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जैविक रूप से प्रेरित तंत्रिका नेटवर्क

भूमिका 

  • जैविक रूप से प्रेरित तंत्रिका नेटवर्क (Biologically Inspired Neural Networks : BINNs) कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क (ANN) का एक उपसमूह है जो जैविक प्रणालियों से आधार प्राप्त करता है। ANNs एक कम्प्यूटेशनल मॉडल है जो मानव मस्तिष्क में उपस्थित तंत्रिका कोशिकाओं के समान कार्य करता है। इसे मानव मस्तिष्क के विश्लेषण एवं सूचनाओं को संसाधित करने के तरीके का अनुकरण करने के लिये विकसित किया गया है।
  • BINNs कई प्रकार के होते है और विभिन्न क्षेत्रों में उनके भिन्न-भिन्न अनुप्रयोग होते हैं। हालाँकि, कई BINNs में कुछ अनुप्रयोग समान होते हैं, जैसे- स्वास्थ्य एवं चिकित्सा क्षेत्र आदि में। नीचे विभिन्न प्रकार के BINNs और उनके अनुप्रयोग दिए गए हैं। 

1. स्पाइकिंग न्यूरल नेटवर्क (SNNs)

  • ये जैविक न्यूरॉन्स की तरह ही कार्य व व्यवहार करते हैं, जिसमें जानकारी प्रसारित करने के लिए स्पाइक्स (Spikes) या एक्शन पोटेंशिअल (Action Potentials) का उपयोग किया जाता है। 
  • SNNs के निम्नलिखित अनुप्रयोग हैं : 
    • न्यूरोमॉर्फिक हार्डवेयर : यह मस्तिष्क की संरचना एवं कार्य की नकल (Mimic) करने के लिए डिज़ाइन किया गया विशेष हार्डवेयर है।   
    • संवेदी प्रसंस्करण (Sensory Processing) : जिन कार्यों में संवेदी डाटा प्रोसेसिंग शामिल है उन्हें SNNs से प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है, जैसे- भाषण, पहचान, इमेज एवं वीडियो विश्लेषण और सेंसर फ़्यूज़न। 
    • ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCIs) : यह मनुष्यों और मशीनों के बीच कुशल संचार में सहायक है। इसका उपयोग मोटर न्यूरॉन विकलांगता वाले व्यक्तियों में किया जाता है। 
    • संज्ञानात्मक कंप्यूटिंग सिस्टम : यह तर्क करने, सीखने एवं समस्या सुलझाने में सक्षम हैं और मानव-सदृश्य निर्णयन प्रक्रियाओं को दोहराने का प्रयास करते हैं। 
    • बायोमेडिकल रिसर्च : जैविक डाटा विशाल एवं जटिल है और पारंपरिक ए.आई. तकनीक डाटा से पूर्ण पैटर्न व अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में असमर्थ हो सकता है। SNNs जटिल जैविक डाटा के विश्लेषण के लिए पारंपरिक एआई तकनीकों के पूरक हैं।

2. लिक्विड स्टेट मशीनें (LSMs)

  • शोधकर्ताओं ने कंप्यूटिंग अनुप्रयोगों में द्रवता (Fluidity) का उपयोग करके एक नया अवसर बनाया है। LSMs का केंद्रीय घटक तरल पदार्थों की द्रव गतिशीलता से प्रेरित एक कम्प्यूटेशनल भंडार है। LSMs के प्रमुख घटकों एवं प्रक्रियाओं में न्यूरॉन्स का संग्रह, इनपुट डाटा व रीडआउट मैकेनिज्म शामिल हैं। 
  • LSMs के निम्नलिखित अनुप्रयोग हैं : 
    • टाइम सीरीज प्रेडिक्शन : LSMs समय-शृंखला डाटा को प्रोसेस करती है जो मौसम एवं वित्तीय बाजार पूर्वानुमान तथा रोबोट में प्रत्याशित नियंत्रण के लिए उपयोगी है।
    • स्पीच रिकग्निशन : स्पीच रिकग्निशन कार्य विशेष रूप से LSMs की अनुकूलनीय प्रकृति के लिए उत्तरदायी सकते हैं।  
    • इको स्टेट नेटवर्क (ESN) : ए.आई. में ESN का उपयोग करते हुए कम्प्यूटेशनल मॉडल बनाने के लिए प्रतिध्वनि (Echoes) के विचार का उपयोग किया जाता है।  

3. गेटेड रिकरंट यूनिट (GRUs) और लॉन्ग टर्म-शार्ट टर्म मेमोरी (LSTM) नेटवर्क

  • समय या स्थान से प्रकट होने वाले अनुक्रमिक डाटा (Sequential Data) का विश्लेषण पारंपरिक तंत्रिका नेटवर्क के लिए विशिष्ट रूप से चुनौतीपूर्ण है क्योंकि अनुक्रमिक डाटा प्राय: जटिल एवं मुश्किल होता है। GRUs एवं LSTM नेटवर्क विशेष रूप से अनुक्रमिक डाटा के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
  • GRUs एवं LSTM के निम्नलिखित अनुप्रयोग हैं :
    • नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग : इसमें वेरिएबल लेंथ सीक्वेंस (Variable Length Sequences) को संभालना शामिल है और GRUs व LSTM इनमें उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं। 
    • स्पीच रिकग्निशन : बोली जाने वाली भाषा को समझने में सटीकता आती है।  
    • टाइम सीरीज प्रेडिक्शन : GRUs एवं LSTM समय शृंखला विश्लेषण व मौसम की भविष्यवाणी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
    • स्वास्थ्य देखभाल : GRUs एवं LSTM का व्यापक रूप से उपयोग स्वास्थ्य देखभाल में रोगी की निगरानी, रोग की भविष्यवाणी और दवा की खोज जैसे कार्यों के लिए किया जाता है।

4. कन्वल्यूशनन्यूरल नेटवर्क (CNNn)

  • CNNs ने छवियों के भीतर पैटर्न एवं विशेषताओं की पहचान करने की मानव दृश्य प्रणाली की क्षमता का अनुकरण करके समस्याओं को सरल बना दिया है।
  • CNNs के निम्नलिखित अनुप्रयोग हैं :
    • इमेज क्लासिफिकेशन : CNNs छवि वर्गीकरण में माहिर हैं, जैसे तस्वीरों में वस्तुओं, जानवरों एवं दृश्यों की पहचान करना।
    • ऑब्जेक्ट डिटेक्शन : CNNs ऑब्जेक्ट डिटेक्शन में बहुत उपयोगी होते हैं, जिससे मशीनों को छवियों या वीडियो स्ट्रीम के भीतर ऑब्जेक्ट को पहचानने व ढूंढने में सहायता मिलती है।
    • फेशियल रिकग्निशन : CNNs सुरक्षा एवं प्रमाणीकरण के साथ-साथ सोशल मीडिया टैगिंग में परिणामी अनुप्रयोगों के साथ चेहरे की पहचान विकसित करने में बेहद उपयोगी हैं।
    • मेडिकल इमेजिंग : CNNs चिकित्सा स्थितियों का निदान करने के लिए एक्स-रे, एम.आर.आई. स्कैन व पैथोलॉजी स्लाइड का विश्लेषण कर सकते हैं।
    • ऑटोनामस व्हीकल : CNNs आटोमेटिक कारों को अपने परिवेश को समझने और वास्तविक समय दृश्य डाटा के आधार पर निर्णय लेने में सक्षम बनाकर ऑटोमेटिक वाहनों में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग : अन्य तकनीकों के साथ CNNs डाटा को संसाधित एवं विश्लेषण करके विभिन्न कार्यों, जैसे- भाव विश्लेषण व भाषा अनुवाद में सहायक हैं।

5. डीप बिलीफ नेटवर्क (DBNs)

  • न्यूरॉन्स की कई लेयर्स को एक साथ जोड़कर, जो प्राय: रिस्ट्रिक्टेड बोल्ट्ज़मैन मशीनों (RBMs) से बनी होती हैं, DBNs का निर्माण होता हैं, जो डीप लर्निंग मॉडल का एक वर्ग है। 
  • DBNS को ‘बिलीफ नेटवर्क’ कहा जाता है क्योंकि वे चरों के बीच संभाव्य संबंधों को कैप्चर करते हैं। DBNs के निम्नलिखित अनुप्रयोग हैं :
    • इमेज एवं स्पीच रिकग्निशन : इमेज एवं ऑडियो डाटा में पैटर्न व विशेषताओं को पहचानने की DBNs की क्षमता फेसियल रिकग्निशन, हैंडराइटिंग रिकग्निशन, स्पीच टू टेक्स्ट रिकग्निशन आदि में बेहद उपयोगी बनाती है।
    • अनुशंसा प्रणालियाँ : DBNs उपयोगकर्ता की प्राथमिकताओं और व्यवहारों का विश्लेषण करके व्यक्तिगत अनुशंसा प्रणालियों के निर्माण में सहायता करते हैं, जिससे उन्हें इन-कॉमर्स और सामग्री वितरण अनुप्रयोगों में उपयोगी बनाया जा सकता है।
    • अनॉमली डिटेक्शन : धोखाधड़ी का पता लगाने, नेटवर्क सुरक्षा एवं गुणवत्ता नियंत्रण में DBNs की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
    • इसके अतिरिक्त ये प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण एवं हेल्थ केयर में भी सहायक है।

6. न्यूरोएवोल्यूशनरी एल्गोरिदम (NEAs) 

  • NEAs की अवधारणा चार्ल्स डार्विन के प्राकृतिक चयन के सिद्धांत में उद्विकास के विचार पर आधारित है। यह अवधारणा मशीन लर्निंग एवं अनुकूलन की समस्याओं पर लागू होती है। 
  • NEAs तंत्रिका नेटवर्क एवं विकासवादी एल्गोरिदम को जोड़ते हैं जो समय के साथ अनुकूलन व सुधार कर सकते हैं। NEAs के निम्नलिखित अनुप्रयोग हैं :
    • रोबोटिक्स : रोबोटिक्स में NEAs का उपयोग करके रोबोटों के लिए नियंत्रण रणनीतियाँ विकसित की जाती हैं।
    • गेमिंग : NEAs ने शतरंज, गो एवं वीडियो गेम जैसे जटिल खेल के लिए प्रशिक्षण एजेंटों में उल्लेखनीय दक्षता हासिल की है।
    • एडाप्टेशन : NEAs लॉजिस्टिक्स, वित्त एवं इंजीनियरिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अनुकूलन समस्याओं को हल करने के लिए विशेष रूप से उपयुक्त हैं।
    • न्यूरोरिहैबिलिटेशन : NEAs का उपयोग न्यूरोलॉजिकल विकलांगता वाले रोगियों के लिए व्यक्तिगत पुनर्वास कार्यक्रम डिजाइन करने के लिए किया जाता है। 
    • नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग : NEAs का उपयोग प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP) में विभिन्न कार्यों, जैसे- पाठ निर्माण, मशीन अनुवाद एवं भाषा समझ में किया गया है।

7. बायोफिजिक्स प्रेरित तंत्रिका नेटवर्क (BiophysINNs) 

  • हालिया विकासों में से बीआईएनएन-बायोफिज़िक्स इंस्पायर्ड न्यूरल नेटवर्क्स जैविक प्रणाली के बायोफिज़िक्स से प्रेरणा प्राप्त करते हैं। BiophysINNs के निम्नलिखित अनुप्रयोग हैं : 
    • इसका उपयोग तंत्रिका तंत्र की जांच करने के लिए किया जा सकता है, जिससे मस्तिष्क विकार व सामान्य कार्य का विश्लेषण करने में आसानी से हो सके।
    • यह मानव शरीर पर नए यौगिकों के प्रभाव का अनुकरण करके दवा की खोज को बढ़ावा दे सकता है जिसके परिणामस्वरूप अधिक कुशल दवा विकास हो सकता है।
    • यह मौजूदा रोबोटिक प्रणालियों को अधिक जैविक रूप से प्रेरित नियंत्रण एवं निर्णयन क्षमता प्रदान कर सकता है जिसके परिणामस्वरूप अधिक कुशल रोबोट गतिशील वातावरण के लिए बेहतर अनुकूल होंगे।
    • BiophysINNs ग्राहक सेवा एवं उपयोगकर्ता इंटरैक्शन में सुधार करके अधिक वैयक्तिकृत अनुभव दे सकता है।
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