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भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति 

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : न्यायपालिका की संरचना और संगठन)

संदर्भ   

हाल ही में, न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित (यू.यू.ललित) ने भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण किया। उन्होंने पूर्व मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना का स्थान लिया। 

संवैधानिक प्रावधान 

  • संविधान में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया को स्पष्ट नहीं किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 124(1) के अनुसार भारत का एक सर्वोच्च न्यायालय होगा जिसमें भारत के एक मुख्य न्यायाधीश सहित अन्य न्यायाधीश होंगे। 
  • संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। 
  • इसके लिये राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय और राज्यों के उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायाधीशों से परामर्श कर सकता है, जिन्हें राष्ट्रपति इस प्रयोजन के लिये आवश्यक समझे।  
  • इस प्रकार स्पष्ट संवैधानिक प्रावधानों के अभाव में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति प्रक्रिया में परंपरा का पालन किया जाता है। 

क्या है परम्परा 

  • परंपरानुसार निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश अपने उत्तराधिकारी की सिफारिश वरिष्ठता के आधार पर करते हैं। यह सिफारिश केंद्रीय कानून मंत्री के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजी जाती है, जो राष्ट्रपति को सलाह देते हैं। 
  • वरिष्ठता को आयु के बजाए सेवा वर्षों (कार्यकाल) के आधार पर परिभाषित किया जाता है। मुख्य न्यायाधीश की सेवानिवृत्त आयु 65 वर्ष है।  
  • ऐसे मामले में जहाँ न्यायाधीशों की वरिष्ठता समान है, उच्च न्यायालय का अनुभव, बार एसोसिएशन में नामांकन और पहले शपथ लेने जैसे कारकों पर विचार किया जाता है।
  • अगस्त 2017 में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर के मामले में ऐसा देखा गया था।  
  • किसी निश्चित संवैधानिक प्रावधान के आभाव में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिये ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर ऑफ अपॉइंटमेंट ऑफ सुप्रीम कोर्ट जज’ का पालन किया जाता है। 

प्रक्रिया ज्ञापन (Memorandum of Procedure) 

  • मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MoP) के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश के रूप में होनी चाहिये। 
  • केंद्रीय कानून, न्याय एवं कंपनी मामलों के मंत्री उचित समय पर भारत के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश से अगले उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिये सिफारिश करेंगे। यदि वर्तमान सी.जे.आई. को वरिष्ठतम न्यायाधीश के पदभार के संबंध में कोई संदेह है, तो वे कॉलेजियम से परामर्श कर सकते हैं। 
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश प्राप्त होने के बाद केंद्रीय कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री प्रधानमंत्री को सिफारिश भेजते हैं, जो नियुक्ति के मामले में राष्ट्रपति को सलाह देंगे। 
  • हालाँकि, इसमें सरकार द्वारा निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश से असहमत होने की स्थिति पर प्रकाश नहीं डाला गया है। 

परम्परा का पालन 

  • वर्ष 1950 में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना के बाद से 1970 के दशक में दो मौकों को छोड़कर प्राय: परंपरा का पालन सदैव किया गया है। , दो मौकों को छोड़कर - जस्टिस एएन रे और एमएच बेग, जो 1970 के दशक में सीजेआई बने। 
  • वर्ष 1973 में न्यायमूर्ति ए.एन. रे को वरिष्ठता क्रम में चौथे स्थान पर होने के बावजूद सी.जे.आई. नियुक्त किया गया जबकि वर्ष 1977 में न्यायमूर्ति एच.आर. खन्ना के वरिष्ठ न्यायाधीश होने के बावजूद न्यायमूर्ति एम.एच. बेग को सी.जे.आई. नियुक्त किया गया था।
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