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अंतरिक्ष क्षेत्र में 100% को मंजूरी

प्रारंभिक परीक्षा – अंतरिक्ष क्षेत्र में 100% FDI को मंजूरी
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3

चर्चा में क्यों

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने 21 फ़रवरी,2024 को अंतरिक्ष क्षेत्र पर मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति में संशोधन को मंजूरी दी।

FDI

प्रमुख बिंदु 

  • उपग्रह उप-क्षेत्र को तीन अलग-अलग गतिविधियों में विभाजित किया गया है - प्रक्षेपण यान, उपग्रह और उपग्रह घटक।
  • संशोधित नीति के तहत लॉन्च वाहनों में 49 प्रतिशत तक, उपग्रहों में 74 प्रतिशत और उपग्रह घटकों में 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति है।

भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के तहत बदलाव

  • संशोधित नीति के अंतर्गत अतरिक्ष के उपग्रह उप-क्षेत्र को तीन अलग-अलग गतिविधियों में विभाजित किया गया है।
  • तीनों के लिए विदेशी निवेश की सीमा भी अलग-अलग तय की गयी है।
  1. प्रक्षेपण वाहनों और संबंधित प्रणालियों एवं उप प्रणालियों, अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपित करने एवं उसकी वापसी के लिए ‘स्पेसपोर्ट’ के निर्माण को लेकर स्वचालित मार्ग से 49 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी गयी है।
  • इससे अधिक निवेश के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होगी।
  1. उपग्रह विनिर्माण और परिचालन, उपग्रह से मिलने वाले आंकड़ों जैसे क्षेत्रों में स्वचालित मार्ग से 74 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की मंजूरी दी है।
  • इस सीमा से अधिक के निवेश के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
  1. उपग्रहों, ग्राउंड, उपयोगकर्ता खंड के लिए उपकरणों और प्रणालियों एवं उप-प्रणालियों के निर्माण के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी गयी है। 

संशोधित नीति के लाभ:

  • अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी में वृद्धि होगी ।
  • नौकरियों के अवसर में वृद्धि करना।
  • आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाने में मदद मिलेगी ।
  • कंपनियों को भारत में विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने की अनुमति प्राप्त होगी।
  • भारतीय कंपनियों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत किए जाने में सहायता प्राप्त होगी।
  • मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को संबल प्राप्त होगा।

भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023

  • भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 को संवर्धित निजी भागीदारी के माध्यम से अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत के सामर्थ्‍य का पता लगाने के विजन को लागू करने के लिए एक व्यापक, समग्र और गतिशील ढांचे के रूप में अधिसूचित किया गया था।

उद्देश्य

  • भारत की अंतरिक्ष विभाग की क्षमताओं को बढ़ावा देना।
  • अंतरिक्ष में सफल व्यावसायिक उपस्थिति विकसित करना।
  • अंतरिक्ष का उपयोग प्रौद्योगिकी विकास के चालक के रूप में करना और संबद्ध क्षेत्रों में लाभ प्राप्त करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को आगे बढ़ाना और सभी हितधारकों के बीच अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए इकोसिस्‍टम तैयार करना।
  • इसरो मिशन की गतिविधियों को बढ़ावा देना। 
  • अनुसंधान, शिक्षा, स्टार्टअप और उद्योग के माध्यम से भागीदारी को प्रोत्साहित करना।

मुख्य विशेषताएं:

    भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को रेखांकित करना

  • भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 अंतरिक्ष क्षेत्र में विभिन्न संगठनों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को रेखांकित करती है।
  • इस नीति में इसरो, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड और निजी क्षेत्र की संस्थाओं की जिम्मेदारियां शामिल हैं।
  • न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित रणनीतिक गतिविधियों को अंजाम दिया जाएगा, जो मांग-संचालित मोड में कार्य करेगा।
  • इसरो अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए कोई परिचालन और उत्पादन कार्य नहीं करेगा और अपनी ऊर्जा को नई तकनीकों, नई प्रणालियों और अनुसंधान और विकास के विकास पर केंद्रित करेगा।
  • इसरो के मिशनों के परिचालन भाग को न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) में स्थानांतरित कर दिया जाएगा, जो अंतरिक्ष विभाग के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
  • भूमिकाओं में यह स्पष्टता स्थापित घटकों के कुशल कामकाज में मदद करेगी।

 मल्टीस्टेकहोल्डर भागीदारी

  • नीति का उद्देश्य अंतरिक्ष विभाग की भूमिका को बढ़ाकर और अनुसंधान, शिक्षा, स्टार्टअप और उद्योग से भागीदारी को प्रोत्साहित करके अंतरिक्ष क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देना है।
  • इससे अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी और निजी क्षेत्र के लिए अधिक अवसर पैदा होंगे।

 इसरो मिशन को बढ़ावा देना

  • भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 का उद्देश्य इसरो मिशन की गतिविधियों को बढ़ावा देना है।
  • इससे इसरो को अपने उद्देश्यों को अधिक कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • यह नई प्रौद्योगिकियों और अभिनव समाधान के विकास में भी मदद करेगा। 

 निजी क्षेत्र की भागीदारी

  • यह नीति, अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में निजी क्षेत्र के महत्व पर बल देती है।
  • यह अंतरिक्ष क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं में निजी क्षेत्र की संस्थाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करती है।
  • यह निजी क्षेत्र को एंड-टू-एंड अंतरिक्ष गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति देती है, जिसमें उपग्रह, रॉकेट और लॉन्च वाहन, डेटा संग्रह और प्रसार शामिल हैं। 
  • इससे निजी क्षेत्र के लिए अधिक अवसर उत्पन्न होंगे और इससे भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के विकास में मदद मिलेगी।

अनुसंधान और विकास

  • नीति का उद्देश्य अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में अनुसंधान, शिक्षा और स्टार्टअप को शामिल करना है।
  • इससे नई तकनीकों, नवोन्मेषी समाधानों और टैलेंट पूल के विकास में मदद मिलेगी।
  • यह भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के विकास में भी मदद करेगा और इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के अधिक अवसर उत्पन्न होंगे।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(Foreign Direct Investment,FDI)

FDI

  • किसी एक देश के व्यक्ति या कंपनी द्वारा किसी दूसरे देश में व्यावसायिक गतिविधियों में किये गए निवेश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहते है।
  • इसके तहत निवेश की मात्रा कंपनी की कुल हिस्सेदारी में 10 प्रतिशत से अधिक होती है।
  • यह किसी देश के आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण गैर-ऋण मौद्रिक स्रोत है।
  • FDI के माध्यम से विदेशी कंपनियाँ सीधे तौर पर दूसरे देश में रोजमर्रा के कामकाज से जुड़ जाती हैं।
  • ये निवेश के साथ ज्ञान, कौशल और तकनीक भी लाती हैं।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के तहत शामिल गतिविधियां:

  • किसी दूसरे देश में एक सहायक कंपनी की स्थापना करना।
  • किसी मौजूदा विदेशी कंपनी का विलय अथवा अधिग्रहण।
  • किसी विदेशी कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम साझेदारी।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का स्वचालित मार्ग:

  • ऐसे व्यावसायिक क्षेत्रों में निवेश के लिए सरकार से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सरकारी मार्ग:

  • ऐसे व्यावसायिक क्षेत्रों में निवेश के लिए सरकार से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होती है।

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने 21 फ़रवरी,2024 को अंतरिक्ष क्षेत्र पर मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति में संशोधन को मंजूरी दी।
  2. संशोधित नीति के तहत लॉन्च वाहनों में 49 प्रतिशत तक, उपग्रहों में 74 प्रतिशत और उपग्रह घटकों में 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति है।
  3. इससे भारतीय कंपनियों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत किए जाने की संभावना है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?

(a) केवल एक 

(b) केवल दो 

 (c) सभी तीनों 

(d)  कोई भी नहीं 

उत्तर: (c)

मुख्य परीक्षा प्रश्न : भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 में किए गए संशोधनों का परीक्षण कीजिए।

 स्रोत:the hindu 

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