाली रासायनिक अभिक्रियाओं की वजह से नीले प्रकाश का उत्सर्जन होता है। जिसे नीला ज्वार या जैव-संदीप्‍ति कहा जाता है।

10. मियावाकी पद्धति (Miyawaki Method)

01-Mar-2021

वनरोपण की इस पद्धति की खोज 'अकीरा मियावाकी' नामक जापानी वनस्पतिशास्त्री ने की थी। इसके अंतर्गत, सघन पौधारोपण किया जाता है, जिससे पौधों पर मौसम की मार का विशेष असर नहीं पड़ता और गर्मियों के दिनों में भी पौधों के पत्ते हरे बने रहते हैं। कम स्थान में अधिक संख्या में लगे पौधे एक ऑक्सीजन बैंक की तरह कार्य करते हैं, साथ ही वर्षा को आकर्षित करने में भी सहायक होते हैं। एक प्राकृतिक वन को विकसित होने में सामान्यतः 100 वर्ष का समय लगता है, किंतु मियावाकी पद्धति में पौधों को सूर्य के प्रकाश के लिये प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है, अतः 20-25 वर्षों में ही परिणाम प्राप्त होने लगते हैं।

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