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जलवायु परिवर्तन के कारण थार रेगिस्तान का हरा-भरा क्षेत्र में परिवर्तन

प्रारम्भिक परीक्षा – पर्यावरण 
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन पेपर-3

सन्दर्भ

  • एक अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण भारत के थार रेगिस्तान में भारी परिवर्तन देखने को मिल सकता है। यह सदी के अंत तक हरा-भरा क्षेत्र बन सकता है।

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प्रमुख बिंदु 

  • अध्ययन में शामिल शोधकर्मियों के अनुसार तापमान बढ़ने के साथ ही दुनिया भर के कई रेगिस्तानों का और विस्तार होने का अनुमान है वहीं थार रेगिस्तान में इससे उलट रुख देखने को मिल सकता है और इस सदी के अंत तक यह हरे-भरे क्षेत्र में तब्दील हो सकता है।
  • थार रेगिस्तान राजस्थान के अलावा पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों में फैला है। यह 2,00,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला है। यह दुनिया का 20वां सबसे बड़ा रेगिस्तान और नौवां सबसे बड़ा गर्म उपोष्णकटिबंधीय रेगिस्तान है। 
  • अध्ययन में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से पृथ्वी के रेगिस्तानों के बढ़ने का दावा किया गया है।
  • विशेषज्ञों का अनुमान है कि सहारा रेगिस्तान का आकार 2050 तक सालाना छह हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक बढ़ सकता है। 

थार रेगिस्तान में परिवर्तन के कारक 

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  • नया अध्ययन अर्थ्स फ्यूचर (Earth's Future) नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, जिसमें थार रेगिस्तान के संबंध में अप्रत्याशित पहलू का जिक्र किया गया है। 
  • शोधकर्ताओं के दल ने कई अवलोकनों और जलवायु माडल 'सिमुलेशन' को मिला कर उनका अध्ययन किया और पाया कि वर्ष 1901 से 2015 के बीच भारत और पाकिस्तान के अर्ध-शुष्क उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में औसत वर्षा 10-50 फीसद तक बढ़ी है। 
  • उनका कहना है कि मध्यम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की हालत में भी इस वर्षा के 50-200 प्रतिशत तक बढ़ने के आसार हैं।
  • अध्ययन से पता चलता है कि भारतीय मानसून का बदलाव भारत के पश्चिम और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में शुष्क स्थितियों के लिए अहम कारक है।
  • अध्ययन में शामिल गुवाहाटी स्थित काटन विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग के बीएन गोस्वामी के अनुसार भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून की गतिशीलता को समझना यह समझने के लिए अहम है कि जलवायु परिवर्तन थार रेगिस्तान को कैसे हरा-भरा कर सकता है। 
  • गोस्वामी ने यह भी बताया कि भारतीय मानसून में बदलाव की विशिष्ट प्रवृत्ति हैं और यह उत्तर-पश्चिम भारत में अर्द्ध-शुष्क क्षेत्र के हरा भरा होने की संभावना के लिए जरूरी है। 

मरूस्थल 

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  • पृथ्वी पर 30-40° अक्षांश के मध्य के क्षेत्र सबसे शुष्क होते हैं। चूंकि 30-40° अक्षांशों के बीच वर्षा नहीं होती है इसलिए उपोष्ण उच्च वायुदाब के क्षेत्र में महाद्वीपों के जो भी भू-भाग आते हैं, वे सूखे रह जाते है। 
  • उपोष्ण उच्चवायु दाब के क्षेत्र में वर्षा नहीं होती है इसका कारण यह है कि धरातल पर नीचे की ओर उतरने वाली हवाएं वर्षा नहीं करती हैं।
  • 25 सेंटीमीटर से कम वर्षा या एकदम वर्षा नहीं होने के कारण इन क्षेत्रों में मरूस्थल का विकास हो जाता है। 
  • विश्व के सभी मरूस्थल 30-40° अक्षांशों के मध्य पाये जाते हैं। महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर हमेशा ठण्डी जलधारा तथा महाद्वीपों के पूर्वी तटों पर गर्मजलधारा का प्रवाह होता है।
  • महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर ठण्डी जलधारा प्रवाहित होती है जिसके कारण पश्चिमी तटों पर प्रवाहित होने वाले जल का वाष्पीकरण नहीं हो पाता है । 
  • जल का वाष्पीकरण नहीं होने के कारण महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर वर्षा नहीं हो पाती है। यही कारण है कि महाद्वीपों के पश्चिमी भाग में मरूस्थलों का विकास हुआ है।

विशेष तथ्य 

  • सबसे बड़ा मरुस्थल अंटार्कटिका है।
  • सबसे बड़ा उष्ण मरुस्थल सहारा मरुस्थल है।
  • अटाकामा मरूस्थल विश्व का सबसे शुष्क मरुस्थल है।
  • यूरोप एकमात्र महाद्वीप है जिसमें कोई भी प्रमुख मरुस्थल नहीं है

प्रारम्भिक परीक्षा प्रश्न : विश्व का 20वां सबसे बड़ा गर्म उपोष्णकटिबंधीय रेगिस्तान कौन- सा है?

(a) सहारा रेगिस्तान 

(b) थार रेगिस्तान 

(c) अटाकामा रेगिस्तान 

(d) गोबी रेगिस्तान 

उत्तर (b)

मुख्य परीक्षा प्रश्न: जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण दुनिया भर के कई रेगिस्तानों का विस्तार होने का अनुमान है वहीं थार रेगिस्तान में इससे विपरीत स्थिति देखने को मिल सकता है?इस कथन के कारणों पर चर्चा कीजिए।

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