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द बिग पिक्चर: सामरिक तेल भण्डार और ऊर्जा सुरक्षा

हाल ही में,भारत ने वैश्विक रूप से कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के प्रमुख तेल उत्पादक केंद्रों में तेल की कम कीमतों का लाभ उठाने का फैसला लिया है ताकि आपातकाल के समय ज़रूरतों को पूरा करने के लिये बनाए गए सामरिक तेल भण्डारों की उपयोगिता सुनिश्चित की जा सके।

भारत विश्वमें कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक देश है और भारत की वर्तमानभण्डारण क्षमता 5.3 मिलियन टन (MT) है:

  • विशाखापत्तनम (1.3 मिलियन टन),
  • मैंगलोर (1.5 मिलियन टन),
  • पाडुर (2.5 मिलियन टन)।

वैश्विक सामरिक पेट्रोलियम भण्डार (Global Strategic Petroleum Reserves - GSPRs):

  • वैश्विक सामरिक पेट्रोलियम भण्डार मुख्यतः किसी देश की सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने और ऊर्जा संकट के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने में मदद करने के लियेनिर्मित कच्चे तेल के भण्डार (या स्टॉकपाइल्स) को संदर्भित करता है।
  • ध्यातव्य है किकई देशों ने आपातकाल की स्थिति में दूसरे देशों के साथ अपने स्टॉकपाइल्स को साझा करने के लिये समझौते भी किये हैं। उदाहरण के लिये-
    • संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल समझौता।
    • फ्रांस, जर्मनी और इटली समझौता।
    • जापान, न्यूज़ीलैंड और दक्षिण कोरिया समझौता।
  • विश्व में सबसे ज़्यादा सामरिक पेट्रोलियम भण्डार:
    • संयुक्त राज्य अमेरिका- 714 मिलियन बैरल,
    • चीन- 475 मिलियन बैरल,
    • जापान- 324 मिलियन बैरल।

भारत में पेट्रोलियम के सामरिक भण्डार (Strategic Petroleum Reserves In India):

  • भारत अपने सामरिक पेट्रोलियम भण्डारों के द्वारालगभग 10 (9.5)दिनों के तेल की ज़रूरतों को पूरा करने की स्थिति में हैं, जिसमें दो नए भण्डारों के जुड़ने के साथ 11.57 दिन के भण्डार और बढ़ जाएंगे।
    • इस प्रकार, भारत के सामरिक तेल भण्डारों में कुल 22 दिनों (10 + 12) तक के लिये तेल उपलब्ध होगा।
  • ध्यातव्य है कि भारतीय रिफाइनर कच्चे तेल के 65 दिनों तक के भण्डारण (औद्योगिक स्टॉक) रखते हैं। इस प्रकार, भारतीय सामरिक भण्डारों के द्वितीय चरण के पूरे होने के बाद भारत में तेल के कुल भण्डार 87 दिनों (22 + 65) की खपत रखने वाले हो जाएंगे। यह अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसीद्वारा 90 दिनों के भण्डारण विनियमन के लगभग बराबर होगा।
  • विदित है किअन्य दो भण्डारों का निर्माण चंडिखोल (ओडिशा) (4 मिलियन टन) और पाडुर (कर्नाटक) (2.5 मिलयन टन) में किया जा रहा है।
  • सामरिक पेट्रोलियम भण्डार मुख्यतः कच्चे तेल के विशाल भण्डार हैं, जो कच्चे तेल से सम्बंधित किसी भी संकट जैसे प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध या भूकम्प आदिसे निपटने के लिये बनाए जाते हैं ताकि ऐसी आपदा या समस्या के समय देश में किसी भी प्रकार से तेल की आपूर्ति न रुके।
  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा कार्यक्रम (International Energy Programme-IEP) पर हुए समझौते के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ( International Energy Agency - IEA) से सम्बद्ध प्रत्येक देश अपने पास कम से कम 90 दिनों के शुद्ध तेल आयात के बराबर का आपातकालीन तेल भण्डार रख सकता है।
  • उल्लेखनीय है कि यदि तेल आपूर्ति में किसी भी प्रकार का गम्भीर व्यवधान आता है तो IEA सदस्य देश सामूहिक कार्रवाई के तहत अपने तेल के भण्डारों को बाज़ार में बेचने का निर्णय ले सकते हैं।
  • ध्यातव्य है कि भारतवर्ष 2017 में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का एक सहयोगी सदस्य देश बना।
  • सामरिक तेल भण्डार की अवधारणा पहली बार वर्ष 1973 में अमेरिका में ओपेक तेल संकट के बाद देखने को मिली थी।
  • भूमिगत भण्डारण, पेट्रोलियम उत्पादों के भण्डारण की सबसे कम खर्चीली विधि है, इससे वाष्पीकरण कम होता है और क्योंकि भण्डारण के लिये गुफाओं का निर्माण समुद्र तल से बहुत नीचे किया जाता है इसलिये जहाज़ों से उनमें कच्चे तेल का निर्वहन करना आसान होता है। यदि भविष्य में आक्रमण इत्यादि भी होता है तो यह भण्डारण पूर्णतः सुरक्षित रहेगा।
  • भारत में सामरिक कच्चे तेल भण्डारों (Strategic Crude Oil Storages)केनिर्माण एवं प्रबंधन आदि का कार्य इंडियन स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व्स लिमिटेड (ISPRL) द्वारा किया जा रहा है।
  • ISPRL, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत तेल उद्योग विकास बोर्ड (OIDB) के पूर्ण स्वामित्त्व वाली एक सहायक कम्पनी है।

भारत में सामरिक पेट्रोलियम भण्डार की आवश्यकता (Need of Strategic Petroleum Reserves in India):

  • भारत को अभी भी अपनी आवश्यकता के लिये 83% कच्चे तेल को आयात करने की आवश्यकता पड़ती है जो भारत के आयात बजट को बढ़ाता है,जिससे चालू खाता घाटा (CAD) भी बढ़ता है।
    • देश की 86% ऊर्जा तेल पर निर्भर है जहाँ प्रतिदिन लगभग 5 मिलियन बैरल तेल की खपत होती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत में उतार-चढ़ाव के चलते भारत को देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और मौद्रिक नुकसान से बचने के लिये पेट्रोलियम भण्डार बनाने की सख्त ज़रूरत है।
    • IEA ने भविष्यवाणी की है कि वर्ष 2020 तक, भारत विश्व का सबसे बड़ा तेल आयातक देश बन सकता है, जिससे देश में किसी भी प्रकार की भौतिक आपूर्ति केबाधित होने पर देश में सामरिक खतरे की सम्भावना बढ़ सकता है।
  • ध्यातव्य है कि भारत की मौजूदा क्षमता अंतर्राष्ट्रीय कच्चे बाज़ार में होने वाली किसी भी अप्रत्याशित घटना से निपटने के लिये पर्याप्त नहीं है।

सरकारी पहल :

  • भारत सरकार ने तेल क्षेत्रों से वसूली में सुधार के लिये निवेश और प्रौद्योगिकी को आकर्षित करने के लिये राजकोषीय प्रोत्साहन को मंज़ूरी दी है, जिससे अगले बीस वर्षों में हाइड्रोकार्बन उत्पादन 50 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।
  • भारत कच्चे तेल आधारित उत्पादों (जिन्हें देश की प्रदूषण समस्या के लिये सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार ठहराया जाता है) पर निर्भरता को दूर करने के लिये एक प्राकृतिक गैस व्यापार विनिमय (a natural gas trading exchange) स्थापित करने पर काम कर रहा है।
  • भारत प्राकृतिक गैस के लिये एक पारदर्शी बाज़ार विकसित करना चाहता है जहाँ गैस का मूल्य विनिमय या एक्सचेंज के द्वारा निर्धारित किया जाता है। इसका उद्देश्य वर्ष2028 से वर्ष2030 के बीच भारत के कुल ऊर्जा मिश्रण (total energy mix) में प्राकृतिक गैस के उपयोग को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करना है।
  • तेल मंत्रालय ने स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये जैव-सी.एन.जी. (compressed natural gas) संयंत्र और इससे सम्बद्ध बुनियादी ढाँचे को स्थापित करने की योजना भी बनाई है।

सामरिक भण्डारों का महत्त्व :

  • वर्ष 1990 में पश्चिम एशिया में हुए खाड़ी देशों के युद्ध के समय भारत समेत अनेक देशों में खनिज तेल को लेकर एक बड़ा संकट उत्पन्न हो गया था और स्रोतों के हिसाब से भारत के पास मात्र 3 दिन का ही तेल बचा रह गया था। उस समय भारत किसी प्रकार इस कठिन परिस्थिति से बाहर निकला लेकिन इस तरह के संकट कभी भी सामने आ सकते हैं।
  • भारत मूलतः इन जीवाश्म ईंधनों पर निर्भर है और भारत का लगभग 80% आयात पश्चिम एशिया के देशों से होता है यदि इन देशों में युद्ध छिड़ जाए (जिसकी सम्भावना अक्सर बनी रहती है) तो न सिर्फ हम आपूर्ति संकट से घिर जाएँगे बल्कि चालू खाता भी घाटे में जा सकता है। भारत में प्रत्येक दिन लगभग 40 लाख बैरल कच्चे तेल की खपत होती है इस वजह से सामरिक या सामरिक तेल भण्डार का महत्त्व बहुत बढ़ जाता है।

आगे की राह :

  • भारत को चीन के तरह हीतेल निर्यातक देशों से तेल खरीदकर भारतीय परिसम्पत्ति के रूप में वहीँ संग्रहीत भी करना चाहिये ताकि आवश्यकता पड़ने पर तेल पुनः प्राप्त किया जा सके।
  • भारत को कई देशों से अपने तेल के अनुबंध रखने चाहिये ताकि किसी एक क्षेत्र के एकाधिकार से बचा जा सके। उदाहरण के लिये, वर्तमान में भारत खाड़ी क्षेत्र से अधिकांश तेल का आयात कर रहा है, वहाँ किसी भी प्रकार की आपात स्थिति या युद्ध की दशा में भारत को नुकसान हो सकता है।
  • तेल ऊर्जा का मुख्य स्रोत है, लेकिन इसके भण्डार सीमित हैं, इसलिये वैकल्पिक स्रोतों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • भारत का 90% तेल विदेशी जहाज़ों के द्वारा आयातकिया जाता है, इस पर भी ध्यान दिया जानाचाहिये। भारत को तेल के परिवहन के लिये अपने स्वयं के जहाज़ों का अधिग्रहण करने की आवश्यकता है।
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