प्रारम्भिक परीक्षा – पिपली चेंग' या 'चेंग गराका' चन्ना बार्का या बार्का स्नेकहेड मछली, ओरंग राष्ट्रीय उद्यान मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 3 |
संदर्भ
- असम वन विभाग की टीम ने 21दिसंबर 2023 को डिब्रूगढ़ एयरपोर्ट से तस्करी के लिए कोलकाता जा रही 500 से अधिक 'चन्ना बार्का' मछलियां जब्त कर लीं गई हैं।
- इन मछलियों की कीमत लगभग 4.5 करोड़ रुपये है।
चन्ना बार्का मछली:-
- यह मछली वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची 2 में सूचीबद्ध संरक्षित श्रेणी में आती है।
- इस मछली का स्थानीय नाम पिपली चेंग' या 'चेंग गराका' चन्ना बार्का या बार्का स्नेकहेड मछली है।
- इस मछली की जानकारी पहली बार वर्ष 1822 में स्कॉटिश चिकित्सक फ्रांसिस हैमिल्टन द्वारा दिया गया था।
- इसका सर सांप की तरह दिखता है जिस कारण से इसे स्नैकहेड मछली भी कहा जाता है।
- यह दुर्लभ मछली की प्रजाति पूर्वोत्तर भारत(असम, नागालैंड) और बांग्लादेश में ऊपरी ब्रह्मपुत्र नदी घाटी में पायी जाती है।
- अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आइयूसीएन) ने वर्ष 2014 में इस मछली को बांग्लादेश में लुप्तप्राय घोषित कर दिया था।
विशेषता:-
- इसकी कुल लंबाई 105 सेमी (3.4 फीट) तक होती है।
- इस मछली का सिर और शरीर धारीदार साँप के समान लंबा होता है।
- इसके शरीर के ऊपरी भाग पर गहरे काले-भूरे रंग की विशेष धारियाँ होती हैं एवं इसके पेट पर सफेद रंग की धारियाँ होती हैं।
- यह मछली पानी के तापमान और ऑक्सीजन के स्तर में बड़े बदलावों का सामना करने में सक्षम होती है।
- यह मछली दक्षिण पूर्व एशिया का मूल निवासी है। यह भारत, श्रीलंका, दक्षिणी नेपाल, संभवतः भूटान, बांग्लादेश, दक्षिणी चीन आदि देशों में पायी जाती है।
- चन्ना बरका मछली को दुनिया की सबसे मंहगी मछलियों में से एक माना जाता है।
- भारत में एक मछली 50 हजार से 1 लाख रुपये तक ब्लैक में बेची जाती है।
चन्ना बरका मछली इतनी महंगी क्यों है?
- यह स्नेकहेड मछली देखने में बहुत ही आकर्षक होती है, इस कारण से इसे सजाने के लिए एक्वेरियम में रखा जाता है जिस कारण से इस मछली की डिमांड राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अत्यधिक है।
- अगस्त 2017 में ओरंग नेशनल पार्क के पास इस मछली की प्रजाति की आठ प्रजातियों को तस्करी करते हुए पकड़ा गया था।
ओरंग राष्ट्रीय उद्यान:-
- यह राष्ट्रीय उद्यान असम के दरांग और सोनितपुर जिलों में ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी तट पर स्थित है। इसका क्षेत्रफल 79.28 वर्ग किमी है।
- इसे वर्ष 1985 में एक अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था तथा 13 अप्रैल 1999 को इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
विशेषता:-
- यह राष्ट्रीय उद्यान घड़ियाल संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है
- इस राष्ट्रीय उद्यान को काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का छोटा रूप माना जाता है क्योंकि इस उद्यान में भी काजीरंगा के समान ही वनस्पति ,घास के मैदान, दलदलीय क्षेत्र आदि स्थित हैं।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- हाल ही में असम वन विभाग की टीम ने किस विलुप्तप्राय मछली की प्रजाति की तस्करी पर रोक लगा दिया है?
(a) टेंगरा मछली
(b) चेलवा मछली
(c) पीढि़या मछली
(d) चन्ना बार्का मछली
उत्तर: (d)
मुख्य परीक्षा प्रश्न:- चन्ना बरका मछली के विलुप्त होने के कारणों की विवेचना कीजिए।
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