पाठ्यक्रम में उल्लिखित विषयों की पारिभाषिक शब्दावलियों एवं देश-दुनिया में चर्चा में रही शब्दावलियों से परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाने का चलन तेजी से बढ़ा है। यह खंड वस्तुनिष्ठ और लिखित दोनों परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है। शब्दावलियों से परिचय अभ्यर्थियों को कम परिश्रम से अधिक अंक लाने में मदद करता है। इस खंड में प्रतिदिन एक महत्वपूर्ण शब्दावली से परिचय कराया जाता है।
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22-Oct-2024
यह भारत में अंग्रेज़ों के शासनकाल में लागू की गई भू-राजस्व वसूलने की एक प्रणाली थी। इसके तहत लगान का निर्धारण महाल या संपूर्ण गाँव की ऊपज के आधार पर किया जाता था। ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के करीब 30% भू-भाग पर यह व्यवस्था लागू की थी, जिसमें मध्य प्रांत, आगरा, पंजाब आदि क्षेत्र शामिल थे। इसकी शुरुआत वर्ष 1822 में हॉल्ट मैकेंज़ी ने की थी।
21-Oct-2024
अर्थव्यवस्था में मौद्रिक प्रवाह को विनियमित करने के लिये केंद्रीय बैंक विभिन्न नीतिगत कदम उठाता है। इन्हीं नीतियों को समग्र रूप से 'मौद्रिक नीति' कहते हैं। यह तरलता समायोजन में सहायक होती है। इसके माध्यम से ब्याज दर, मुद्रा आपूर्ति एवं मुद्रास्फीति को नियत्रित करते हुए आर्थिक संवृद्धि दर को प्रोत्साहित किया जाता है।
19-Oct-2024
यह किसी अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव की स्थिति को दर्शाता है। इसके अनुसार, अर्थव्यवस्था में तेज़ी अथवा मंदी की स्थिति आती रहती है। इसे दो चरणों में विभाजित किया जाता है। ऊपरी चरण या संवृद्धि की अवस्था में सुधार व उछाल की अवस्था शामिल होती है, जबकि निम्न चरण में सुस्ती अथवा मंदी की अवस्था शामिल होती है।
18-Oct-2024
यह दो प्रकार के होते हैं- कठोर मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण और लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण। कठोर मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण को तब अपनाया जाता है, जब केंद्रीय बैंक केवल किसी दिये गये मुद्रास्फीति लक्ष्य के आस-पास मुद्रास्फीति को बनाए रखना चाहता है और लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण को तब अपनाया जाता है, जब केंद्रीय बैंक कुछ अन्य कारकों जैसे- ब्याज दरों में स्थिरता, विनिमय दर, उत्पादन और रोज़गार आदि को लेकर चिंतित होता है।
17-Oct-2024
जब अर्थव्यवस्था की खराब आधारभूत संरचना के कारण बाज़ार में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति घटने लगती है तथा कीमत स्तर में वृद्धि होने लगती है तो उसे ‘अवरोधात्मक मुद्रास्फीति’ कहते हैं। यह स्थिति आपूर्ति में कमी के विभिन्न अवरोधों को दर्शाती है।
16-Oct-2024
यह एक सूचना भंडार है, जो व्यक्तियों और कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं के सभी प्रकार के ऋणों से संबंधित जानकारियों के संग्रहण का कार्य करती है। यह RBI द्वारा गठित की गई वाई.एम. देवस्थली समिति की सिफारिशों पर आधारित है।
15-Oct-2024
इसका उपयोग अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग लेन-देन में किया जाता है। यह एक प्रकार की बैंक गारंटी है, जिसके तहत एक बैंक अपने ग्राहक को अल्पकालिक साख के रूप में किसी अन्य भारतीय बैंक की विदेशी शाखा से धन जुटाने की अनुमति देता है।
14-Oct-2024
वे बैंक जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची में सम्मिलित नहीं हैं, गैर-अनुसूचित बैंक कहलाते हैं। ये बैंक RBI के दिशा-निर्देशों के अनुरूप कार्य करने के दायित्व से मुक्त होते हैं। इन्हें अनुसूचित बैंकों की तरह अधिकार और लाभ नहीं मिलते हैं और न ही इन बैंकों को RBI से ऋण लेने की अनुमति होती है।
11-Oct-2024
वह ब्याज दर जिसके आधार पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को दीर्घकालिक अवधि के लिये ऋण प्रदान करता है, बैंक दर कहलाती है। बैंक दर के माध्यम से रिज़र्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों की साख सृजन क्षमता को प्रभावित करता है। RBI द्वारा प्रतिभूतियों पर पुनर्कटौती किये जाने के कारण इसे 'पुनर्कटौती ब्याज दर' भी कहा जाता है।
10-Oct-2024
ग्राहकों द्वारा नकदी निकालने की स्थिति में बैंकों के पास नकदी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने एवं मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के उद्देश्य से प्रत्येक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक के लिये उसकी संपूर्ण जमा देयताओं का एक निश्चित हिस्सा RBI के पास नकद रूप में रिज़र्व रखना आवश्यक होता है।
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