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ब्रिक्स सम्मलेन-2021: चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ  

(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र-2, विषय- महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश)

संदर्भ

  • वर्ष 2021 में होने वाले 13वें ब्रिक्स शिखर सम्मलेन की अध्यक्षता भारत को सौंपी गई है। वर्ष 2012 एवं 2016 के बाद यह तीसरा अवसर होगा जब भारत ब्रिक्स शिखर सम्मलेन की अध्यक्षता करेगा।ब्रिक्स@15: निरंतरता, समेकन और आम सहमति के लिये ब्रिक्स देशों के बीच सहयोगइस सम्मलेन की थीम है।
  • उल्लेखनीय है कि इस शिखर सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में सुधार एवं आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई भारत की प्राथमिकता के मुद्दे रहेंगे।              

्रिक्स संगठन

  • वर्ष 2001 में अंतर्राष्ट्रीय संस्थागोल्डमैन सैशके मुख्य अर्थशास्त्री जिम नील नेबिल्डिंग बेटर ग्लोबल इकोनॉमिक ब्रिक्स” (Building Better Global Economic BRICs)” नामक पत्र में चीन, भारत, रूस एवं ब्राजील को उभरती हुई अर्थव्यवस्था बताते हुए भविष्य में इनकी जी.डी.पी. में भारी वृद्धि होने का अनुमान व्यक्त किया था।      
  • वर्ष 2003 मेंगोल्डमैन सैशद्वारा प्रकाशितड्रीमिंग विद ब्रिक्स: पाथ टू 2050” नामक पत्र में इन चार उभरती अर्थव्यवस्थाओं के कारण वैश्विक मानचित्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन की संभावना व्यक्त की गई। इसके साथ ही यह भी कहा गया की ये अर्थव्यवस्थाएँ संयुक्त रूप से वर्ष 2039 से पूर्व पश्चिमी प्रभुत्व वाली विश्व व्यवस्था से आगे निकल जाएँगी।
  • वर्ष 2006 में ब्रिक देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में मुलाकात की तथा इसी समय ब्रिक को औपचारिक स्वरूप प्रदान किया गया। इसका पहला शिखर सम्मलेन वर्ष 2009 में रूस के येकातेरिनबर्ग में संपन्न हुआ। तब से ब्रिक्स के राष्ट्राध्यक्षों का शिखर सम्मलेन प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता है। 
  • वर्ष 2010 में दक्षिण अफ्रीका को सम्मिलित किये जाने के बाद यह संगठन ब्रिक्स (BRICS) के नाम से जाना जाने लगा।

दस्य देशों की सीमाएँ

  • ब्रिक्स संगठन के सदस्य देशों को उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में चिन्हित किया गया था तथा इनके व्यापक आर्थिक विकास का अनुमान व्यक्त किया गया था। परंतु चीन को छोड़कर अन्य सदस्य देश आशानुरूप प्रदर्शन करने में असफ रहे हैं
  • कोविड-19 महामारी के प्रकोप के पूर्व से ही भारत की आर्थिक मंदी चिंता का विषय बनी हुई है।
  • दक्षिण अफ्रीका की कर्ज में डूबी अर्थव्यवस्था एवं नकारात्मक चालू खाते के कारण विशेषज्ञों ने अगले दशक तक इसके आर्थिक पतन की संभावना व्यक्त की है।
  • कोविड-19 महामारी का सामना करने में ब्राज़ील की कमज़ोर स्थिति के कारण यह विश्व के सबसे प्रभावित देशों में एक रहा। अतः इसके वापस संतोषजनक स्थिति में आने में समय लगने की संभावना है।

    ंगठन की चुनौतियाँ

    • संगठन के दो महत्त्वपूर्ण देशों भारत एवं चीन के मध्य हाल ही उपजे सीमा विवाद के कारण उत्पन्न हुआ तनाव संगठन के लिये चिंता का विषय है।  
    • वर्ष 2017 में चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में भारत भागीदार नहीं बना तथा इस परियोजना का विरोध भी किया। रूस भी चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना में भागीदार नहीं है, जबकि चीन के साथ रूस की काफी आधारभूत परियोजनाएँ संचालित हो रही हैं।
    • रूस की पूर्वी यूरोप के प्रति बढ़ती आक्रामकता एवं क्रीमिया (यूक्रेन) को अपने अधिकार क्षेत्र में लेने के कारण उपजे वैश्विक तनाव से संगठन की गतिशीलता के प्रभावित होने की संभावना है।   
    • चीन एवं रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य हैं, जबकि संगठन के अन्य सदस्य देश भारत एवं ब्राज़ील परिषद् की स्थायी सदस्यता के लिये प्रयत्नशील हैं। ऐसी स्थिति में रूस एवं चीन द्वारा इन सदस्यों की स्थायी सदस्यता के संबंध में उठाए गए कदम महत्त्वपूर्ण होंगे। हालाँकि, परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा चीन ही है, जबकि रूस के द्वारा भारत की सदस्यता का समर्थन किया गया है।   
    • वर्तमान समय में क्वाड (QUAD) में भारत की बढ़ती गतिशीलता एवं अमेरिका के साथ भारत के बढ़ते संबंध भी ब्रिक्स के लिये चुनौती प्रस्तुत कर सकते हैं।

    ंगठन का महत्त्व

    • ब्रिक्स ने वर्ष 2014 (फोर्टालेज़ा उद्घोषणा) में न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) के गठन की घोषणा की। 100 अरब डॉलर की राशि वाले इस बैंक में सभी सदस्य देशों की भागीदारी 20 अरब डॉलर है। यह बैंक ब्रिक्स सदस्य देशों एवं अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों में बुनियादी ढाँचे और सतत विकास परियोजना को वित्त पोषित करता है।   
    • हाल ही में, भारत की अध्यक्षता में संपन्न हुए ब्रिक्स विदेश मंत्रियों के सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंगों; अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक एवं विश्व व्यापार संगठन जैसी संस्थाओ में सुधार पर बल दिया गया।
    • इसके साथ ही कोविड-19 महामारी से निपटने के संबंध में टीकों एवं दवाओं से संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकारों की  छूट के लिये विश्व व्यापार संगठन में वार्ता का समर्थन किया गया। 
    • ब्रिक्स का गठन अवश्य ही आर्थिक उद्देश्यों से प्रेरित था, परंतु इसने अमेरिका एवं यूरोप समर्थित सैन्य हस्तक्षेपों की निंदा, अफगानिस्तान एवं पश्चिम एशिया में उपजे संकट इत्यादि वैश्विक राजनीतिक चिंताओं के संबंध में भी अपने विचार प्रकट किये हैं तथा बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था में समावेशन का आह्वान किया है।

    िष्कर्ष

    ब्रिक्स के अंदर उपजी तमाम विसंगतियों एवं अंतर्विरोधों के बावजूद यह एक महत्त्वपूर्ण संगठन है। इस संगठन के सभी सदस्य देश संगठन के उद्देश्य के लिये प्रतिबद्ध हैं। परंतु यह अभी भी अपने गठन के उद्देश्य (आर्थिक शक्ति बनना) को प्राप्त करने से काफी पीछे है। अतः इसके सदस्य देशों को आपसी मतभेदों को भुलाकर संगठन के वास्तविक उद्देश्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रयास करना चाहिये

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