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NEWS ARTICLES

सड़े-गले पेड़ों से होने वाला कार्बन उत्सर्जन 

13-Sep-2021

वैश्विक दृष्टिकोण से देखा जाए तो वन काफी मात्रा में कार्बन डाईऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और इसलिये ये पर्यावरण की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वहीं दूसरी ओर वैश्विक कार्बन चक्र में भी सड़े-गले या मृत पेड़  योगदान देते हैं, हालाँकि, कार्बन चक्र में इनकी भूमिका के बारे में अधिक जानकारी का आभाव है। 

दीपोर बील : पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र

11-Sep-2021

हाल ही में, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा गुवाहाटी के दक्षिण-पश्चिमी किनारे पर स्थितदीपोर बीलवन्यजीव अभयारण्य कोपारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र’ (eco-sensitive zone) के रुप में अधिसूचित किया गया है।

प्लास्टिक उत्पादन की सामाजिक लागत

11-Sep-2021

हाल ही में, विश्व वन्यजीव कोष (WWF) ने प्लास्टिक उत्पादन की सामाजिक लागत से संबंधित एक रिपोर्ट जारी की है। वर्ष 2019 में उत्पादित किये गए प्लास्टिक की सामाजिक और पर्यावरणीय लागत लगभग 271 लाख करोड़ रुपए (3.7 लाख करोड़ डॉलर) अनुमानित की गई है। यह लागत भारत की जी.डी.पी. से भी अधिक है।

जलवायु संकट और भारतीय खाद्य प्रणाली 

11-Sep-2021

संयुक्त राष्ट्र महासचिवद्वारा इस माहखाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलनका आयोजन किया जाएगा। इस आयोजन का उद्देश्य वर्ष 2030 तकसतत विकास लक्ष्यों’ (Sustainable Development Goals - S.D.G.) को प्राप्त करने के लियेवैश्विक खाद्य प्रणालियोंमें बदलाव लाना है।

जल्लीकट्टू पर मद्रास उच्च न्यायालय का निर्देश

10-Sep-2021

हाल ही में, मद्रास उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जल्लीकट्टू में केवल देशी नस्ल के बैलों को भाग लेने की अनुमति दी जाए। उच्च न्यायालय ने यह आदेश, एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा दायर रिट याचिका के संदर्भ में दिया।

कितना जानलेवा है निपाह वायरस? 

10-Sep-2021

हाल ही में, केरल के कोझीकोड में निपाह वायरस के कुछ मामले सामने आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, निपाह वायरस जानवरों से मनुष्यों में फैलता है अत: इसे एक जूनोटिक वायरस के रूप में भी जाना जाता है। यह दूषित भोजन के माध्यम से या प्रत्यक्ष रूप से लोगों के संपर्क में आने से फैल सकता है।

वैज्ञानिक सोच की आवश्यकता 

10-Sep-2021

सन् 1543 में यूरोप में शुरू हुई वैज्ञानिक क्रांति से पूर्व भारतीय वैज्ञानिक प्राकृतिक विश्व को समझने के साथ-साथ परिणामों को मापने या परिवर्तित करने के लिये दृष्टिकोण प्रौद्योगिकियों का विकास कर रहे थे। दो सहस्राब्दी से अधिक पुरानी चरक संहिता हो या महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय का जंतर मंतर हो, विज्ञान और प्रौद्योगिकी ब्रिटिश शासन से बहुत पहले से ही व्यापक रूप से भारत के ताने-बाने में अंतर्निहित थी।

संघीय प्रणाली में ‘परामर्श’ का महत्त्व

09-Sep-2021

हाल ही में, विभिन्न राज्य सरकारों नेसमवर्ती सूचीके विषयों पर केंद्र सरकार के द्वारा किये जा रहेएकतरफा अधिनियमनपर चिंता व्यक्त की है। उल्लेखनीय है संविधान की सातवीं अनुसूची में तीन सूचियोंसंघ सूची, राज्य सूची, तथा समवर्ती सूची का उल्लेख किया गया है।

शिकारी पक्षियों पर संकट

09-Sep-2021

हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 557 शिकारी पक्षियों की प्रजातियों में से लगभग 30 प्रतिशत प्रजातियों के विलुप्त होने का ख़तरा है। इनमें से 18 प्रजातियाँ गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं, 25 लुप्तप्राय हैं, 57 असुरक्षित हैं और 66 प्रजातियाँ संकटासन्न (Near-Thereatend) हैं।

कानून निर्माण प्रक्रिया सुधारने में न्यायपालिका की भूमिका

09-Sep-2021

संसद में ‘विचार-विमर्श की गुणवत्ता’ में हो रही निरंतर गिरावट के संदर्भ में विभिन्न हितधारकों ने इस संबंध में सुधार की माँग की है। 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने भी इस समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ‘सार्थक विचार-विमर्श’ के बिना कानून पारित करने से मुकदमेबाजी में वृद्धि होती है।



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