प्रारम्भिक परीक्षा – बत्राचोचिट्रियम डेंड्रोबैटिडिस (BD) कवक मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन पेपर-3 (पर्यावरण) |
संदर्भ
- हाल ही में वैज्ञानिकों द्वारा उभयचरों में बत्राचोचिट्रियम डेंड्रोबैटिडिस (BD) कवक द्वारा होने वाले चिट्रिडिओमाइकोसिस रोग की खोज की गई।
- इस खोज को करंट बायोलॉजी जर्नल पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
![BD](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//BD.jpg)
बत्राचोचिट्रियम डेंड्रोबैटिडिस (BD) कवक
- इस कवक के द्वारा उभयचरों में चिट्रिडिओमाइकोसिस रोग होता है।
- इसे उभयचर चिट्रिड कवक के रूप में भी जाना जाता है।
चिट्रिडिओमाइकोसिस रोग का प्रभाव :-
![amphibian](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//amphibian.jpg)
- यह रोग मेंढकों और टोडों की त्वचा को संक्रमित करता है।
- इस संक्रमण के कारण उभयचर जीवों की मृत्यु तक हो जाती है।
- इस कवक के कारण 500 से अधिक उभयचर प्रजातियां नष्ट हो गईं और लगभग 90 प्रजातियां विलुप्त हो गईं।
- विलुप्त होने वाली प्रजातियों में पीले पैरों वाले पहाड़ी मेंढक और पनामेनियन सुनहरे मेंढक आदि शामिल हैं।
- वैज्ञानिकों ने एक एक ऐसे वायरस की खोज की है जो इस बीमारी की रोकथाम कर सकता है।
![frog](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//frog1.jpg)
उभयचर (Amphibian):-
- यह ठंडे खून वाले कशेरुकी प्राणी हैं।
- इस प्रजाति में मेंढक और टोड, सैलामैंडर और न्यूट्स, और सीसिलियन आदि शामिल हैं।
- इनके शरीर का तापमान आसपास के वातावरण से नियंत्रित होता है।
- यह स्थल एवं जल दोनों में रह सकते हैं।
- यह अपनी प्रजातियों को पुनः उत्पन्न करने के लिए पानी में या उसके पास अंडे देते हैं ।
- इनकी त्वचा नम, चिकनी होती है।
- यह अपनी त्वचा के साथ-साथ अपने फेफड़ों से भी सांस ले सकते हैं।
- इनके पैर जालदार होते हैं जो इन्हें तैरने में सहायता करते हैं।
- ये मांसाहारी जीव विभिन्न प्रकार के छोटे जानवरों और कीड़ों जैसे स्लग, घोंघे, कीड़े और मकड़ियों को खाते हैं।
उभयचर प्रजातियों के नष्ट होने का पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव
- मेंढक खराब कीड़ों, फसल कीटों और मच्छरों को नियंत्रित करते हैं।
- विश्व में इनकी आबादी कम हो जाए, तो पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ सकता है।
मेंढक का पारिस्थितिक महत्व :-
![Batrachochytrium](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//Batrachochytrium.jpg)
- यह एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय संकेत देते हैं।
- मेंढक प्रदूषित या खरे जल में नहीं रहते है।
- इससे एक स्वच्छ एवं प्रदूषित या खरे जल होने का संकेत मिलाता है।
कवक (Fungi) -
- यह पर्णहरित रहित, संक्रन्द्रीय, संवहन ऊतक रहित थैलोफाइट है।
- इसकी कोशिका भित्ति काइटिन (Chitin) की बनी होती है।
- यह अचार, चमड़े, कपड़े,पेड़-पौधे एवं अन्य पदार्थों पर उत्पन्न होते हैं।
- ये नम एवं उष्ण स्थानों पर पाए जाते हैं।
- यह जीव-जन्तुओं एवं पौधों में गंभीर रोग उत्पन्न करते है।
- यह जीव-जंतु एवं पेड़-पौधों के साथ सहजीवी संबंध में पाए जाते हैं
- उदहारण :- लाइकेन (Lichens)
लाइकेन (Lichens) :-
- यह एक प्रकार के मिश्र जीव (Composite organisms) हैं जो कि एक कवक तथा शैवाल की एक या दो जातियों के साहचर्य के परिणामस्वरूप बनते हैं।
- कवक शैवाल को रहने का स्थान, जल एवं पोषक तत्त्व उपलब्ध कराता है तथा शैवाल प्रकाश संश्लेषण द्वारा संश्लेषित खाद्य कवक को उपलब्ध कराता है।
विषाणु (VIRUS):-
- इसकी खोज रूसी वनस्पति वैज्ञानिक इवानोवस्की (Ivanovsky) ने वर्ष 1892 में तम्बाकू की पत्ती में मोजैक रोग (Mosaic disease) की खोज करते समय की।
- यह अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं।
- यह केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं।
- ये नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर गठित होते हैं।
- ये शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं परंतु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं।
- यह जीवित कोशिका के बाहर सुसुप्त अवस्था मे हजारों साल तक रह सकते है।
- इसे इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखा जाता है।
- विषाणु जीवित कोशिका के बाहर सुसुप्त अवस्था मे हजारों साल तक रह सकते है और जब भी इन्हें जीवित कोशिका मिलती है ये जीवित हो जाते हैं।
- विषाणु का आकार जीवाणु से छोटा होता है। विषाणु को इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखा जाता है।
- इन्हें निर्जीव की भांति क्रिस्टल के रूप में संग्रहित किया जा सकता है।
- यह कोशिका के मूल RNA एवं DNA की आनुवंशिक संरचना को अपनी आनुवंशिक सूचना से बदल देता है और संक्रमित कोशिका का पुनरुत्पादन शुरू कर देती है।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न :- बत्राचोचिट्रियम डेंड्रोबैटिडिस (BD) कवक के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
- इस कवक के द्वारा उभयचरों में चिट्रिडिओमाइकोसिस रोग होता है।
- इस रोग से मेंढकों और टोडों की त्वचा को संक्रमित हो जाती है।
3.इस कवक के कारण 500 से अधिक उभयचर प्रजातियां नष्ट हो गईं हैं।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं
उत्तर (c)
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