New
July Offer: Upto 75% Discount on all UPSC & PCS Courses | Offer Valid : 5 - 12 July 2024 | Call: 9555124124

बैक्टीरिया का व्यवहार

(प्रारंभिक परीक्षा- सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास)

संदर्भ

हाल ही में, वैज्ञानिकों ने रासायनिक प्रतिक्रियाओं के प्रति आंतों के बैक्टीरिया के व्यवहार को ट्रैक किया है।

क्या है केमोटैक्सिस?

  • मनुष्य की आंत में मौजूद बैक्टीरिया ई-कोलाई (E-coli) के रसायनों के प्रति आकर्षित होने अथवा दूर होने की घटना लंबे समय से वैज्ञानिकों के लिये कोतूहल व शोध का विषय रहा है। इस परिघटना को ‘केमोटैक्सिस’ (Chemotaxis- कोशिकाओं या स्‍वतंत्रगामी जीवों की रासायनिक उत्तेजनाओं से उत्‍पन्‍न प्रतिक्रिया) कहा जाता है।
  • ई-कोलाई बैक्टीरिया मानव के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (Gastrointestinal Tract) यानी जठरांत्र संबंधी मार्ग में मौजूद विभिन्न रसायनों के प्रति केमोटैक्सिस की प्रक्रिया प्रदर्शित करते हैं।

    केमोटैक्सिस का उपयोग

    • प्रकृति में कई जीव अपने पर्यावरण से प्राप्त रासायनिक संकेतों के प्रति शारीरिक गति दिखाकर या केमोटैक्सिस के रूप में प्रतिक्रिया करते हैं। शुक्राणु कोशिका केमोटैक्सिस का उपयोग करके डिंब (Ovum- अंडाणु) का पता लगाती है। 
    • चोट को ठीक करने के लिये आवश्यक श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBC) कीमोटैक्सिस द्वारा चोट या सूजन की जगह का पता लगाती हैं। साथ ही, इसके माध्यम से तितलियाँ फूलों का पता लगाती हैं और नर कीट केमोटैक्सिस का उपयोग करके अपने लक्ष्य तक पहुँचते हैं।
    • केमोटैक्सिस को समझने के लिये यह जानना आवश्यक है कि कोशिका के अंदर या पर्यावरण में मौजूद विभिन्न परिस्थितियों से यह किस प्रकार प्रभावित होता है।

    ई-कोलाई और केमोटैक्सिस 

    • ई-कोलाई अपनी रन-एंड-टंबल (Run-and-Tumble) गति का उपयोग अधिक पोषक तत्त्वों वाले क्षेत्र की ओर पलायन करने के लिये करता है। पोषक अणु कोशिका झिल्ली पर मौजूद कीमो-रिसेप्टर्स से जुड़ जाते हैं और इस इनपुट सिग्नल की प्रॉसेसिंग सिग्नलिंग नेटवर्क के सेंसिंग मॉड्यूल द्वारा होती है। इस प्रकार अंतत: कोशिका के रन-एंड-टंबल गति का संचालन होता है। 
    • सिग्नलिंग नेटवर्क का अनुकूलन मॉड्यूल यह सुनिश्चित करता है कि इंट्रासेल्युलर (Intracellular- अन्त:कोशीय) वेरिएबल्स अपने औसत मान (दूरी) से अधिक दूर न जा सके। केमोटैक्सिस के सिग्नलिंग नेटवर्क का एक महत्त्वपूर्ण पहलू कीमो-रिसेप्टर्स की सहकारिता अथवा समूह बनाने (क्लस्टरिंग) की प्रवृत्ति है। यह इनपुट सिग्नल को बढ़ाने में मदद करती है, जिसके परिणामस्वरूप ई-कोलाई बहुत कम सांद्रता वाले रसायन के प्रति भी अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं। 
    • इस प्रकार, रिसेप्टर क्लस्टरिंग कोशिका की संवेदनशीलता को बढ़ाने के लिये जानी जाती है। हालाँकि, हाल के कुछ प्रयोगों से पता चला है कि रिसेप्टर क्लस्टरिंग भी सिग्नलिंग नेटवर्क में उतार-चढ़ाव का कारण बनता है। इसने वैज्ञानिकों को उन स्थितियों का पता लगाने के लिये प्रेरित किया जो सर्वोत्तम केमोटैक्टिक प्रदर्शन को सक्रिय करते हैं।
    • भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत स्थापित एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान के एस.एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज के वैज्ञानिकों ने एक हालिया अध्ययन में सैद्धांतिक तौर पर दर्शाया है कि रिसेप्टर समूहों का एक इष्टतम आकार होता है, जहाँ ई-कोलाई कोशिका अपने परिवेश से प्राप्त रासायनिक संकेतों द्वारा निर्देशित होकर सर्वोत्तम निर्देशित गति दर्शाते हैं। यह अध्ययन ‘फिजिकल रिव्यू ई (लेटर्स)’ में प्रकाशित हुआ है।

    कीमोटैक्टिक प्रदर्शन की माप

    • प्रदर्शन की जाँच के लिये यह मापा गया कि कोशिका कितनी तेज़ी से सांद्रता की ओर आकर्षित होती है या पोषक तत्त्व से समृद्ध क्षेत्र को कोशिका कितनी मज़बूती से अनुकूलन में समर्थ होती है। अच्छे प्रदर्शन का तात्पर्य पोषक तत्त्वों से भरपूर और पोषक तत्त्वों की कमी वाले क्षेत्रों के बीच अंतर करने के लिये कोशिका की मज़बूत क्षमता भी है। रिसेप्टर समूहों के एक विशिष्ट आकार में ये सभी उपाय अपने चरम पर पहुँच जाते हैं।
    • वर्तमान शोध के अनुसार, क्लस्टर का आकार बढ़ते ही संवेदन में भी बढोत्तरी होती है, जिससे कीमोटैक्टिक प्रदर्शन में सुधार होता है। हालाँकि, बड़े समूहों के लिये उतार-चढ़ाव भी बढ़ जाता है और अनुकूलन (Adaptation) की शुरुआत होती है। सिग्नलिंग नेटवर्क अब अनुकूलन मॉड्यूल (Adaptation Module) द्वारा नियंत्रित होता है और सेंसिंग की भूमिका कम महत्त्वपूर्ण होती है, जिससे प्रदर्शन में कमी आती है। 

    इस खोज का महत्त्व 

    • वैज्ञानिकों ने उस स्थिति का पता लगा लिया है जो सर्वोत्तम केमोटैक्टिक प्रदर्शन के लिये सबसे उपयुक्त है। यह नई खोज रासायनिक संकेतों के प्रति ई-कोलाई बैक्टीरिया के व्यवहार को ट्रैक करने में सहयता करेगी।
    • आंतों के बैक्टीरिया में ई-कोलाई की रसायनों के प्रति इस प्रकार की प्रतिक्रिया मानव आंत के क्रियाकलाप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    • इस अध्ययन से केमोटैक्टिक व्यवहार की समझ बेहतर हो सकती है, विशेषकर उन जीवाणुओं के संदर्भ में, जो प्रयोगों के लिये बैक्टीरिया के नमूनों में व्यापक तौर पर इस्तेमाल किये जाते हैं और जो तेज़ी से अपनी प्रतिकृति बनाने और पर्यावरण में बदलाव के लिये आसानी से अनुकूलित होने की क्षमता रखते हैं।
    Have any Query?

    Our support team will be happy to assist you!

    OR