New
July Offer: Upto 75% Discount on all UPSC & PCS Courses | Offer Valid : 5 - 12 July 2024 | Call: 9555124124

अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में विलय 

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1: भारतीय विरासत और संस्कृति)

संदर्भ

भारत सरकार के सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के अंतर्गत इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति की शाश्वत लौ को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक स्थल पर एक शाश्वत लौ में विलय कर दिया गया है।

अमर जवान ज्योति का महत्त्व

  • नई दिल्ली के इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति की शाश्वत लौ स्वतंत्रता के बाद से विभिन्न युद्धों और संघर्षों के दौरान देश के लिये शहीद हुए वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक प्रतीक थी।
  • वर्ष 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के प्रतीक के तौर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वर्ष 1972 के गणतंत्र दिवस के अवसर पर इसका उद्घाटन किया था।
  • इंडिया गेट के नीचे विगत 50 वर्षों से यह लौ निरंतर दीप्तिमान थी। प्रारंभ में इसके लिये द्रवित पेट्रोलियम गैस (एल.पी.जी.) का प्रयोग किया जाता था। वर्ष 2006 में इसके ईंधन को पाइप्ड प्राकृतिक गैस (पी.एन.जी.) से परिवर्तित कर दिया गया था।

इसे इंडिया गेट पर ही क्यों रखा गया?

  • इंडिया गेट को पहले ‘अखिल भारतीय युद्ध स्मारक’ के रूप में जाना जाता था। इसका निर्माण वर्ष 1931 में ब्रिटिशों ने कराया था। इसे कई युद्धों और अभियानों में मारे गए ब्रिटिश भारतीय सेना के लगभग 90,000 भारतीय सैनिकों के स्मारक के रूप में निर्मित किया गया था। इस पर 13,000 से अधिक मृत सैनिकों के नामों का उल्लेख है।
  • स्मारक पर शिलालेख में लिखा गया है : ‘भारतीय सेनाओं के उन शहीदों के लिये जो फ्रांस एवं फ़्लैंडर्स मेसोपोटामिया और फारस पूर्व अफ्रीका गैलीपोली में और कहीं अन्य समीप में और सुदूर-पूर्व में एवं साथ ही भारत में या उत्तर-पश्चिमी सीमा और तीसरे अफगान युद्ध के दौरान, जिनके नाम यहाँ उद्धृत हैं और जिन्होंने प्राणाहुति दी, उनकी पवित्र स्मृति में’।

अखंड ज्वाला के स्थानांतरण का तर्क

  • सरकार के अनुसार, अमर जवान ज्योति कि शाश्वत लौ को बुझाया नहीं जाएगा, बल्कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में एक लौ के साथ विलय कर इसे स्थानांतरित किया जाएगा।
  • शाश्वत लौ वर्ष 1971 के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की श्रद्धांजलि का प्रतीक है, वहीं इंडिया गेट देश के औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक है।
  • वर्ष 1971 और इसके पूर्व व पश्चात् के युद्धों के सभी भारतीय शहीदों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में उद्धृत हैं, इसलिये यहाँ शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना अधिक उपयुक्त है।
  • वर्ष 2019 में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के निर्माण के बाद भारतीय राजनीतिक और सैन्य नेतृत्वकर्ताओं समेत कई विदेशी गणमान्य व्यक्तियों ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी है, जो पहले अमर जवान ज्योति पर दी जाती थी। इसके साथ यह अनुभव किया गया कि दो ज्योतियों की आवश्यकता नहीं है।

नेता जी की प्रतिमा

  • यह सरकार के सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का ही एक भाग है जिसमें इंडिया गेट, अमर जवान ज्योति और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक भी शामिल हैं।
  • इंडिया गेट के पास बने छत्र में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 28 फीट ऊँची प्रतिमा स्थापित की जानी है। विदित है कि पूर्व में इस छत्र में जॉर्ज पंचम की प्रतिमा स्थापित थी, जिसे वर्ष 1968 में हटा दिया गया था।

अमर जवान ज्योति 

  • अमर जवान ज्योति में एक काले संगमरमर का चबूतरा (प्लिंथ) और किसी अज्ञात सैनिक की कब्र के रूप में एक सेनोटाफ शामिल है। प्लिंथ में एक संगीन के साथ एक उल्टी L1A1 स्व-लोडिंग राइफल रखी गई है, जिसके ऊपर एक सैनिक का युद्ध हेलमेट है। 
  • इसके चारों ओर चबूतरे पर ही चार कलश हैं, जिनमें चार बर्नर हुआ करते थे। सामान्य दिनों में एक बर्नर, जबकि गणतंत्र दिवस जैसे अन्य प्रमुख अवसरों पर चारों बर्नर जलाए जाते थे। इन बर्नरों को शाश्वत ज्वाला कहा जाता था।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक : वास्तुकला एवं महत्त्व

निर्माण 

  • फरवरी 2019 में निर्मित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक इंडिया गेट से लगभग 400 मीटर की दूरी पर स्थित है। यह उन सभी सैनिकों की स्मृति में बनाया गया है जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की विभिन्न लड़ाइयों, युद्धों, अभियानों और संघर्षों में अपने प्राणों की आहुति दी। ऐसे सैनिकों के लिये कई स्वतंत्र स्मारक हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर उन सभी की स्मृति में कोई स्मारक मौजूद नहीं था।
  • वर्ष 2015 में भारत सरकार ने इसके निर्माण की मंजूरी दी और तत्पश्चात् इसे इंडिया गेट के पूर्व सी-हेक्सागॉन में निर्मित किया गया।

वास्तुकला 

  • स्मारक की वास्तुकला चार संकेंद्र वृत्तों पर आधारित है। सबसे बड़ा रक्षा चक्र या सुरक्षा चक्र है जो पेड़ों की एक पंक्ति द्वारा चिह्नित है। इनमें से प्रत्येक चक्र देश की रक्षा करने वाले सैनिकों का प्रतिनिधित्व करते हैं। त्याग चक्र या बलिदान चक्र में चक्रव्यूह पर आधारित गोलाकार संकेंद्रित दीवारें हैं। आज़ादी के बाद से देश के लिये शहीद हुए प्रत्येक सैनिक के लिये दीवारों पर स्वतंत्र ग्रेनाइट की पट्टियाँ हैं। ध्यातव्य है कि सेवा के दौरान किसी सैनिक के शहीद होने पर एक पट्टिका जोड़ी जाती है।
  • वीरता चक्र में एक ढकी हुई गैलरी है जिसमें कांस्य से निर्मित छह भित्ति चित्र हैं, जो हमारी सशस्त्र सेनाओं के युद्धों और साहसिक कार्यों को दर्शाते हैं।
  • अंतिम चक्र है अमर चक्र या अमरता का चक्र, जिसमें एक स्मारक-स्तंभ (ओबिलिस्क) और शाश्वत ज्वाला प्रदीप्त है। इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति की लौ इस ज्वाला में विलीन की जाएगी, जो कि वर्ष 2019 से राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के अनावरण के समय से निरंतर जल रही है। यह ज्योति शहीद हुए सैनिकों की अमरता का प्रतीक है।
  • स्मारक पर देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित 21 सैनिकों की प्रतिमा भी स्थापित की गई है, जिसे ‘परम योद्धा स्थल’ नाम दिया गया है।

amar-jwan-jyoti

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR