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अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से संबंधित अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार से संबंधित विषय)

संदर्भ 

केरल के कोच्चि में 46वीं अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक (Antarctic Treaty Consultative Meeting : ATCM) का आयोजन 20-30 मई तक किया जा रहा है। इसे अंटार्कटिक संसद के रूप में भी जाना जाता है।

ए.टी.सी.एम. के बारे में 

  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत गोवा स्थित राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र द्वारा इस बैठक का आयोजन किया जा रहा है।
  • ए.टी.सी.एम. का उद्देश्य कानून, रसद, शासन, विज्ञान, पर्यटन एवं दक्षिणी महाद्वीप के अन्य पहलुओं पर वैश्विक संवाद की सुविधा प्रदान करना है। 
  • इस बैठक में अंटार्कटिक संधि के 56 सदस्य देश भाग लेंगे।
  • भारत ने अंतिम बार वर्ष 2007 में नई दिल्ली में ए.टी.सी.एम. की मेजबानी की थी।

ए.टी.सी.एम. के समक्ष भारत का एजेंडा

शांतिपूर्ण शासन पर बल 

  • इस सम्मेलन के दौरान भारत अंटार्कटिका में शांतिपूर्ण शासन के विचार को बढ़ावा देने की कोशिश करेगा। 
  • भारत इस बात पर बल देगा कि दुनिया में उत्पन्न भू-राजनीतिक तनाव को महाद्वीप और उसके संसाधनों की सुरक्षा में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

पर्यटन का विनियमन 

  • भारत महाद्वीप पर पर्यटन को विनियमित करने के लिए एक नया कार्य समूह भी पेश करेगा।
  • भारत ने वर्ष 2016 से अंटार्कटिका में पर्यटन संबंधी गतिविधियों के बारे में चिंता व्यक्त की है, लेकिन यह पहली बार है कि एक समर्पित कार्य समूह नियम बनाने और पर्यटक गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए कार्य किया जाएगा।
  • नीदरलैंड, नॉर्वे और कुछ अन्य यूरोपीय देश जो अंटार्कटिका में पर्यटन के लिए नियम बनाने पर भारत के विचार साझा करते हैं इस कार्य समूह का हिस्सा होंगे। 
  • वर्तमान में अंटार्कटिका में पर्यटन टूर ऑपरेटरों द्वारा संचालित होता है और पर्यटकों द्वारा अंटार्कटिका के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा उत्पन्न होने के बारे में बहुत कम जानकारी है।

नए अनुसंधान स्टेशन की स्थापना

  • कोच्चि बैठक के दौरान भारत आधिकारिक तौर पर सदस्यों के समक्ष मैत्री II के निर्माण की अपनी योजना भी पेश करेगा। 
  • अंटार्कटिका में किसी भी नए निर्माण या पहल के लिए ए.टी.सी.एम. की मंजूरी की आवश्यकता होती है।

संसाधनों का सतत प्रबंधन 

  • ए.टी.सी.एम. में अंटार्कटिका और उसके संसाधनों के सतत प्रबंधन पर चर्चा होगी जिसमें मुख्य रूप से शामिल हैं : 
    • जैव विविधता पूर्वेक्षण (Bio-diversity Prospecting)
    •  सूचना एवं डाटा का निरीक्षण और आदान-प्रदान
    • अनुसंधान
    •  सहयोग एवं क्षमता निर्माण
    •  जलवायु परिवर्तन का प्रभाव 

अंटार्कटिक संधि

  • अंटार्कटिक संधि पर शीतयुद्ध के दौरान 1 दिसंबर, 1959 को हस्ताक्षर किए गए थे जिसमें मूल रूप से 12 हस्ताक्षरकर्ता देश थे : 
    • अर्जेंटीना
    • ऑस्ट्रेलिया
    • बेल्जियम
    • चिली
    • फ्रांस
    • जापान
    • न्यूजीलैंड
    • नॉर्वे
    • दक्षिण अफ्रीका
    • यू.एस.एस.आर.
    • यूनाइटेड किंगडम 
    • संयुक्त राज्य अमेरिका 
  • यह संधि वर्ष 1961 में लागू हुई। भारत ने वर्ष 1983 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे। 
  • वर्तमान में भारत सहित कुल 56 देश इसके सदस्य हैं।

प्रमुख विशेषताएँ 

  • अंटार्कटिक संधि ने प्रभावी रूप से अंटार्कटिका को अंतर्राष्ट्रीय भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की सीमा के बाहर "नो मैन्स लैंड" के रूप में नामित किया था। संधि की कुछ प्रमुख विशेषताएँ हैं :
    • अंटार्कटिका का उपयोग केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाएगा और इस क्षेत्र में किसी भी सैन्यीकरण या किलेबंदी की अनुमति नहीं दी जाएगी।
    • सभी हस्ताक्षरकर्ताओं को वैज्ञानिक अनुसंधान करने की स्वतंत्रता होगी। 
    •  सदस्य देशों को वैज्ञानिक कार्यक्रमों के लिए योजनाएँ साझा करने के साथ ही आवश्यक सहयोग देना चाहिए और एकत्र किए गए डाटा को स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराना चाहिए।
    •  अंटार्कटिका में कहीं भी परमाणु परीक्षण या रेडियोधर्मी अपशिष्ट पदार्थों का निपटान प्रतिबंधित होगा।
  • वर्तमान में यह संधि ग्रह पर पांचवें सबसे बड़े महाद्वीप अंटार्कटिका में सभी शासन और गतिविधियों का आधार बनती है।

भारत की अंटार्कटिक क्षेत्र में उपस्थिति 

  • वर्ष 1983 से भारत अंटार्कटिक संधि का एक सलाहकार पक्ष रहा है।
    • इस क्षमता में भारत अंटार्कटिका के संबंध में सभी प्रमुख निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में मतदान करता है।
    •  अंटार्कटिक संधि में शामिल 56 देशों में से 29 को सलाहकार दल का दर्जा प्राप्त है।
  • भारत ने वर्ष 1981 से अंटार्कटिका में वैज्ञानिक अनुसंधान प्रारंभ किया है। 
  • वर्ष 2022 में भारत ने अंटार्कटिक संधि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए अंटार्कटिक अधिनियम लागू किया है।

दक्षिणी गंगोत्री 

  • पहला भारतीय अंटार्कटिक अनुसंधान स्टेशन ‘दक्षिण गंगोत्री’ वर्ष 1983 में क्वीन मौड लैंड में दक्षिणी ध्रुव से लगभग 2,500 किमी दूर स्थापित किया गया था। 
  • यह स्टेशन 1990 तक संचालित हुआ।

मैत्री

  • वर्ष 1989 में भारत ने शिरमाचेर ओएसिस में अपना दूसरा अंटार्कटिक अनुसंधान स्टेशन ‘मैत्री’ स्थापित किया। 
    • यह 100 से अधिक मीठे पानी की झीलों वाला 3 किमी. चौड़ा बर्फ मुक्त पठार है। 
  • यह अभी भी कार्यशील है और रूस के नोवोलाज़ारेव्स्काया स्टेशन से लगभग 5 किमी. और दक्षिण गंगोत्री से 90 किमी. की दूरी पर स्थित है।
  • नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च के अनुसार मैत्री में गर्मियों में 65 और सर्दियों में 25 लोग रह सकते हैं।

भारती 

  • वर्ष 2012 में भारत ने अपने तीसरे अंटार्कटिका अनुसंधान स्टेशन ‘भारती’ का उद्घाटन किया. 
    • यह मैत्री स्टेशन से लगभग 3,000 किमी. पूर्व में प्रिड्ज़ खाड़ी तट पर स्थित है। 
  • यह स्टेशन समुद्र विज्ञान और भूवैज्ञानिक अध्ययन पर केंद्रित है लेकिन इसरो इसका उपयोग भारतीय रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट डाटा प्राप्त करने के लिए करता है। 
  • यह स्टेशन गर्मियों के दौरान 72 व्यक्तियों और सर्दियों में 47 व्यक्तियों को रहने में सहायता कर सकता है।

मैत्री II

  • भारत पुराने मैत्री स्टेशन से कुछ किलोमीटर की दूरी पर एक नया स्टेशन मैत्री II खोलने की योजना बना रहा है। 
    • जिसके वर्ष 2029 तक संचालित होने की संभावना है।
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