प्रारंभिक परीक्षा – कोरवा/कोरबा जनजाति मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन पेपर-1 |
संदर्भ
- छत्तीसगढ़ के कोरवा/कोरबा जिले के दो गांवों के निवासियों ने क्षेत्र में विकास कार्य नहीं होने के कारण छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
प्रमुख बिंदु
- रामपुर विधानसभा क्षेत्र के केराकछार ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले गांव सरडीह और बगधरीडांड के कोरवा आदिवासियों ने चुनाव का बहिष्कार करने की घोषणा की है।
बहिष्कार करने का कारण
- चुनाव का बहिष्कार करने का मुख्य कारण बुनियादी सुविधाओं जैसे-पेयजल बिजली आपूर्ति , सड़क और मोबाइल टावर आदि अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव होना है।
पहाड़ी कोरवा आदिवासी
अनुसूचित जनजाति घोषित करने के मानदंड
- भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जनजातियों में से कुछ निश्चित जनजातीय समुदायों को विशिष्ट मापदण्डों यथा स्थिर या कम होती जनसंख्या, न्यून साक्षरता दर, कृषि की आदिम तकनीक एवं आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर देश में 75 जनजातीय समुदाय को विशेष पिछड़ी जनजाति (Particularly Vulnerable Tribal Groups ) के रूप में घोषित किया गया है। जिसमें से पहाड़ी कोरवा छत्तीसगढ़ राज्य की 05 विशेष पिछड़ी जनजातियों में से एक प्रमुख जनजाति है।
- पहाड़ी कोरवा जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य के बलरामपुर, जशपुर सरगुजा एवं कोरबा जिले में प्रमुखता से निवासरत है। यह कोरवा अनुसूचित जनजाति की एक शाखा है।
- इनमें हसदवार, एदेगवार, मुढियार, सामरवार आदि गोत्र पाये जाते है।
- भाषा : इनकी भाषा कोरवी एवं सरगुजिहा है।
- पहाड़ी कोरवा जनजाति की अर्थव्यवस्था : कोरवा/कोरबा जनजाति की अर्थ व्यवस्था मुख्य रूप से बांस के बर्तन बनाने, चटाई निर्माण , वनोपज संकलन, पशुपालन, मजदूरी आदि पर आधारित है।
इनके प्रमुख देवी-देवता :
- कोरवा/कोरबा जनजाति के प्रमुख देवी-देवता बुढ़ादेव, कामदेवी, शिकार देवी, महामाई देवी, ज्वालामुखी देवी आदि है।
कोरवा/कोरबा जनजाति से संबंधित प्रमुख तथ्य :
- इनके प्रमुख त्योहार बीजबोहानी, छेरतापरब, पितर आदि हैं।
- पहाड़ी कोरवा परिवार जनजाति ऑस्ट्रो-एशियाटिक परिवार से संबंध रखते हैं।
- यह जनजाति मध्यम कद काठी गठीले शरीर वाले एवं गहरी भूरी या काली त्वचा वाले होते हैं।
- पहाड़ी कोरवा की छत्तीसगढ़ राज्य में कुल जनसंख्या लगभग 44026 है।
- इसमें से पुरुष जनसंख्या 22196 एवं स्त्री जनसंख्या 21830 है। इनमें स्त्री-पुरुष लिंगानुपात 984 है।
उत्पत्ति एवं निवास
- कोरवा/कोरबा जनजाति की उत्पत्ति के संबंध में कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है,लेकिन कालोनिल डॉल्टन ने इन्हें कोलारियन समूह से निकली जाति माना है।
- ऐसा माना जाता है कि कोरवा/कोरबा जनजाति की उत्पति श्री राम-सीता के द्वारा हुई है।
- पहाड़ी कोरवा लोग बार-बार आवास बदलने जैसे-पहाड़ी क्षेत्र से मैदानी के लिए जाने जाते हैं।
- पहाड़ी कोरवा/कोरबा विशेष पिछड़ी जनजाति समूह (PVTG) है।
- कोरवा लोगों को मुंडा जनजाति के नाम से भी जाना जाता है, जो भारत में एक अनुसूचित जनजाति है।
- यह जनजाति मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ और झारखंड में पाए जाते हैं। आंशिक रूप से उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले में भी कोरवा या कोरबा जनजाति पायी जाती है।
- यह जनजाति छत्तीसगढ़ के कोरवा/कोरबा शहर से 20 किमी दूर स्थित केराकछार ग्राम पंचायत के गांवों में निवास करती है।
- इस गांव के लोग हाथी-मानव संघर्ष के खतरे से भी जूझ रहे हैं।
- छत्तीसगढ़ के पांच विशेष पिछड़े जनजाति समूह (PVTG)- अबूझमाड़िया कमार, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर और बैगा जनजाति हैं।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : हाल ही में किस जनजाति समूह ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है?
(a) भील
(b) थारू
(c) टोंड
(d) कोरवा/कोरबा
उत्तर: (d)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : जनजातियों के पिछड़ेपन के मुख्य कारण क्या हैं?इनके समाधान के उपाय सुझाएँ।
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स्रोत : जनसत्ता + tribal.gov.in