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बी.एस.एफ. के क्षेत्राधिकार को लेकर उभरा विवाद

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, भारतीय राज्यतंत्र और शासन)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण)

संदर्भ

हाल ही में, असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब में ‘सीमा सुरक्षा बल’ (BSF) के अधिकार क्षेत्र का विस्तार किया गया। इस निर्णय ने केंद्र और राज्य के बीच विवाद पैदा कर दिया है। पंजाब और पश्चिम बंगाल सरकारों ने इसे ‘शक्ति का केंद्रीयकरण’ कहा है।

अधिकार क्षेत्र में विस्तार

  • ‘सीमा सुरक्षा बलअधिनियम, 1968’ के अंतर्गत केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक निर्देश जारी किया है। जिसके तहत बी.एस.एफ. का अधिकार क्षेत्र असम, पंजाब और पश्चिम बंगाल में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 50 कि.मी. अंदर तक होगा। इससे पहले इन राज्यों में उनका अधिकार क्षेत्र 15 किमी. के दायरे तक सीमित था।
  • इसी निर्देश में बी.एस.एफ. का अधिकार क्षेत्र गुजरात में 80 कि.मी. से घटाकर 50 कि.मी. कर दिया गया है। इन क्षेत्रों में बी.एस.एफ. को गिरफ्तार करने और खोज अभियान चलाने का अधिकार होगा।
  • आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता और पासपोर्ट अधिनियम के तहत बी.एस.एफ. के अधिकार क्षेत्र में काफी वृद्धि हुई है। हालाँकि ‘स्वापक औषधि एवं मनप्रभावी पदार्थ अधिनियम’, आयुध अधिनियम और सीमा शुल्क अधिनियम के तहत छानबीन एवं ज़ब्ती के अधिकारों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।

राष्ट्रीय सुरक्षा बनाम राज्य की स्वायत्तता : केंद्र और राज्य के तर्क

पंजाब और पश्चिम बंगाल ने केंद्र पर संघीय शक्तियों के बँटवारे को नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगाया है, जबकि केंद्र के अनुसार, बी.एस.एफ. की क्षमता में विस्तार से भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से अवैध कब्ज़े और सीमा पार अपराध (ड्रग्स, हथियार, मवेशियों और जाली नोटों की तस्करी आदि) पर अंकुश लगाया जा सकेगा। इस संदर्भ में केंद्र और राज्यों के तर्क निम्नानुसार हैं–

  1. केंद्र का तर्क
  • हालिया संशोधनों का मंतव्य पंजाब, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान और असम जैसे सीमावर्ती राज्यों में बी.एस.एफ. के अधिकार क्षेत्र को लेकर एक समान दृष्टिकोण अपनाना है।
  • केंद्र सरकार का तर्क है कि हाल के दिनों में सीमावर्ती राज्यों, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में ड्रोन से हथियारों की तस्करी और ड्रग्स ट्रैफिकिंग की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है।
  • पहले के अपने सीमित अधिकार क्षेत्र के चलते बी.एस.एफ. इन राज्यों में अपराध के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई नहीं कर सकती थी क्योंकि तस्करी और इससे संबंधित नेटवर्क तक पहुँच पाना और उसकी जाँच करना बी.एस.एफ. के लिये आसान नहीं था।
  1. राज्य का तर्क
  • राज्यों को संदेह है कि इस परिवर्तन के माध्यम से राज्य की कानून व्यवस्था में केंद्र का हस्तक्षेप बढ़ेगा। पश्चिम बंगाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा बांग्लादेश, भूटान और नेपाल से लगती है और इस संशोधन से संवेदनशील उत्तरी बंगाल सहित बंगाल का एक बड़ा हिस्सा बी.एस.एफ. के अधिकार क्षेत्र में आ जाता है।
  • पंजाब केकम से कम नौ ज़िले पूर्णतः या अंशतः बी.एस.एफ. के बढ़े हुए अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। पहले भी बी.एस.एफ. और पंजाब पुलिस के बीच समन्वय में कमी देखी गई थी। अधिकार क्षेत्र में की गई इस वृद्धि से बी.एस.एफ. और राज्य पुलिस में क्षेत्राधिकार और परिचालन को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा होगी।
  • इन राज्यों का तर्क है कि केंद्र सरकार ने यह निर्णय उनसे परामर्श किये बिना और भारत के संघीय ढाँचे को नज़रअंदाज़ करते हुए लिया है।
  • एक आशंका यह भी है कि सुरक्षात्मक मानकों के आभाव में बी.एस.एफ. के अधिकार क्षेत्र में विस्तार से शक्तियों का मनमाना प्रयोग बढ़ेगा, जो मानवाधिकार उल्लंघन को बढ़ावा दे सकता है।
  • यह चिंता भी जताई जा रही है कि इन राज्यों में बी.एस.एफ. की बढ़ी हुई शक्तियों का दुरुपयोग विरोधी दल के नेताओं को ड्रग्स और हथियार तस्करी जैसे मामलों में फँसाने के लिये किया जा सकता है।

केंद्रीयकरण की निरंतरता

  • राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर केंद्र सरकार इस तरह की केंद्रीयकरण की प्रवृति पहले भी अपनाती रही है। यू.पी.ए. सरकार के दौरान मार्च 2012 में ‘सीमा सुरक्षा बल (संशोधन) अधिनियम’लाया गया, जो बी.एस.एफ. को उसके तैनाती वाले देश के किसी भी हिस्से में छानबीन, ज़ब्ती और गिरफ्तारी का अधिकार प्रदान करता है।

निष्कर्ष

  • भारत एक बड़े आकार वाला देश है, जिसकी अंतर्राष्ट्रीय सीमा अति संवेदनशील है। भारतीय सीमा में प्रवेश और निकास अपेक्षाकृत सरल है। अत: सीमावर्ती देशों के साथ-साथ दक्षिण एशिया की अस्थिरता के चलते अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को लेकर सचेत रहने की आवश्यकता है। सीमा-पार आतंकवाद और अन्य अपराध भारत की सुरक्षा चिंताओं पर प्रतिकूल असर डालते हैं।
  • राज्य को प्रभावित करने वाली सुरक्षा नीतियों को लेकर केंद्र सरकार को राज्यों के साथ चर्चा करनी होती है। ऐसे में, पुलिस की क्षमता बढ़ाने और बी.एस.एफ.व राज्य पुलिस के बीच अधिक समन्वय स्थापित करने के लिये केंद्र व राज्य सरकार को आगे आने की ज़रूरत है।
  • केंद्र और राज्य सरकार के बीच बेहतर संवाद स्थापित करने के लिये अंतर्राज्यीय परिषद् जैसे मंचों को मज़बूत बनाने की आवश्यकता है। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था तभी मज़बूत हो सकेगी, जब आपसी परामर्श के साथ संघीय व्यवस्था को लागू किया जाए।
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