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ब्रुसेल्स प्रभाव

संदर्भ 

यूरोपीय संघ (EU) ब्रुसेल्स प्रभाव (Brussels Effect) के रूप में ज्ञात एक घटना के माध्यम से वैश्विक परिदृश्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। 

क्या है ब्रुसेल्स प्रभाव 

  • ब्रुसेल्स प्रभाव एक नियामक शक्ति (Regulatory Power) के रूप में यूरोपीय संघ की स्थिति को संदर्भित करता है। यह अवधारणा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं वैश्विक शासन के पारंपरिक तरीकों को दरकिनार करते हुए अपने स्वयं के नियामक ढाँचे के माध्यम से वैश्विक मानकों को आकार देने की यूरोपीय संघ की क्षमता को परिभाषित करती है।
    • यूरोपीय संघ का मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में है। 
  • यूरोपीय संघ अपने विशाल आंतरिक बाजार के लिए उच्च स्तरीय मानक स्थापित करता है। यह बहुराष्ट्रीय निगमों को अपने वैश्विक परिचालन में इन नियमों का पालन करने के लिए अत्यधिक प्रोत्साहन प्रदान करता है। 
    • बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने पूरे व्यवसाय में मानकों के एक ही सेट का पालन करने से संचालन सुव्यवस्थित होने के साथ ही प्रशासनिक बोझ कम होता है। 
  • निगमों द्वारा इसे अपनाने से वैश्विक वाणिज्य व्यवस्था का क्रमिक यूरोपीयकरण (Europeanisation) होता है, जो डाटा गोपनीयता, साइबर सुरक्षा, उत्पाद सुरक्षा, वित्तीय सेवाओं, बौद्धिक संपदा, जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में यूरोपीय प्राथमिकताओं को दर्शाता है। 
  • ब्रुसेल्स प्रभाव सूक्ष्मता से संचालित होता है, जो भू-राजनीतिक एवं आर्थिक दबाव के बजाय बाजार की ताकतों पर निर्भर करता है। यह प्रभाव 21वीं सदी में सॉफ्ट पावर के एक नए रूप का प्रतिनिधित्व करता है, जहाँ यूरोपीय संघ का प्रभाव उसके नियमों के आकर्षण एवं प्रभावशीलता से उत्पन्न होता है।

Regulatory-Power

यूरोपीय संघ का ए.आई. अधिनियम और ब्रुसेल्स प्रभाव की अभिव्यक्ति

ए.आई. अधिनियम

  • यूरोपीय संसद द्वारा पारित ए.आई. अधिनियम का उद्देश्य ए.आई. अनुप्रयोगों के व्यापक स्पेक्ट्रम को कवर करने वाले नियम स्थापित करना है।
  • यह ए.आई. के तीव्र विकास एवं परिनियोजन (Deployment) की सीधी प्रतिक्रिया है, जिसने दुनिया भर की सरकारों को संभावित नुकसानों को दूर करने के उपाय खोजने के लिए प्रेरित किया है। 
  • ब्रुसेल्स प्रभाव के मूलभूत सिद्धांतों पर बल देते हुए ई.यू. का कृत्रिम बुद्धिमत्ता अधिनियम (AI Act) अपनी व्यापकता, कानूनी महत्व एवं यूरोपीय उपभोक्ता बाजार के आकार के कारण मजबूत स्थिति में है। 
    • यह ए.आई. के विकास एवं परिनियोजन के भविष्य को आकार देने में इसके महत्व को रेखांकित करता है।
    •  फेस रिकग्निशन, बायोमेट्रिक डाटा संग्रह, वृहत भाषा मॉडल, प्रशिक्षण डाटा एवं परीक्षण आवश्यकताओं जैसे क्षेत्रों को शामिल करते हुए ए.आई. अधिनियम एक व्यापक दायरे व अधिदेश का दावा करता है।

ब्रुसेल्स प्रभाव की अभिव्यक्ति के रूप में 

  • यूरोपीय संघ ए.आई. अधिनियम को ब्रुसेल्स प्रभाव की एक अन्य अभिव्यक्ति के रूप में देखता है। 
  • ब्रुसेल्स प्रभाव से ए.आई. अधिनियम के संबंधित राजनीतिक, सुरक्षात्मक, आर्थिक व सामाजिक जोखिमों को कम करने के लिए ए.आई. विनियमन की जटिलताओं को दूर करने वाले अन्य देशों के लिए एक ब्लूप्रिंट एवं मॉडल के रूप में कार्य करने की संभावना है। 

विभिन्न देशों द्वारा ए.आई. विनियमन का प्रयास

विगत कई वर्षों में प्रभावी एवं व्यापक कृत्रिम बुद्धिमत्ता शासन मानकों को विकसित करने की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ज़ोर दे रहा है। 

अमेरिका 

  • प्रारंभ में ए.आई. विनियमन का विरोध करने वाले अमेरिका ने भी ए.आई. विकास के लिए उभरते विनियामक परिदृश्य को आकार देने में प्रगति शुरू कर दी है। 
    • 30 अक्तूबर, 2023 को व्हाइट हाउस ने अमेरिका में उत्तरदाई ए.आई. विकास की रूपरेखा पर कार्यकारी आदेश जारी किया। 
    • सुरक्षा मानकों, गोपनीयता, समानता, नवाचार एवं वैश्विक नेतृत्व जैसे क्षेत्रों को शामिल करने वाला यह आदेश ए.आई. में अमेरिकी स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 
    • हालाँकि, इस आदेश को कानूनी प्रवर्तन की शक्ति प्राप्त नहीं है।

यूनाइटेड किंगडम 

  • यूनाइटेड किंगडम ने स्वयं को ए.आई. संवादों में एक नेता के रूप में स्थापित करने की मांग की है।
    • संभवतः वैश्विक ए.आई. शिखर सम्मेलन को ऐसा करने के अवसर के रूप में देखा है। 
  • वर्ष 2023 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की व्यापक ए.आई. नीति पर सार्थक चर्चा करने में असमर्थता के मद्देनजर यू.के. ए.आई. सुरक्षा शिखर सम्मेलन वैश्विक ए.आई. नीति मानकों को विकसित करने की दिशा में एक ठोस प्रयास साबित हुई। 
    • इस सम्मेलन में चीन की उपस्थिति ने शिखर सम्मेलन को गंभीरता व वैधता प्रदान की।

भारत

  • विगत कई वर्षों में भारत ने ए.आई. प्रौद्योगिकियों के उत्तरदाई विकास एवं परिनियोजन के लिए पहल व दिशानिर्देश पेश किए हैं। 
    • किंतु वर्तमान में भारत में ए.आई. को विनियमित करने के लिए कोई विशिष्ट कानून नहीं हैं।
  • वर्ष 2018 में नीति आयोग ने ए.आई. के लिए #AIForAll राष्ट्रीय रणनीति जारी की। 
    • इसमें स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, शिक्षा, स्मार्ट शहर एवं बुनियादी ढांचे, स्मार्ट गतिशीलता व परिवर्तन पर केंद्रित एआई अनुसंधान और विकास दिशानिर्देश शामिल थे।
  • वर्ष 2021 में नीति आयोग ने उत्तरदाई ए.आई. के सिद्धांत पर एक दृष्टिकोण पत्र जारी किया जो भारत में ए.आई. समाधानों के लिए विभिन्न नैतिक विचारों का परीक्षण करता है।
  • नीति आयोग की वर्ष 2021 की ही एक रिपोर्ट में नियामक एवं नीतिगत हस्तक्षेप, क्षमता निर्माण, डिजाइन द्वारा नैतिकता को प्रोत्साहित करने और प्रासंगिक ए.आई. मानकों के अनुपालन के लिए ढाँचा बनाने पर बल दिया गया है।
  • वर्ष 2023 में भारत सरकार ने एक नया गोपनीयता कानून ‘डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट’ पारित किया है, जिसका उपयोग ए.आई. प्लेटफार्मों के विनियमन के लिए किया जा सकता है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ए.आई. पर समितियाँ गठित की हैं जिन्होंने ए.आई. से संबंधित विकास, सुरक्षा एवं नैतिक मुद्दों पर रिपोर्ट प्रस्तुत की है। 
  • भारतीय मानक ब्यूरो ने ए.आई. पर एक समिति भी स्थापित की है जो ए.आई. के लिए भारतीय मानकों का मसौदा प्रस्तावित कर रही है।

भारत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग 

  • भारत ए.आई. पर वैश्विक साझेदारी (Global Partnership on Artificial Intelligence : GPAI) का सदस्य है। 
  • वर्ष 2023 में GPAI शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। इसमें उत्तरदाई ए.आई. के लिए दिल्ली घोषणापत्र अपनाया गया।  

निष्कर्ष 

ए.आई. के विनियमन में भी ब्रुसेल्स प्रभाव देखा जा रहा है। हालाँकि, चूंकि ए.आई. वैश्विक परिदृश्य में महत्वपूर्ण महत्व रखता है, इसलिए अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम एवं कई उभरते देशों से उत्पन्न होने वाले ब्रुसेल्स प्रभाव को रोकने के लिए सक्रिय प्रयास किए जा रहे हैं।

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