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बंगाल की खाड़ी समुद्री संवाद

संदर्भ

  • हाल ही में, सेंटर फॉर ह्यूमैनिटेरियन डायलॉग और पाथफाइंडर फाउंडेशन द्वारा आयोजित बंगाल की खाड़ी समुद्री संवाद (Bay of Bengal Maritime Dialogue : BOBMD) में श्रीलंका, भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड और इंडोनेशिया के सरकारी अधिकारियों, समुद्री विशेषज्ञों और प्रमुख थिंक टैंक के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 
  • इस संवाद में पर्यावरण संरक्षण; वैज्ञानिक अनुसंधान; अवैध, गैर-सूचित और अनियमित (Illegal, Unreported and Unregulated : IUU) मछली पकड़ने की गतिविधियों पर अंकुश लगाने जैसे क्षेत्रों में प्रयास तेज करने का आह्वान किया गया है।

समृद्ध समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र 

  • बंगाल की खाड़ी में लगभग 15,792 वर्ग किलोमीटर के मैंग्रोव वनों, लगभग 8,471 वर्ग किलोमीटर के प्रवाल भित्तियों, समुद्री घास के मैदानों का विस्तार पाया जाता है। साथ ही, समुद्री कछुओं के सामूहिक घोंसलों के स्थलों का एक प्रमुख निवास है।
  • इस क्षेत्र में मैंग्रोव वनों की वार्षिक क्षति 0.4% से 1.7% जबकि प्रवाल भित्तियों में होने वाला नुकसान 0.7% अनुमानित है। इसके अतिरिक्त, इस क्षेत्र में अगले 50 वर्षों में समुद्र का स्तर 0.5 मीटर बढ़ जाने का अनुमान है। 
  • बंगाल की खाड़ी लगभग 185 मिलियन लोगों की तटीय आबादी के लिये प्राकृतिक संसाधनों का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। इस क्षेत्र में अकेले मछुआरों की आबादी लगभग 3.7 मिलियन होने का अनुमान है, जिनके द्वारा लगभग 4 बिलियन डॉलर मूल्य की 6 मिलियन टन की वार्षिक मछली पकड़ी जाती है। 
  • विदित है कि संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार, बंगाल की खाड़ी एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अवैध, गैर-सूचित और अनियमित मछली पकड़ने का एक प्रमुख हॉटस्पॉट है।

क्षेत्र को प्राथमिकता देने की आवश्यकता

  • बंगाल की खाड़ी में नीली अर्थव्यवस्था के विकास की अपार संभावनाएँ विद्यमान है। यहाँ समुद्री व्यापार, नौवहन, जलकृषि और पर्यटन के विकास के कई अवसर हैं। हालांकि, इन अवसरों के पर्याप्त दोहन के लिये सरकारों, वैज्ञानिकों और अन्य विशेषज्ञों द्वारा समन्वित एवं ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।
  • बिम्सटेक समूह को समुद्री मुद्दों पर समन्वित गतिविधियों के उद्देश्य से एक नया क्षेत्रीय तंत्र बनाना चाहिये। इस तंत्र के माध्यम से मत्स्य पालन प्रबंधन को मजबूत करने, सतत मछली पकड़ने के तरीकों को बढ़ावा देने, संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना तथा औद्योगिक और कृषि अपशिष्ट के साथ-साथ तेल रिसाव को रोकने एवं प्रबंधित करने के लिये ढाँचा विकसित करने हेतु तत्काल उपाय शुरू करना चाहिये।
  • बंगाल की खाड़ी में आपसी सहयोग हेतु समुद्री पर्यावरण संरक्षण प्राथमिकता वाला क्षेत्र होना चाहिये। इस क्षेत्र में प्रवर्तन को मजबूत किया जाना चाहिये। साथ ही, क्षेत्रीय प्रोटोकॉल विकसित करने और प्रदूषण नियंत्रण पर दिशानिर्देश एवं मानक स्थापित करने की भी आवश्यकता है। 

क्षेत्र की प्रगति के लिये कार्यरत कार्यक्रम

  • बंगाल की खाड़ी कार्यक्रम (BOBP), चेन्नई स्थित एक अंतर-सरकारी संगठन है, जो सतत मछली पकड़ने की गतिविधि को बढ़ावा दे रहा है।
  • इस क्षेत्र में खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा जारी और वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) द्वारा वित्त पोषित बंगाल की खाड़ी वृहद समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (Bay Of Bengal Large Marine Ecosystem : BOBLME) परियोजना भी शुरू की जा रही है।

बंगाल की खाड़ी क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियाँ

  • शून्य ऑक्सीजन से मृत क्षेत्र के विकास के कारण समुद्री जीवन पर विपरीत प्रभाव। 
  • नदियों के साथ हिंद महासागर से प्लास्टिक का जमाव होना।
  • बाढ़ से मैंग्रोव जैसे प्राकृतिक सुरक्षा तंत्र का विनाश।
  • समुद्री कटाव।
  • तटीय क्षेत्रों में जनसंख्या का बढ़ता दबाव।
  • औद्योगिक विकास के कारण बड़ी मात्रा में अनुपचारित अपशिष्ट का प्रवाह। 
  • समुद्री सीमाओं को पार करने वाले मछुआरों की गिरफ्तारी के कारण आतंकवाद, समुद्री डकैती और देशों के बीच तनाव जैसे सुरक्षा संबंधी मुद्दे आदि।  

कठोर नियमों की आवश्यकता

  • बिम्सटेक शिखर सम्मेलन को बी.ओ.बी.पी. और बी.ओ.बी.एल.एम.ई. दोनों के लिये पूर्ण समर्थन व्यक्त करना चाहिये। 
  • क्षेत्र में एक अंतर्राष्ट्रीय पोत ट्रैकिंग प्रणाली स्थापित करना और जहाजों को स्वचालित पहचान प्रणाली (एआईएस) ट्रैकर्स से युक्त किया जाना चाहिये।
  • अवैध जहाजों की पहचान करने करने के लिये पोत रजिस्ट्री प्रणाली की स्थापना और पोत लाइसेंस सूची को प्रकाशित करना चाहिये। 
  • आई.यू.यू. फिशिंग हॉटस्पॉट में निगरानी एवं नियंत्रण को बढ़ाना चाहिये। 
  • तटीय राज्यों में कानूनों और नीतियों में सामंजस्य होना चाहिये तथा समुद्री कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ किसी भी मुठभेड़ के दौरान मछुआरों के साथ मानवीय व्यवहार सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
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