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ब्रू शरणार्थी समस्या एवं समाधान

(प्रारंभिक परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: भारतीय समाज एवं राष्ट्रीय परिदृश्य)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1:भारतीय सामाजिक विशेषताएँ व सामाजिक सशक्तिकरण) 

संदर्भ

हाल ही में त्रिपुरा सरकार के द्वारा ब्रू या रियांग जनजाति के लोंगो को शरणार्थी शिविरों से निकालकर उपयुक्त स्थान पर बसाने का कार्य प्रारंभ किया गया।

ब्रू जनजाति

  • यह पूर्वोत्तर भारत की एक सुभेद्य जनजाति है जिसे रियांग के नाम से भी जाना जाता है।इस जनजाति के लोग ब्रू भाषा बोलते हैं, इस भाषा की अपनी कोई लिपि नहीं है। ये लोग पहले झूम कृषि करते थे इस कारण इन्हें बंजारा जनजाति भी कहा जाता था।
  • वर्ष 1995 में ब्रू और मिजो जनजाति के मध्य टकराव हुआ तथायंगमिजो एसोसिएशन और मिजोस्टूडेंट्स एसोसिएशन ने ब्रू जनजाति को राज्य से बाहर का घोषित कर दिया। फलतः दोनों जनजातियों के मध्य हिंसक झड़पें आरंभ हो गईं।
  • वर्ष 1997 तक टकराव इतना बढ़ गया कि नृजातीय संघर्ष उत्पन्न हो गया जिसके चलते ब्रू जनजाति के लोग मिजोरम से त्रिपुरा आकर शरणार्थी शिविरों में निवास करने लगे।
  • 16 जनवरी,2020 को केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद भारत सरकार, त्रिपुरा और मिज़ोरम सरकार तथा ब्रू जनजाति के प्रतिनिधियों के मध्य एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। जिसके माध्यम से इस जनजाति की समस्याओं का समाधान किया गया।

समझौते के प्रावधान

  • ब्रू या रियांग जनजाति के लोगों को स्थायी तौर पर त्रिपुरा में बसाया जाएगा तथा उन्हें वहाँ की मतदाता सूची में स्थान दिया जाएगा।
  • विस्थापित परिवारों को एक आवासीय प्लॉट (जिसके लिए भूमि की व्यवस्था त्रिपुरा सरकार करेगी), मकान बनाने के लिए डेढ़ लाख की सहायता राशि तथाप्रत्येक परिवार को 4 लाख रुपये का सावधिक जमा(Fixed deposit) दिया जाएगा।
  • प्रत्येक परिवार को आर्थिक सहायता के रूप में दो साल तक 5 हजार रुपये प्रति माह नकद दिया जाएगा। साथ ही, दो साल तक मुफ़्त राशन भी मुहैया कराया जाएगा। इस समझौते तहत केंद्र सरकार द्वारा 600 करोड़ का राहत पैकेज दिया जाएगा।

पूर्व में किये गए सरकारी प्रयास

3 जुलाई,2018 को भारत सरकार-मिज़ोरमव त्रिपुरा सरकार तथा ब्रू जनजाति के प्रतिनिधियों के मध्य समझौता हुआ जिसके बाद इन परिवारों को दी जाने वाली सहायता में बढ़ोतरी की गई। इसके अंतर्गत, वहीं प्रावधान शामिल थे जो वर्ष 2020 के समझौते में थे,हालाँकि इसमें कुछ अन्य प्रावधान भी थे जिसमें-

  • ब्रू जनजाति के लोगों को त्रिपुरा से मिज़ोरम आने-जाने के लिए मुफ्त आवागमन की सुविधा मुहैया कराना।
  • शिक्षा के लिए एकलव्य स्कूल, निवासऔर जाति प्रमाणपत्र दिया जाना तथा मिज़ोरम में मताधिकार का प्रयोग करना शामिल था। किंतु यह समझौता मूर्तरूप नहीं ले पाया क्योंकि अधिकांश ब्रू लोगों ने मिज़ोरम जाने से मना कर दिया था।
  • वर्ष 2014 तक 1622ब्रू परिवारों को मिज़ोरम वापस भेजा गया तथा अक्तूबर 2019 में वापसी का नौवाँ चरण आरंभ हुआ जिसके बाद भी कुछ परिवारों को वापस मिज़ोरम ले जाया गया।

निष्कर्ष

त्रिपुरा सरकार द्वारा इस समस्या के समाधान हेतुचार जिलों में 16 स्थानों को चिह्नित किया गया है, जहाँ पर ब्रू-रियांग जनजाति के परिवारों को बसाया जाएगा। साथ ही,चार समितियों का गठन भी किया जाएगा एवं शरणार्थियों को राज्य के स्थायी नागरिक के रूप में अधिसूचित किया जाएगा।

त्रिपुरा के उत्तरी जिले के डिप्टी कलेक्टर एवं मजिस्ट्रेट ने कहा कि इन शरणार्थियों के पहले समूह को ढ़लाई (Dhalai) जिले के हडूकलापुर (Haduklapura) तथा दुक्लाई (Duklai) ग्राम में बस्ती प्रदान की गई है।

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