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जैव विविधता एवं भारत में हॉट स्पॉट 

प्रारम्भिक परीक्षा – पर्यावरण संरक्षण
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन पेपर-3

सन्दर्भ 

  • जैव विविधता से तात्पर्य पृथ्वी पर पाए जाने वाले जैव विविधता से है। 
  • अर्थात जैव विविधता का अर्थ किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों एवं वनस्पतियों की संख्या से है तथा इसका संबंध पौधों के प्रकारों, प्राणियों एवं सूक्ष्म जीवों से है। 
  • जैव विविधता जीवो की वैधता तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके अंतर्गत उस पर्यावरण को भी शामिल किया जाता है जिसमें वह निवास करते हैं।

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प्रमुख बिंदु

  • 1992 में रियो डी जेनेरियो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन में जैव विविधता की मानक परिभाषा अपनाई गई । 
  • इस परिभाषा के अनुसार, "जैव विविधता समस्त स्त्रोतों यथा- अंतर क्षेत्रीय, स्थलीय, सागरीय एवं अन्य जलीय पारिस्थितिकी तंत्रों के जीवो के मध्य अंतर और साथ ही उन सभी पारिस्थितिकी समूह, जिनके ये भाग हैं, में पाए जाने वाली विविधताएँ है। 
  • इसमें एक प्रजाति के अंदर पाई जाने वाली विविधता, विभिन्न जातियों के मध्य विविधता तथा पारिस्थितिकीय विविधता सम्मिलित है।"

जैव विविधता के प्रकार -

  • जैव विविधता को अध्ययन समुदाय, प्रजाति एवं प्रजातियों के अनुवांशिकी में विविधता के आधार पर तीन भागों में विभाजित किया जाता है- अनुवांशिक विविधता, प्रजातीय विविधता, सामुदायिक या पारितंत्र विविधता ।

(1) अनुवांशिक जैव विविधता

  • अनुवांशिक विविधता का आशय किसी समुदाय के एक ही प्रजाति के जीवों के जीन में होने वाले परिवर्तन से है।
  • पर्यावरण में वनस्पति, जीव-जंतुओं की विभिन्न प्रजातियों में परिवर्तन के साथ अपने आप को अनुकूलित करने की प्रक्रिया में जीन में परिवर्तन होता है।

(2) प्रजातीय जैव विविधता – 

  • प्रजाति विविधता से आशय किसी पारिस्थितिकी तंत्र के जीव-जंतुओं के समुदायों की प्रजातियों में विविधता से है। 
  • "प्रजाति विविधता किसी समुदाय में प्रजातियों की विभिन्न किस्म को बताती है " समुदाय में प्रजाति की संख्या स्थान या क्षेत्र के क्षेत्रफल के सापेक्ष बढ़ती है। सामान्यतः प्रजाति की संख्या बढ़ने के साथ प्रजाति की विविधता भी बढ़ती हैं।

(3) सामुदायिक या पारितंत्र जैव विविधता -

  • एक समुदाय के जीव-जंतुओं और वनस्पतियों एवं दूसरे समुदाय जीव-जंतुओं और वनस्पतियों के बीच पाए जाने वाली विविधता सामुदायिक विविधता या पारितंत्र विविधता कहलाती है। 
  • पारिस्थितिकी तंत्र में जीव समुदाय विभिन्न प्रकार के आवासों में साथ रहते है तथा एक दूसरे को प्रभावित करते हैं।

जैव विविधता का महत्व इस प्रकार हैं-

  • जैव विविधता, कृषि के अनुवांशिक पदार्थ का स्त्रोत है जो कृषि के भविष्य के लिए अत्यधिक महत्व रखती है। 
  • कृषि जैव विविधता कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती प्रदान कर और उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर सभी प्रजातियों का पोषण करती है।
  • जैव विविधता में ह्रास प्रत्यक्ष रूप से सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है। जैव विविधता पारितंत्र को स्वस्थ एवं स्थिर बनाए रखती है। 
  • जैव विविधता के ह्रास के कारण ही आज ग्लोबल वार्मिंग तथा अम्लीय वर्षा जैसी समस्याएं उत्पन्न हो गई है।
  • जैव विविधता से अत्यधिक उत्पादों की प्राप्ति होती है जिससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष आर्थिक लाभ अर्जित किया जाता है। 
  • मनुष्य को मृदा की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए जैविक खाद, फसलों के बीजों के संकरण विधि द्वारा नई उन्नत प्रजातियों की प्राप्ति जैव विविधता से होती है।
  • प्रकृति से मनुष्य को फल एवं फूल की प्राप्ति हमेशा से होती रही है मनुष्य आज पारिस्थितिकी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पालतू जानवरों, पक्षियों का संरक्षण चिड़ियाघर के माध्यम से, पोधों व वृक्षों का संरक्षण और उनके प्राकृतिक सौंदर्य को वानस्पतिक उद्यान द्वारा संरक्षित करता रहा है। 
  • मानव का अस्तित्व हमेशा से ही जैव विविधता की इन प्रजातियों से जुड़ा रहा है।
  • विश्व में उन पादपों की प्रचुरता है जिनमें चिकित्सा संबंधी गुण पाए जाते हैं विश्व के अनेक क्षेत्रों, जैसे भारत में ही औषधियों एवं जड़ी-बूटियों की अनेक प्रजातियां पाई जाती है जिनसे अनेक रोगों का उपचार सदियों से होता आ रहा है।
  •  कई पादपों से प्राप्त पदार्थों से दर्द निवारक, मलेरिया के उपचार से संबंधित कैंसर आदि जैसी जटिल बीमारियों के उपचार की दवाई बनाई जाती है।
  • प्रकृति ने वातावरण को पूर्ण रूप से संचालित किया है। मनुष्य एवं अन्य पशु श्वसन क्रिया द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड को निकालते हैं। 
  • इसके विपरीत पौधे कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन देते हैं। यह क्रिया प्रकाश संश्लेषण कहलाती है। प्रकाश संश्लेषण और श्वसन क्रिया में वातावरण में गैसों का संतुलित बना रहता है।
  •  जैव विविधता पारिस्थितिकी तंत्र एवं लोगों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। जैव विविधता स्वस्थ जीवन का निर्माण करती है।
  • यह विविध प्रकार का भोजन एवं पदार्थ प्रदान करती है और अर्थव्यवस्था में योगदान देती है।

जैव विविधता को खतरा :

  • जानवरों का अवैध शिकार और उनकी तस्करी के कारण जैव विविधता प्रभावित होती है।
  • कृषि क्षेत्रों के विस्तार के कारण प्राकृतिक आवासों का नष्ट होना।
  • तटीय क्षेत्र का नष्ट होना और जलवायु परिवर्तन।
  • स्थलीय जल-भूमि को जल से भरने व उस पानी को निकालने की प्रक्रिया में अनेक प्रजातियां विस्थापित हो जाती है।
  • जंगलों में लगी भीषण आग (अधिक गर्मी के कारण या मनुष्य की लापरवाही के कारण) जातियों को नष्ट होने की संभावना अधिक बढ़ा देती है।
  • मनुष्य अपनी बढ़ती आवश्यकता की पूर्ति के लिए लगातार जंगलों को काटकर ऊंची-ऊंची इमारतों एवं उद्योग का निर्माण कर जैव विविधता को अत्यधिक नुकसान पहुंचा रहा है।

भारत में जैवविविधता हॉट स्पॉट

  • भारत में चार जैवविविधता हॉट स्पॉट - हिमालय, पश्चिमी घाट तथा श्रीलंका , इंडो-बर्मा, एवं सुंडालैंड हैं।

हिमालय

  • यह पृथ्वी पर सबसे युवा और सबसे ऊँची पर्वत. श्रृंखला है , जो उत्तरी पाकिस्तान, नेपाल भूटान तथा म्याँमार से सटे भारत के उत्तर-पश्चिमी और उत्तरपूर्वी राज्यों और पूर्व में दक्षिण-पश्चिम चीन की सीमा तक फैला हुआ है।
  • यहाँ पर गिद्ध, बाघ, गैंडे और जंगली भैसे सहित कई बड़े पक्षियों और स्तनपायी प्रजातियों की व्यापक आबादी का निवास स्थान।
  • यहाँ कई अद्वितीय और विविध मानव समूह भी पाए जाते हैं। 

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  • नेपाल में तिब्बती-बर्मी या इंडो-आर्यन वंश के 27 से अधिक जातीय समूह उपस्थित हैं, जबकि भूटान में तीन मुख्य नृजातीय समूह हैं- न्गालोप (Ngalongs),शाकप (Sharchogpas) और होशाम्प (Lhotsampas)। 
  • भारत के पूर्वोत्तर हिस्से में 500 से अधिक अलग-अलग नृजातीय समूह है।

पश्चिमी घाट और श्रीलंका

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  • पश्चिमी घाट जो कि गोंडवानालैंड की एक जैव-भौगोलिक रूप से संरचना है, मालाबार के मैदानों और भारत के पश्चिमी तट के समानांतर (लगभग 30 से 50 किमी अंतर्देशीय) वाले पहाड़ों की श्रृंखला से मिलकर बना है।
  • पश्चिमी घाट जिसे स्थानीय रूप से 'सह्याद्रि' के नाम से जाना जाता है, गुजरात में ताप्ती नदी से शुरू होकर तमिलनाडु में देश के सबसे दक्षिणी सिरे कन्याकुमारी तक विस्तारित है।  इसमें कई प्राकृतिक दर्रे जैसे पालक्कड़ (पालघाट) सबसे चौड़ा दर्रा स्थित हैं। 
  • अगस्त्यमलाई पहाड़ियाँ, नीलगिरि, अनामलाई पहाड़ियाँ, पलानी पहाड़ियाँ, मेघमलाई, कामम पहाड़ियाँ, साइलेंट वैली न्यू अमरम्बलम फॉरेस्ट्स, वायनाड कोहागु, शिमोगा- - कनारा, कोंकण और महाबलेश्वर खंडाला पश्चिमी घाट में पौधों की विविधता और स्थानिकता वाले कुछ प्रमुख केंद्र हैं।
  • 'पश्चिमी घाट' एक विश्व धरोहर स्थल है।
  • श्रीलंका एक महाद्वीपीय द्वीप है जो दक्षिण भारत से 20 मीटर गहरे पाक जलडमरूमध्य द्वारा अलग होता है।

इंडो-बर्मा

  • यह हॉट स्पॉट म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम, लाओस पीडीआर को कवर करता है तथा इसमें गंगा के मैदान, ब्रह्मपुत्र नदी के आसपास के क्षेत्र एवं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ हिस्से शामिल है।
  • इस हॉट स्पॉट में पाई जाने वाली चूना पत्थर कार्स्ट संरचनाएँ अत्यधिक अद्वितीय पारिस्थितिकी प्रणालियां हैं, जिसमें स्थानिकता का उच्च स्तर पाया जाता है, विशेष रूप से पौधों, सरीसृपों तथा मोलस्क/घोघा आदि जीवों के बीच।

सुंडालैंड

  • " राजनीतिक रूप से यह हॉटस्पॉट दक्षिणी थाईलैंड के एक छोटे से हिस्से; लगभग समग्र मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई और इंडोनेशिया के पश्चिमी भाग को कवर करता है। 
  • निकोबार द्वीप समूह, जो इसमें भारतीय अधिकार क्षेत्र में स्थित निकोबार द्वीप समूह भी शामिल है। यह हिंद महासागर के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों तक फैला हुआ है।
  • यह हॉट स्पॉट विशिष्ट प्रजातियों जैसे- औरंगुटान, पिग टेल्ड लंगूर, जावा व सुमात्रा राइनो और केवल बोर्नियो में पाए जाने वाले प्रोबोसिस बंदर का आवास है।
  • सुंडालैंड को विश्व के सबसे बड़े पुष्प, रैफलेसिया (Rafflesia) की उपस्थिति का गौरव भी प्राप्त है, जो एक मीटर से अधिक बड़ा होता है।

Rafflesia

महत्वपूर्ण तथ्य

  • 'बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट' (जैव विविधता हॉट स्पॉट) शब्द सबसे पहले नॉर्मन मायर्स (1988) द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
  • मायर्स के सहयोग से द कंज़र्वेशन इंटरनेशनल (गैर-लाभकारी संगठन) ने हॉट स्पॉट्स की पहली व्यवस्थित सूची तैयार की। 
  • वर्तमान में 36 मान्यता प्राप्त जैवविविधता हॉटस्पॉट  हैं। 

जैवविविधता हॉट स्पॉट के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिये, किसी क्षेत्र द्वारा निम्नलिखित दो मानदंडों  को निश्चित रूप से पूरा करना अनिवार्य है:

1.संवहनी पौधों की कम से कम 1,500 प्रजातियाँ मौजूद हों जो पृथ्वी पर कहीं और न पाई जाती हो (जिन्हें "स्थानिक" प्रजातियों के रूप में जाना जाता है)। तथा

2. ऐसा क्षेत्र जिनका 70% से अधिक मूल पर्यावास नष्ट हो चुका हो।

प्रारम्भिक परीक्षा प्रश्न : निम्नलिखित में से भारत में उपस्थित जैव विविधता हॉटस्पॉट स्थल कितने हैं?

(a) केवल दो

(b) तीन 

(c) चार 

(d) पांच

उत्तर (c)

मुख्य परीक्षा प्रश्न: जैव विविधता हॉटस्पॉट से आप क्या समझते है? जैव विविधता का महत्त्व क्या है,व्याख्या कीजिए।

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