18-Jan-2022
हाल ही में, तमिलनाडु सरकार ने ‘वस्तु एवं सेवा कर’ (Goods and Services Tax- GST)के तहत राज्यों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की समयावधि में वृद्धि की मांग की है।
17-Jan-2022
हाल ही में, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 17वीं ‘भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट’ 2021 जारी की है। भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग भारत में वन तथा वृक्ष आवरण की निगरानी करता है तथा इनके मूल्यांकन के आधार पर द्वि-वार्षिक रूप से रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
17-Jan-2022
विश्व असमानता रिपोर्ट-2022 के अनुसार, विश्व में आर्थिक असमानता अभी भी 200 वर्ष पूर्व के स्तर पर बनी हुई है। लोकतांत्रिक शासन प्रणाली ने इसे दूर करने में कोई विशेष भूमिका नहीं निभाई है।
17-Jan-2022
केंद्र सरकार ‘जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969’ (Registration of Birth and Death Act, 1969) में संशोधन पर विचार कर रही है। इसके लिये सुझाव आमंत्रित किये गए हैं।
15-Jan-2022
कोविड-19 महामारी के कारण टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम में भारी व्यवधान उत्पन्न हुआ है। इसने विश्व स्तर पर सरकारों को अपने नागरिकों के प्रति सार्वजनिक स्वास्थ्य के बारे में अधिक जागरूक होने के लिये मजबूर किया है।
15-Jan-2022
विगत वर्ष ‘मध्यस्थता विधेयक, 2021’ को संसद में प्रस्तुत किया गया, जिसका उद्देश्य विवाद समाधान में मध्यस्थता (ऑनलाइन सहित) को बढ़ावा देना और सुलह समझौतों को लागू करना है।
14-Jan-2022
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय स्टेट बैंक, आई.सी.आई.सी.आई. बैंक तथा एच.डी.एफ.सी. बैंक को ‘प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण घरेलू बैंक’ (D-SIBs) बनाए रखने का निर्णय लिया है।
14-Jan-2022
हाल ही में, चंडीगढ़ के ‘पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च’ के शोधकर्ताओं ने एक शोध में यह बताया है कि वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की समस्या ने पराग कणों की सघनता को प्रभावित किया है।
13-Jan-2022
ग्लासगो में आयोजित कॉप-26 में भारतीय प्रधानमंत्री ने भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को ‘पंचामृत’ के रूप में प्रस्तुत किया है। इसमें वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य तक पहुँचने की प्रतिबद्धता मुख्य रूप से शामिल है।
13-Jan-2022
भारत ने कॉप-26 (COP-26) सम्मेलन में कॉर्बन उत्सर्जन को वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य (नेट ज़ीरो) स्तर पर लाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को कम करने के लिये वनों का विस्तार एक निर्विवादित विकल्प हो सकता है।