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सरोगेसी के नियमों में बदलाव

प्रारंभिक परीक्षा: सरोगेसी, सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021
मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, पेपर-2 (अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिए विधि)

संदर्भ:

केंद्र सरकार ने सरोगेसी (रेगुलेशन) नियम, 2022 में बदलाव किया है।

surrogacy-rules

प्रमुख बिंदु:

  • संशोधित नियमानुसार सरोगेसी के माध्यम से बच्चा चाहने वाला कोई भी दंपती दाता (डोनर) के शुक्राणु और अंडाणु से माता-पिता बन सकता है।
  • शुक्राणु या अंडाणु दोनों में से एक युग्मक संबंधित दंपती का ही होना चाहिए।
  • दंपती अगर चिकित्सीय रूप से अक्षम हैं तभी सेरोगेसी की सुविधा प्राप्त की जा सकती है।
  • युग्मक डोनर की आवश्यकता की पुष्टि जिला मेडिकल बोर्ड करेगा।
  • विधवा या तलाकशुदा महिला भी डोनर शुक्राणु का इस्तेमाल कर सकती है।
  • किसी अविवाहित महिला को अब भी सरोगेसी के जरिए मां बनने की अनुमति नहीं है।

पूर्ववर्ती नियम:

  • मार्च, 2023 में केंद्र सरकार ने सरोगेसी के इच्छुक जोड़ों के लिए दाता के युग्मकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की थी।
  • इस अधिसूचना के अनुसार सरोगेसी के लिए शुक्राणु और अंडाणु युग्मक पति-पत्नी का ही होना चाहिए।

सरोगेसी:

  • किसी दूसरी महिला की कोख में अपने बच्चे को पालना सरोगेसी कहलाता है। 
  • स्वास्थ्य जटिलाओं की वजह से जो दंपती माता-पिता नहीं बन पाते हैं, वे सरोगेसी का सहारा लेते हैं।
  • इसमें बच्चे को जन्म देने वाली महिला और सरोगेसी करवाने वाले दंपती के बीच एक समझौता होता है।
  • इस समझौते के तहत जन्म लेने वाले बच्चे के कानूनी माता-पिता सरोगेसी करवाने वाले दंपती ही होते हैं। 

 सरोगेसी के प्रकार:

surrogacy

सरोगेसी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है-

1. पारंपरिक सरोगेसी:

  • पारंपरिक सरोगेसी में दाता या पिता के शुक्राणु को सरोगेट मां के अंडाणु से मिलाया जाता है। इस प्रक्रिया में बच्चे की जैविक मां सरोगेट मां ही होती है।
  • बच्चे के जन्म के बाद उसके कानूनी माता-पिता सरोगेसी कराने वाले दंपती ही होते हैं।

2. जेस्टेशनल (गर्भावधि) सरोगेसी:

  • इसमें माता- पिता के शुक्राणु और अंडाणु को मिला कर सरोगेट मां की कोख में रखा जाता है।
  • इस प्रक्रिया में सरोगेट मां का अनुवांशिक रूप से बच्चे से कोई संबंध नहीं होता है।
  • बच्चे की मां सरोगेसी कराने वाली महिला ही होती है।

सेरोगेसी के महत्वपूर्ण नियम:

सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 भारत में सेरोगेसी पर एक कानून है। इसके तहत निम्नलिखित नियम हैं-

  • केवल विवाहित जोड़े ही सरोगेसी के माध्यम से माता-पिता बन सकते हैं।
  • इसके लिए पुरुष की उम्र 26 साल से 55 वर्ष के बीच और महिला की उम्र 23 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
  • निम्न स्थितियों में सरोगेसी की मदद ली जा सकती है-  
    • मां-बाप में से कोई एक या दोनों इन्फर्टाइल हों
    • अगर बार-बार अबॉर्शन यानी गर्भपात हो रहा हो
    • यूट्रस कमजोर या उसमें कोई बीमारी हो
    • जब महिला का यूट्रस जन्म से बना ही न हो
    • IVF ट्रीटमेंट 3 बार से ज्यादा फेल हो गया हो
    • खतरनाक बीमारी; जैसे हार्ट अटैक आदि की समस्या हो
  • सेरोगेसी मदर बनने की शर्तें:
    • कोई भी महिला सिर्फ एक बार ही सरोगेट मदर बन सकती है।
    • महिला पहले से शादीशुदा हो और उसके बच्चे हों। 
    • महिला कोई भी नशा न करती हो 
    • महिला स्वस्थ हो।
  • समलैंगिक जोड़े बच्चे पैदा करने के लिए सरोगेसी का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
  • समझौता होने के बाद, गर्भावस्था को अवधि तक सरोगेट इससे इंकार नहीं कर सकती है और न ही अपनी मर्जी से गर्भ को खत्म कर सकती है।
  •  यदि भारतीय जोड़ा देश के बाहर सरोगेट की सेवाओं का उपयोग करता है, तो इससे पैदा होने वाले बच्चे को भारतीय नागरिक के रूप में मान्यता नहीं दी जाएगी।
  • भारत में व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध लगा लगा हुआ है।
  • नियमों के उल्लंघन पर 10 वर्ष की सजा और 10 लाख का जुर्माना हो सकता है।

प्रश्न:- निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. सरोगेसी के माध्यम से बच्चा चाहने वाले दंपती के शुक्राणु और अंडाणु दोनों का होना आवश्यक है।
  2. समलैंगिक जोड़े बच्चे पैदा करने के लिए सरोगेसी का इस्तेमाल कर सकते हैं।

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए- 

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न 1 और ना ही 2   

 उत्तर- (d)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न: सरोगेसी के बारे में बताते हुए भारत में इसके नियमन का उल्लेख कीजिए।

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