New
July Offer: Upto 75% Discount on all UPSC & PCS Courses | Offer Valid : 5 - 12 July 2024 | Call: 9555124124

बांग्लादेश की आर्थिक सफलता में भारत के लिये अवसर

(मुख्य परीक्षा; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र: 2, विषय - भारत एवं इसके पड़ोसी- सम्बंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से सम्बंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय)

भूमिका

प्रति व्यक्ति आय के मामले में बांग्लादेश जल्द ही भारत से आगे हो जाएगा। यह तथ्य पकिस्तान से उलट बांग्लादेश की उपलब्धियों को भी बताता है। वर्तमान समय में बांग्लादेश की इस उपलब्धि के कई निहितार्थ हैं, जिनके बारे में सभी पड़ोसी देशों को ध्यान देना चाहिये।

बांग्लादेश से अन्य देश क्या सीख सकते हैं?

  • अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund)  की नवीनतम विश्व आर्थिक परिदृश्य (World Economic Outlook) रिपोर्ट द्वारा हाल ही में सम्भावना व्यक्त की गई है कि बांग्लादेश का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद इस वर्ष भारत के प्रतिव्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद से अधिक हो जाएगा।
  • यद्यपि दोनों के बीच अनुमानित अंतर कम है  (लगभग $ 1,888 से $ 1,877)  और ऐसी भी सम्भावना है कि ज़्यादा समय तक यह अंतर नहीं रहेगा।
  • अंतर्राष्ट्रीय विकास संस्थानों को विश्वास है कि दुनिया के बाकी उपमहाद्वीप और विकासशील देश बांग्लादेश के अनुभव से बहुत कुछ सीख सकते हैं– जिसे "बांग्लादेश मॉडल" नाम दिया जा रहा है।

क्षेत्र के लिये प्रमुख निहितार्थ

1. उपमहाद्वीप में बढ़ती वैश्विक रुचि

  • बांग्लादेश में तीव्र एवं सतत् आर्थिक विकास ने उपमहाद्वीप के बारे में दुनिया की धारणा को बदलना शुरू कर दिया है।
  • पूर्व में भारत और पाकिस्तान ही इस क्षेत्र में प्रभावी थे और अन्य देशों को छोटा माना जाता था।
  • चूँकि बांग्लादेश जनसंख्या की दृष्टि से दुनिया का आठवाँ सबसे बड़ा देश है, इसलिये सामान्य दशा में इसे छोटा देश मानना उचित नहीं है।
  • बांग्लादेश का आर्थिक उदय वैश्विक स्तर पर उसके लिये बहुत से समीकरण बदल रहा है, अब महाद्वीप के प्रमुख देशों के रूप में बांग्लादेश को भी अन्य देशों ने महत्त्व देना शुरू कर दिया है।

2) बांग्लादेश और पाकिस्तान के आर्थिक प्रतिमानों में उभरता अंतर

  • इस साल, बांग्लादेश की जी.डी.पी. $ 320 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।
  • आई.एम.एफ. की रिपोर्ट में पाकिस्तान की वर्ष 2020 की अर्थव्यवस्था के आँकड़े उपलब्ध नहीं थे लेकिन वर्ष 2019 में, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था $ 275 बिलियन थी।
  • आई.एम.एफ. ने यह भी सम्भावना व्यक्त की है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस वर्ष और संकुचित होगी।
  • बांग्लादेश ने अपनी जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया है, जबकि पाकिस्तान ने ऐसा करने में असमर्थ रहा है।
  • बांग्लादेश की मुद्रास्फीति नियंत्रित है, जबकि पाकिस्तान की मुद्रास्फीति अनियंत्रित दर से बढ़ रही है।
  • इसमें कोई दो राय नहीं है कि विश्व में पाकिस्तान का भू-राजनीतिक प्रभाव कम हुआ है जबकि आर्थिक रूप से मज़बूत होते बांग्लादेश का सकारात्मक भू-राजनैतिक कद लगातार बढ़ रहा है तथा भविष्य में और अधिक बढ़ने की सम्भावना है, अतः दोनों देशों के बीच व्याप्त अंतर के बढ़ने की प्रबल सम्भावना है।

3) क्षेत्रीय एकीकरण में तेज़ी लाना

  • बांग्लादेश की आर्थिक वृद्धि पूर्वी उपमहाद्वीप में क्षेत्रीय एकीकरण में तेज़ी ला सकती है ।
  • सामूहिक आर्थिक उन्नति के लिये इस क्षेत्र में सम्भावनाएँ कम ही नज़र आती हैं।
  • पाकिस्तान द्वारा भारत के साथ आर्थिक सहयोग पर नकारात्मक रुख और सीमा-पार आतंक के लिये उसके समर्थन की वजह से उपमहाद्वीप का मुख्य क्षेत्रीय मंच, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (South Asian Association for Regional Cooperation- SAARC) , सुस्त ही चल रहा है।
  • केवल सार्क के पुनरुद्धार के बारे में सोचने की बजाय, भारत को बी.बी.आई.एन. पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
  • बी.बी.आई.एन. बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल के बीच उप-क्षेत्रीय फोरम है, जो पिछले दशक के मध्य में सक्रिय हुआ था यद्यपि अभी तक यह पर्याप्त तेज़ी से उन्नत नहीं हुआ है।
  • अब समय आ गया है कि भारत और बांग्लादेश नए सिरे से इस मंच के द्वारा होने वाली गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करें।
  • इस बीच यह भी देखा गया है कि बांग्लादेश के साथ आर्थिक एकीकरण के लिये भूटान और नेपाल में भी रुचि बढ़ रही है।

4) हिंद-प्रशांत क्षेत्र की भू-राजनीति में बांग्लादेश का बढ़ता महत्व

  • बांग्लादेश की आर्थिक सफलता चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर सहित पूर्वी एशिया के कई देशों का ध्यान आकर्षित कर रही है।
  • अमेरिका, जिसने अभी तक पारम्परिक रूप से भारत और पाकिस्तान पर ध्यान केंद्रित किया हुआ था अब बांग्लादेश में भी सम्भावनाओं को तलाश रहा है।
  • यद्यपि बांग्लादेश ने ऐसा जताया है कि वो चीन और अमेरिका के बीच की राजनीति में नहीं पड़ना चाहता है, लेकिन बांग्लादेश की तरफ प्रमुख शक्तियों की नज़र और उससे जुड़ने की चाह भारत-प्रशांत क्षेत्र में नए भू राजनैतिक समीकरण की शुरुआत कर सकते हैं।

5) भारत के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी राज्यों के विकास में तेज़ी आ सकती है

  • बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था अब पश्चिम बंगाल की तुलना में डेढ़ गुना बड़ी है; दोनों के बीच बेहतर एकीकरण पूर्वी भारत की अर्थव्यवस्था को बड़े स्तर पर सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा।
  • इसके अलावा, भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र और बांग्लादेश के बीच का जुड़ाव, भविष्य में उत्तर-पूर्वी राज्यों के विकास को और बढ़ावा देगा।
  • दिल्ली और ढाका अधिक से अधिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिये उत्सुक हैं, लेकिन कोलकाता में राजनीतिक उत्साह बहुत कम दिख रहा है।
  • असम में, प्रवासियों का मुद्दा भी दोनों देशों के बीच प्रमुख राजनीतिक बाधा के रूप में लगातार सामने आ रहा है।

आगे की राह

  • तमाम विरोधों के बावजूद वर्ष 2015 में भारत-बांग्लादेश के बीच सीमा समझौते का संसदीय अनुमोदन, भारत की ओर से सही दिशा में बढाया गया कदम था।
  • इसके साथ ही, भारत और बांग्लादेश के बीच समुद्री सीमा विवाद पर वर्ष 2014 के अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता के बाद आए निर्णय को दोनों देशों द्वारा स्वीकार कर लेना भी दोनों देशों के बीच बढ़ते सामंजस्य का प्रमाण था।
  • लेकिन दोनों देशों के बीच सकारात्मक होते द्विपक्षीय सम्बंधों की गतिशीलता पर भारत द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन अधिनियम के वजह से हुई बयानबाज़ी का नकारात्मक असर पड़ा है।
  • अभी भी भारत के पास बांग्लादेश से अपने रिश्तों को सुधारने के बहुत से विकल्प मौजूद हैं, जो उसे लगातार अपनाते रहना चाहिये।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR